सूर्या संस्कार यूथ एवं योग केंद्र पर पराक्रम दिवस के रूप में सुभाष चंद्र बोस जी की जयंती को मनाया गया।
गौरी अग्रवाल
सबसे तेज प्रधान टाइम्स
आज आदर्श गांव बसई का मंझरा में सूर्या संस्कार यूथ एवं योग केंद्र पर पराक्रम दिवस के रूप में सुभाष चंद्र बोस जी की जयंती को मनाया गया।
जिसमें मुख्य अतिथि विकास विश्वकर्मा जी (आइडियल विलेज इंचार्ज), राजेंद्र हिंदुस्तानी जी (सेवा प्रमुख), रणधीर सिंह सैनी जी, हरीश कुमार जी (शिक्षक सूर्या संस्कार, यूथ, योगा, केंद्र), अतिथि के रुप में उपस्थित रहे।
इस दौरान राजेंद्र हिंदुस्तानी जी ने बताया कि भारत सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125 वीं जयंती वर्ष को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाने का निर्णय लिया है, जो 23 जनवरी, 2021 से शुरू होगा। कार्यक्रमों को तय करने और स्मरणोत्सव के निरीक्षण और मार्गदर्शन के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है।
राष्ट्र के प्रति नेताजी की अदम्य भावना और निस्वार्थ सेवा को सम्मान देने और स्मरण करने के लिए, भारत सरकार ने उनके जन्मदिन 23 जनवरी को हर साल “पराक्रम दिवस” के रूप में मनाने का निर्णय लिया है, ताकि देश के लोगों को, विशेष रूप से युवाओं को प्रेरित किया जा सके, विपत्ति में धैर्य के साथ काम करने, जैसा नेताजी ने किया था, की प्रेरणा दी जा सके और देशभक्ति की भावना का संचार किया जा सके। 23 जनवरी को “पराक्रम दिवस” के रूप में घोषित करने संबंधी राजपत्र अधिसूचना प्रकाशित की गई है।
वही सुभाष चंद्र बोस जी के जीवन पर दृष्टि डालते हुए श्री विकास करवाने ने बताया कि पराक्रम दिवस नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म उड़ीसा के एक मध्यवर्गीय परिवार में 23 जनवरी 1897 में हुआ था। उनकी माता उन्हें 1857 के संग्राम तथा विवेकानंद जैसे महापुरुषों की कहानियां सुनाती थी जिससे सुभाष के मन में भी देश के लिए कुछ करने की भावना प्रबल हो उठी। सुभाष ने कटक और कोलकाता में शिक्षा प्राप्त की। बंगाल के स्वतंत्रता सेनानी देशबंधु चितरंजन दास से उनका पत्र व्यवहार होता रहता था उनके आग्रह पर वे भारत आकर कांग्रेस में शामिल हो गए। उन्होंने 12 बार जेल यात्रा की 1938 में गुजरात के हरीपुरा में हुए राष्ट्रीय अधिवेशन में वह कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए गए कांग्रेस के अधिकांश लोग सुभाष बाबू का समर्थन करते थे। सुभाष बाबू ने जो भी कार्यक्रम हाथ में लेना चाहा गांधीजी और नेहरू के गठ ने उनमें सहयोग नहीं दिया इससे खिन्न होकर सुभाष बाबू ने अध्यक्ष पद के साथ ही कांग्रेस भी छोड़ दी। फिर उन्होंने फारवर्ड ब्लाक की स्थापना की कुछ ही समय में कांग्रेस की चमक इसके आगे फीकी पड़ गई। उन्होंने आजाद हिंद फौज के सेनापति पद से जय हिंद चलो दिल्ली तथा तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा का नारा दिया, पर दुर्भाग्य से उनका यह प्रयास सफल नहीं हो पाया। सुभाष बाबू का अंत कैसे, कब और कहां हुआ, यह रहस्य ही है कहां जाता है कि 18 अगस्त 1945 को जापान में हुई एक विमान दुर्घटना में उनका देहांत हो गया।
इस दौरान संस्कार केंद्र यूथ क्लब केंद्र के सभी भैया बहन उपस्थित रहे।