शालिग्राम का हिन्दू धर्म में महत्व,लाभ एवं उसकी पहचान
शालिग्राम का हिन्दू धर्म में महत्व,लाभ एवं उसकी पहचान
सबसे तेज प्रधान टाइम्स गबर सिंह भण्डारी
श्रीनगर गढ़वाल । आपको शालिग्राम के महत्व की संक्षिप्त जानकारी बता रहे हैं भगवान शालिग्राम की पूजा होती है, वहां विष्णुजी के साथ महालक्ष्मी भी निवास करती हैं,इसे स्वयंभू माना जाता है यानी इनकी प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं होती,कोई भी व्यक्ति इन्हें घर या मंदिर में स्थापित करके पूजा कर सकता है,शालिग्राम अलग-अलग रूपों में मिलते हैं,कुछ अंडाकार होते हैं तो कुछ में एक छेद होता है, इस पत्थर में शंख, चक्र, गदा या पद्म से निशान बने होते हैं,भगवान शालिग्राम की पूजा तुलसी के बिना पूरी नहीं होती है और तुलसी अर्पित करने पर वे तुरंत प्रसन्न हो जाते हैं, आज आपको /ज्योतिषाचार्य अजय कृष्ण कोठारी/ भगवान शालीग्राम के विषय में मान्यता एवं हिन्दू धर्म में शालिग्राम का महत्व विस्तार से बता रहे हैं.पौराणिक कथा के अनुसार तुलसी जी के श्राप के कारण श्री हरि विष्णु हृदयहीन शिला में बदल गए थे,उनके इसी रूप को शालिग्राम कहा गया है.शालिग्राम वैष्णव समाज के लोगों के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है जितना शैव परंपरा के लिए शिवलिंग है, शालिग्राम भगवान विष्णु का निराकार रूप माना जाता है जैसे शिवलिंग भगवान शिव का निराकार रूप है,वैसे तो शालिग्राम एक शिला है परन्तु हिन्दू धर्म में इसका महत्व शिला से कुछ ज्यादा है.गंडक नदी में पाया जाने वाले शालिग्राम आमतौर पर गोलाकार और काले रंग का होता है,वहीँ बात करें कि इसका नाम शालिग्राम कैसे पड़ा तो गंडक नदी के निकट बसे एक गाँव सालग्राम के नाम के चलते यह नाम पड़ा है.शालिग्राम भगवान कौन से होते हैं?शालिग्राम भगवान विष्णु का ही एक रूप है जिन्हें तुलसी से श्राप मिलने के कारण वे एक शिला रूपी शालिग्राम में परिवर्तित हो गए थे.घर में कितने शालिग्राम होने चाहिए? - घर में एक ही शालिग्राम रखा जा सकता है,एक से अधिक शालिग्राम घर में रखना वर्जित है ऐसा करने से शालिग्राम के दुष्प्रभाव देखने को मिल सकते हैं.शालिग्राम को कैसे पहचाने?- शालिग्राम को पहचानने के लिए उसके आकार को देखा जाता है,यदि वह शालिग्राम गोलाकार है तो वह भगवान विष्णु का गोपाल रूप माना जाता है,वहीँ भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार वाला शालिग्राम मछली के आकार का प्रतीत होता है,कछुए के अवतार वाला शालिग्राम श्री हरि के कच्छप अवतार जैसा प्रतीत होता है.शालिग्राम को कहाँ रखना चाहिए?- शालिग्राम को तुलसी के निकट रखने के साथ ही घर में किसी भी पवित्र स्थान और घर के मंदिर में रखा जा सकता है.शालिग्राम रखने से क्या होता है-शालिग्राम बहुत ही सात्विक माना जाता है,घर में शालिग्राम रखने से सभी नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और व्यक्ति को सुख समृद्धि प्राप्त होती हैशालिग्राम और भगवती स्वरूपा तुलसी का विवाह करने से सारे अभाव, कलह, पाप, दुःख और रोग दूर हो जाते हैं,तुलसी शालिग्राम विवाह करवाने से वही पुण्य फल प्राप्त होता है जो कन्यादान करने से मिलता है.पूजा में शालिग्राम को स्नान कराकर चंदन लगाएं और तुलसी अर्पित करें,भोग लगाएं,यह उपाय तन, मन और धन सभी परेशानियां दूर कर सकता है,विष्णु पुराण के अनुसार जिस घर में भगवान शालिग्राम हो, वह घर तीर्थ के समान होता है,शालिग्राम नेपाल की गंडकी नदी के तल से प्राप्त होते हैं। शालिग्राम काले रंग के चिकने, अंडाकार पत्थर को कहते हैं,पूजा में शालिग्राम पर चढ़ाया हुआ भक्त अपने ऊपर छिड़कता है तो उसे तीर्थों में स्नान के समान पुण्य फल मिलता है,जो व्यक्ति शालिग्राम पर रोज जल चढ़ाता है, वह अक्षय पुण्य प्राप्त करता है,शालिग्राम को अर्पित किया हुआ पंचामृत प्रसाद के रूप में सेवन करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है।जिस घर में शालिग्राम की रोज पूजा होती है, वहां के सभी दोष और नकारात्मकता खत्म होती है.शुभ मंगलमय हो भगवान केदारनाथ प्रभो की कृपा बनी रहें। आचार्य अजय कृष्ण कोठारी श्रीमद्भागवत कथा वक्ता ज्योर्तिविद/ग्राम कोठियाडा़,पो.ओ-बरसीर, रुद्रप्रयाग {श्री कोटेश्वर शक्ति वैदिक भागवत पीठ एवं ज्योतिष संस्थान्}उत्तराखंड