उमरा नारायण भगवान विष्णु को समर्पित उमरा नारायण मंदिर रूद्रप्रयाग की महत्व एवं मान्यता
उमरा नारायण भगवान विष्णु को समर्पित उमरा नारायण मंदिर रूद्रप्रयाग की महत्व एवं मान्यता
सबसे तेज प्रधान टाइम्स गबर सिंह भण्डारी
श्रीनगर गढ़वाल।भगवान उमरा नारायण मंदिर भगवान विष्णु का पवित्र निवास है जहां मां अलकनंदा अपनी पूर्ण शांति में बहती है,यह मंदिर देवभूमि उत्तराखंड में रुद्रप्रयाग के मुख्य शहर से 5-7 किमी दूर है,आज आपको /ज्योतिषाचार्य अजय कृष्ण कोठारी/ उमरा नारायण मंदिर के महत्व इतिहास एवं मान्यताओं के बारे में बता रहे हैं.उमरा नारायण मंदिर ऐतिहासिक और लोकप्रिय धार्मिक स्थलों में से एक है,भगवान उमरा नारायण मंदिर को भगवान विष्णु का पवित्र निवास माना जाता है,नैसर्गिक जंगलों से घिरा हुआ यह धार्मिक स्थल एक छोटी सी पहाड़ी पर बसा हुआ है,यहां पर एक छोटा सा भूमिगत जल कुंड भी है,जो हमेशा एक अवीरल प्राकृतिक धारा के निर्मल जल से भरा हुआ रहता है,उमरा नारायण मंदिर आने वाले श्रद्धालु इसी जल कुंड में विशुद्धि पाने के बाद मंदिर में भगवान के दर्शन करते हैं.
मंदिर का इतिहास - उमरा नारायण मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है,मंदिर को लेकर मान्यता है कि इसका निर्माण आदि शंकराचार्य जी ने करवाया था,दरअसल जब आदि शंकराचार्य जी बदरीनाथ धाम जा रहे थे,तब वह अलकनंदा नदी की निकटता में स्थित इस जगह रुके और उन्होंने उमरा नारायण मंदिर का निर्माण करवाया, उमरा नारायण मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को अलकनंदा नदी की तेज ध्वनी साफ सुनाई देती है,मंदिर की भव्यता और अद्भुत निर्माण शैली श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है,यह मंदिर समूह धार्मिक श्रद्धालुओं, शांतिप्रिय लोगों और अध्यात्म के जिग्यासुओं के लिए मनोरम तीर्थ है.भगवान उमरा पास के गांवों उमरोला सोर, सुमेरपुर और सन्न के प्रथम देव हैं,प्रत्येक फसल के बाद, फसलों के पहले समूह को इष्ट देव के पवित्र चरणों में संपन्न किया जाता है और जिनके आशीर्वाद से आशावाद का संचार होता है और उनके सभी सेवकों का कल्याण होता है, बहुत समय पहले उमरोला सोर के ग्रामीणों ने मंदिर परिसर में भगवान उमरा नारायण की दैनिक पूजा के लिए गैरोला पंडित नियुक्त किया था,आजकल मंदिर में महंत सरजू दास जी की देखरेख में पूजा होती है.गैरोला कबीले के कुल देवता - उमरा नारायण मंदिर में क्षेत्र के श्रद्धालुओं की गहरी आस्था है,भगवान उमरा नारायण को ग्राम सन्न के गैरोला कबीले का कुल देवता भी माना जाता है,श्रद्धालु अपनी फसल आने के बाद, फसलों का पहला समूह भगवान को अर्पित करते हैं, जिसे आशीर्वाद और समृद्धि का समर्थन माना जाता है, श्रद्धालुओं का विश्वास है कि ऐसा करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और उनके जीवन में सम्रद्धि आती है,उमरा नारायण मंदिर, रुद्रप्रयाग के दूसरे प्रसिद्ध कोटेश्वर महादेव मंदिर के नजदीक ही स्थित है,ऐसे में श्रद्धालु उमरा नारायण मंदिर आते समय कोटेश्वर महादेव मंदिर में भी दर्शन कर सकते हैं,अलकनंदा नदी के किनारे गुफा के रूप में मौजूद कोटेश्वर महादेव मंदिर को लेकर मान्यता है कि केदारनाथ जाते समय भगवान शिव ने यहां पर साधना की थी.है.शुभ मंगलमय हो भगवान केदारनाथ प्रभो की कृपा बनी रहें। आचार्य अजय कृष्ण कोठारी श्रीमद्भागवत कथा वक्ता ज्योर्तिविद/ग्राम कोठियाडा़,पो.ओ-बरसीर, रुद्रप्रयाग {श्री कोटेश्वर शक्ति वैदिक भागवत पीठ एवं ज्योतिष संस्थान्}उत्तराखंड।