सिद्धपीठ देवभूमि की रक्षक मां धारी देवी 9 साल बाद
सिद्धपीठ देवभूमि की रक्षक मां धारी देवी 9 साल बाद अपने नये मंदिर मूल स्थान पर विराजमान हुई
सबसे तेज प्रधान टाइम्स गबर सिंह भण्डारी श्रीनगर गढ़वाल ।श्रीनगर अलकनंदा नदी के किनारे स्थित सिद्धपीठ देवभूमि की रक्षक मां धारी देवी का मंदिर कल्यासौड़ के समीप श्रीनगर से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। चारों धामों की रक्षक मानी जाने वाली सिद्धपीठ मां धारी देवी नौ साल बाद आज 28 जनवरी 2023 को पूरे विधि-विधान के साथ के साथ अपने मूल स्थान पर विराजमान हो गई। इस शुभ अवसर पर श्रद्धालुगण सुबह चार बजे से ही तांता लगना शुरू हो गया था। मां धारी देवी ट्रस्ट के पुजारियों द्वारा सुबह 7 बजकर 15 मिनट पर चर लग्न में मूर्ति अस्थाई मंदिर से उठा कर 8 बजकर 10 मिनट पर स्त्री लग्न में नये में स्थापित किया। मां धारी देवी की मूर्ति सहित अन्य प्रतिमाओं को नये मंदिर में शिफ्ट से पहले बीते मंगलवार को पुजारियों एवं पुरोहितो ने 4 दिनों तक शतचंडी यज्ञ किया जिसके बाद 9 वर्षों के बाद 2013 दैवीय आपदा के पश्चात पूर्ण मंत्र उच्चारणों के साथ मां धारी देवी अपने मूल स्थान पर मूर्ति नये मंदिर में स्थापित की गई। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्तगण धारी देवी मंदिर में मौजूद रहे मंदिर परिसर को लगभग 25-30 क्विंटल फूलों से सजाया गया। इस शुभ अवसर पर श्रीनगर क्षेत्रीय विधायक व उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री डॉ० धन सिंह रावत भी मां धारी की आराधना के लिए मंदिर में पहुंचे। इस मौके पर कैबिनेट मंत्री डॉक्टर धन सिंह रावत ने कहा की जल्द ही मंदिर परिसर के आसपास के इलाको में सुविधाओं को बढ़ाया जाएगा। मंदिर के निकट एक बड़ा स्नान घाट बनाया जाएगा मंदिर को जाने वाली सड़क को पक्का करने की कार्ययोजना तैयार की जाएगी। मंदिर में सुविधाओं को बढ़ाने के लिए राज्य सरकार एक बड़ी योजना के तहत धारी देवी परिसर को सजाने संवारने का कार्य करेगी। पूर्व में श्रीनगर जल विद्युत परियोजना निर्माण के बाद यह मंदिर डूब क्षेत्र में आ गया था। जिसके बाद जीवीके कंपनी की ओर से पिलर खड़े कर मंदिर का निर्माण किया गया। मां सिद्धपीठ धारी देवी में भक्त गण हर रोज दूदू से मन्नत मांगने आते हैं जहां हर दिन माता को अलग-अलग रूपों में भक्त देखते हैं कहा जाता है की इस मंदिर में मौजूद माता धारी देवी की मूर्ति दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है मूर्ति सुबह कन्या रूप में दिखती है दिन में युवती और शाम को एक बूढ़ी महिला की तरह नजर आती है माता को लेकर मान्यता है कि वह चारधाम की रक्षा करती है और मां को पहाड़ों की रक्षक देवी भी माना जाता है।