पहाड़ों में गांधीयन पर्यटन को भारी जनसमर्थन
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गबर सिंह भंडारी
श्रीनगर गढ़वाल। वैष्णव जन जो तैने कहिये हो या रघुपति राघव राजाराम, ये ही वो संदेश हैं जो महात्मा गांधी ने समाज को सत्य प्रेम अहिंसा स्वच्छता और क्षेत्रीय विकास को अपनाने के लिए दिये।
बापू की नीति पर चलकर देश प्रदेश विश्व में आगे बढ़ेंगे। गरीब लोग और गरीब देशों को उन्नति के लिए गांधी की नीति अमृत के समान है। इन्हीं को आधार मानकर "गांधी पर्यटन" द्वारा उत्तराखण्ड में शून्य काल के सिद्धांत पर आधारित पर्यटन लागू करने की वकालत की। आज न्याय पंचायत देवलगढ़ बुघाणी क्षेत्र में बड़ी संख्या में स्थानीय माता बहनों के नेतृत्व में एक प्रदर्शन किया गया। भोगवादी पश्चिमी पंचतारा पर्यटन को ख़तरनाक बताते हुए, देवभूमि में सनातनी संस्कृति को खत्म करने के लिए एक विदेशी साजिश है,जो देवभूमि में भोगवादी संस्कृति को फैलाकर यहां की सनातनी संस्कृति को समाप्त करना चाहता है ताकि भारत में हिन्दू धर्म को समाप्त किया जा सके। कहा गया कि पर्यटन केवल रहीशों केलिए नहीं है, बल्कि गरीबों का हक भी है।देश व विश्व में ऐसी नीति लागू हो ।net पर देखेंगे कि, विश्व की सबसे मूल्यवान राम करेंसी है।,हंगरी नीदरलैंड, कृष्णा वैलीआदिमें सनातन धर्म के स्थलों को बढ़ावा दिया जा रहा है, विदेशों में,सऊदी अरब, अमेरिका में हिन्दू मंदिर बनाये जा रहे हैं लेकिन उत्तराखंड में भोगवादी पश्चिमी पर्यटन बढ़ाने की कवायद चल रही है, दुर्भाग्य है कि कुछ स्वार्थी पहाड़ी उत्तराखंड में, तीर्थाटन, धार्मिक बढ़ाने की बजाय पश्चिमी पंचतारा पर्यटन पनपाने में इसलिए उत्सुक हैं कि विदेशी सहायता से उन्हें ब्यक्तिगत लाभ हो,और दुर्भाग्य है कि,, इंग्लैंड हैदराबाद गाजियाबाद, दिल्ली पंजाब में ऐसे चंद पहाड़ी लोग भी हैं,जो, ऐयरोस्पोर्टस ग्लाइडिंग रिवराफ्टिंग, रिजोर्टों को रोजगार देने के नाम पर 5-6 हजार रुपए पगार पर पहाड़ियों को नौकर वेटर ड्राइवर बना रहे हैं और पहाड़ों से कमाया भारी लाभ, प्रदेश से बाहर ले जा रहे हैं, और ऐसी योजना बनाने की पुरजोर कवायद कर रहे हैं।ये लोग पहाड़ों में कमाया पैसा बाहर ले जाने की मानसिकता में है।ऐसी योजना से उनको ब्यक्तिगत लाभ है, पहाड़ व पहाड़ी को नहीं। हमारे बच्चे शहरों में अच्छे अंग्रेजी स्कूलों में पढ़ें , डालरों में कमायें और पहाड़ी बच्चे पहाड़ों में रहो, नौकर वेटर बनो इससे नतो रिवर्स पलायन रुकेगा न ही सही विकास। पहाड़ों,देश व विदेशों में बैठे हुए कुछ ऐसे पहाड़ी चंट भी इस धंधे में है। हमारे पूर्वजों ने विदेशों में नौकरी की, वर्ल्ड वार में रहें । बाहर कमाया पैसा पहाड़ों में लायें तो पहाड़ों में समृद्धि आई,।और अब पैसा बाहर ले जाने की योजना है। चकित करनेवाली बात है कि, पर्यावरण, हिमालय बचाओ,गांवबचाओ, रिवर्स पलायन की बात करनेवाले ज्यादा लोग वे हैंजो पहाड़ छोड़ कर पीढ़ियों पहले बाहर चले गये और स्वयं वे और उनके परिवार गांव में नहीं रहते। ऐसे चंटो से नतो रिवर्स पलायन होगा,न रोजगार बढ़ेगा उल्टे हमारे तीर्थस्थल, देवभूमि की क्षति होगी और पैसा पहाड़ से बाहर जायेगा। ईमानदारी चरित्र के लिए विश्व विख्यात पहाड़ी लालच में आकर उस चरित्र से भी जायेगा। देश की सुरक्षा के लिए भी सीमावर्ती क्षेत्रों के लिए बहुत ही ख़तरनाक है।इन सबका एकमात्र विकल्प, शून्य काल केसिद्धांत आधरित गांधीयन पर्यटन अपनाना है। पहाड़ की आय पहाड़ में रहे इसके लिए धार्मिक पर्यटन की अथाह विधायें हैं जिनसे बहुत रोजगार व बहुत बड़ी आंय होंगी और पैसा पहाड़ों में रहेगा,लेकिन स्वार्थी च़टों को इससे लाभ नहीं इसलिए वे "पश्चिमी भोगवादी पर्यटन"पनपाकर पहाड़ को बेचने में भी गुरेज नहीं करते।
विनाशकारी पर्यटन रोको संगठन की ओर से 2 अक्टूबर गांधी जयंती के शुभ अवसर पर न्याय पंचायत देवलगढ़ में स्वच्छता कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें दुर्गेश कुमार फौजी, शिवप्रसाद, सुरेश मुयाल, गबर सिंह भंडारी, महेंद्र पाल सिंह रावत, बालचंद, जयपाल सिंह, दिनेश पुरी, राजेंद्र लाल,जीत सिंह भंडारी, विजय लाल, धर्म सिंह पुंडीर, कोमल देवी, सरस्वती देवी, ममता देवी, हेमा देवी, पूजा देवी, रोशनी देवी,ताजवर कुमार, राजवर कुमार, रोहित प्रसाद, मोहन पुरी, राजेश कुमार लोग उपस्थित थे।