अजीतपुर से युवा वर्तमान प्रधान प्रखर कश्यप और ग्राम वासियों ने ढोल बजाकर किया होलिका पूजन
अजीतपुर से युवा वर्तमान प्रधान प्रखर कश्यप और ग्राम वासियों ने ढोल बजाकर किया होलिका पूजन
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विकास कश्यप
हरिद्वार।ग्राम अजीतपुर से युवा वर्तमान प्रधान प्रखर कश्यप और ग्राम वासियों की भीड़ उमड़ी ढोल बजाकर सभी ग्राम वासियों के साथ आज बसंत पंचमी को होलिका दहन का उपला सवा महीने पहले रखा और पूजा अर्चना करके और प्रार्थना की होलिका माता से की हमारे ग्रामवासी सभी सुख शांति से इस त्यौहार को मनाएं और फिर बताया कि होलिका दहन आज से नहीं बल्कि पौराणिक काल से चला आ रहा है. द्वापर युग में भी इसका चलन था लेकिन इसके पीछे की वजह दूसरी थी. द्वापर युग में जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था तब उनके मामा कंस ने कृष्ण को मारने के लिए पूतना राक्षसी को भेजा था. लेकिन कंस के द्वारा रचाई चाल उन्ही पर भारी पड़ गई और भांजे श्रीकृष्ण के हाथों पूतना मारी गई. मान्यता अनुसार श्री कृष्ण ने पूतना का वध फाल्गुन पूर्णिमा के दिन ही किया था और इसी खुशी में नंदगांव की गोपियों ने बाल श्रीकृष्ण के साथ होली खेली थी.वहीं दूसरी कहानी भगवान शिव और कामदेव से जुड़ी हुई है. एक कथा यह भी है कि भगवान शिव ने अपने क्रोध से कामदेव को भस्म कर दिया था. हालांकि बाद में उनको प्राणदान दे दिया. लेकिन जिस दिन कामदेव भस्म हुए थे वो दिन भी होलिका दहन था. इस कहानी के बाद सबसे प्रचलित कथा भक्त प्रह्लाद और उनकी बुआ होलिका से जुड़ी है. जिसके बारे में हर कोई जानता है. कथा है कि होलिका अपने भतीजे प्रह्लाद को लेकर आग में जाकर बैठ गई. लेकिन इस आग में बुराई रूपी होलिका का दहन हुआ और सच्चाई की जीत हुई. विष्णु जी की असीम कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहे और होलिका जल कर भस्म हो गई. उस दिन भी फाल्गुन पूर्णिमा थी, इसलिए हर वर्ष फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन होता है.यह त्यौहार वसंत ऋतु के आगमन और आने वाले पर्वों और बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए मनाया जाता है. होली पारंपरिक रूप से एक हिंदू त्योहार है जिसे अलग-अलग शहर और राज्य में अपने तरीके से मनाया जाता है.