18फरवरी को महाशिवरात्रि का त्यौहार मनाना उचित :प. राज शर्मा
18फरवरी को महाशिवरात्रि का त्यौहार मनाना उचित :प. राज शर्मा
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सचिन शर्मा
हरिद्वार।ज्योतिषाचार्य पण्डित राज शर्मा ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार, महाशिवरात्रि का त्यौहार हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. ऐसी मान्यताएं है कि इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था. ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का धरती पर प्रकाट्य हुआ था. इस बार महाशिवरात्रि की तारीख को लेकर लोगों में बड़ा कन्फ्यूजन है. कुछ लोग 18 फरवरी की महाशिवरात्रि बता रहे हैं तो कुछ 19 फरवरी की. आइए आपको बताते हैं कि महाशिवरात्रि का पर्व किस दिन मनाया जाएगा.
कब मनाई जाएगी महाशिवरात्रि?
हिंदू पंचांग के अनुसार, महाशिवरात्रि का त्योहार शनिवार, 18 फरवरी को रात 8 बजकर 03 मिनट पर प्रारंभ होगा और इसका समापन रविवार, 19 फरवरी को शाम 04 बजकर 19 मिनट पर होगा. चूंकि महाशिवरात्रि की पूजा निशिता काल में की जाती है, इसलिए यह त्यौहार 18 फरवरी को ही मनाना उचित होगा.
महाशिवरात्रि पर त्रिग्रही योग :
इस साल महाशिवरात्रि का पर्व बेहद खास रहने वाला है. इस बार महाशिवरात्रि पर त्रिग्रही योग का निर्माण होने जा रहा है. 17 जनवरी 2023 को न्याय देव शनि कुंभ राशि में विराजमान हुए थे. अब 13 फरवरी को ग्रहों के राजा सूर्य भी इस राशि में प्रवेश करने वाले हैं. 18 फरवरी को शनि और सूर्य के अलावा चंद्रमा भी कुंभ राशि में होगा. इसलिए कुंभ राशि में शनि, सूर्य और चंद्रमा मिलकर त्रिग्रही योग का निर्माण करेंगे. ज्योतिषविद ने इसे बड़ा ही दुर्लभ संयोग बताया ।
महाशिवरात्रि पर चार पहर की पूजा :
प्रथम पहर पूजा- 18 फरवरी को शाम 06:41 बजे से रात 09:47 बजे तक
द्वितीय पहर पूजा- 18 फरवरी को रात 09:47 बजे से रात 12:53 बजे तक
तृतीय पहर पूजा- 19 फरवरी को रात 12:53 बजे से 03:58 बजे तक
चतुर्थ पहर पूजा- 19 फरवरी को 03:58 बजे से सुबह 07:06 बजे तक
व्रत पारण- 19 फरवरी को सुबह 06:11 बजे से दोपहर 02:41 बजे तक शिवरात्रि का ज्योतिषीय महत्व :
ज्योतिषाचार्य पण्डित राज शर्मा ने बताया कि वैदिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव ही चतुर्थी तिथि के स्वामी हैं। यही वजह है कि प्रत्येक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मासिक शिव रात्रि के रूप मनाया जाता है । ज्योतिष शास्त्र में चतुर्थी तिथि को अत्यंत शुभ माना गया है अंक ज्योतिष की गणना के मुताबिक महाशिव रात्रि के दिन सूर्य उत्तरायण में होते हैं साथ ही ऋतु परिवर्तन भी होता है । पण्डित राज शर्मा ने बताया कि चतुर्थी तिथि को चंद्रमा बहुत ही कमजोर स्तिथि में होते हैं और भगवान शिव ने चंद्रमा को अपने सिर पर धारण किया हुआ है अतः शिव की पूजा और उपासना व्यक्ति का चंद्रमा भी मजबूत होता है जो मन का प्रतिनिधित्व करता है। अन्य शब्दों में कहें तो शिव की पूजा और उपासना से इच्छा शक्ति दृढ़ होती हैं और अदम्य साहस का संचार होता है ।