निदेशक प्रो. ललित कुमार अवस्थी के एक वर्ष पूरा होने पर फैकल्टी वेलफेयर सेक्शन, अधिकारियों, कर्मचारियों ने मिलन समारोह किया आयोजित
निदेशक प्रो. ललित कुमार अवस्थी के एक वर्ष पूरा होने पर फैकल्टी वेलफेयर सेक्शन, अधिकारियों, कर्मचारियों ने मिलन समारोह किया आयोजित
सबसे तेज प्रधान टाइम्स गबर सिंह भण्डारी
श्रीनगर गढ़वाल ।राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान उत्तराखंड के माननीय निदेशक प्रोफेसर ललित कुमार अवस्थी के पांच वर्षों के कार्यकाल का एक वर्ष पूर्ण हो गया है। एक प्रतिष्ठित शिक्षाविद् और प्रशासक के रूप में, प्रोफेसर अवस्थी ने उच्च शिक्षा और शासन प्रणालियों के पुनर्गठन और पुनर्रचना के कार्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस परिप्रेक्ष्य में प्रोफेसर अवस्थी को एक संस्थागत निर्माता होने का गौरव प्राप्त है। एनआईटी उत्तराखंड में अपना पदभार ग्रहण करने से पूर्व वे एनआईटी जालंधर के निदेशक रह चुके इसके अलावा उन्होंने एनआईटी दिल्ली और एनआईटी हमीरपुर के प्रभारी निदेशक के रूप में भी अपनी सेवाएं दी है। अपने पिछले एक साल के कार्यकाल दौरान प्रोफेसर अवस्थी ने एनआईटी उत्तराखंड में राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० के क्रियान्वयन से लेकर, प्राचीन भारतीय शैक्षणिक संस्कृति को पुनर्जीवित करने, प्रशासनिक प्रणाली को सुव्यवस्थित करने और संकाय सदस्यों, अधिकारियों और कर्मचारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने में गतिशील भूमिका निभाई है। इन महत्वपूर्ण और रुपांतकारी सुधारों ने संस्थान को आगे बढ़ाने और उच्च तकनीकी शिक्षा के महत्वपूर्ण संस्थान के रूप में उभरने में मदद की है।प्रोफेसर अवस्थी के कार्यकाल का एक साल पूरा होने पर संस्थान के फैकल्टी वेलफेयर सेक्शन ने ९ फ़रवरी को संकाय सदस्यों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों का एक मिलन समारोह आयोजित किया। समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रोफेसर अवस्थी ने पूर्ण सहयोग और समर्थन देने के लिए शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार, डॉ आर के त्यागी , चेयरमैन बीओजी, संस्थान के सभी संकाय सदस्यों, कर्मचारियों और छात्रों का धन्यवाद ज्ञापित किया और कहा "एनआईटी उत्तराखंड तेजी से प्रगति कर रहा है, विगत वर्ष संस्थान ने जो भी उपलब्धियां अर्जित की है वो सभी लोगो के सर्वश्रेष्ठ प्रयासों का नतीजा है।" उन्होंने आगे कहा "यद्यपि हम हमेशा शत-प्रतिशत लक्ष्य हासिल नहीं कर सकते, फिर भी हमें सदैव और बेहतर करने का लक्ष्य रखना चाहिए और मार्ग में जो थोड़ी बहुत कठिनाइयाँ और व्यवधान आ रहे है उन्हें सिस्टम का हिस्सा समझकर निरन्तर लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रयासरत रहना चाहिए। "
प्रोफेसर अवस्थी ने आचार्य चाणक्य के वाक्य " शिक्षक कभी साधारण नहीं होता।" का उल्लेख करते हुए कहा "एक शिक्षक राष्ट्र निर्माता होता है। वह अपनी असाधारण सृजनात्मक क्षमता से छात्रों को प्रशिक्षित करता है जो आगे चलकर राष्ट्र का निर्माण करते है।"उन्होंने सभी संकाय सदस्यों का आह्वाहन किया कि सभी लोग एक टीम के रूप में कार्य करते हुए क्षेत्रीय और उत्तराखंड राज्य की समस्याओं का व्यावहारिक हल ढूढ़ने का प्रयत्न करे जिससे की एनआईटी के उत्तराखंड राज्य में स्थित होने की सार्थकता को सिद्ध किया जा सके।नारी सशक्तिकरण पर जोर देते हुए प्रोफेसर अवस्थी ने संस्थान की महिला संकाय सदस्यों का आह्वाहन किया की वे एक समूह बनाकर आस पास के ग्रामीण क्षेत्रो में महिलाओं को शिक्षित करें जिससे की उनके लिए रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध हो सके। इस अवसर पर डॉ हरिहरन मुथुसामी, डीन फैकल्टी वेलफेयर ने कहा कि निदेशक महोदय के कुशल मार्गदर्शन में विगत वर्ष संस्थान ने उल्लेखनीय प्रगति की है जिसमे से शैक्षणिक सुधार, नीतिगत सुधार, छात्रों के इंटर्नशिप, प्लेसमेंट ऑफर की संख्या और औसत वेतन पैकेज में वृद्धि, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर के संस्थानों और औद्योगिक संस्थाओ के साथ एमओयू और संस्थान की छवि में सुधार कुछ प्रमुख है। इसके अलावा विगत वर्ष संस्थान को लगभग २ करोड़ रूपये का प्रोजेक्ट अनुदान और १ करोड़ रूपये का कन्सल्टेन्सी प्रोजेक्ट और दो पेटेंट प्रदान किया गया है और १५० से अधिक शोधपत्र एससीआई अनुक्रमित पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए है। संस्थान के प्रभारी कुलसचिव डॉ धर्मेंद्र त्रिपाठी ने कहा "निदेशक महोदय के गतिशील नेतृत्व में संस्थान ने कई विचारो को वास्तविकता में बदलते हुए देखा है। उनके अथक प्रयसों से विगत वर्ष संस्थान को लगभग १० करोड़ रूपये की धनराशि संस्थान आवंटित कि गयी, शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक रिक्त पदों को भरने के लिए विज्ञप्ति जारी किया गया, नवनिर्मित छात्रावासों में छात्रों को समायोजित किया गया, खरीद प्रक्रिया की जटिलता को सुगम बनाया गया ताकि प्रयोगशालाओं को और आधुनिक बनाया जा सके। इसके अलावा निदेशक महोदय ने एडवेंचर ट्रिप्स और स्पोर्ट्स एक्टिविटीज के दौरान छात्रों के आवागमन में जो दिक्क़ते आ रही थी उनको दूर करने के लिए दो बसों को खरीदने की भी अनुमति दे दी है जिसकी प्रक्रिया संभवतः एक पखवाड़े के अंदर पूरी कर ली जाएगी।" इस अवसर पर संस्थान के सभी कर्मचारियों और संकाय सदस्यों ने कुशल मार्गदर्शन और संस्थान में दिए गए योगदान के लिए निदेशक महोदय के प्रति आभार प्रकट किया और उनके नेतृत्व में पूरी निष्ठां और समर्पण के साथ सामूहिक रूप में कार्य करने की प्रतिबद्धता जाहिर किया।