कृषि कानूनों की सच्चाई के लिए मोर्चा ने किया पर्चा जारी
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जॉन मसीह
रामनगर। केन्द्र सरकार द्वारा पारित किये गये तीनों कृषि कानूनों की सच्चाई उजागर करने के लिए किसान नेताओं ने पर्चा उजागर किया है।रविवार को रानीखेत रोड स्थित किसान मोर्चा द्वारा आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान किसान नेता जगतार सिंह बाजवा ने आरोप लगाया कि देश के प्रधानमंत्री सब कुछ जानते हुए भी लोकसभा में झूठ बोलते हुए इन कानूनों को किसान हित में बता रहें हैं। इसीलिए किसान मोर्चा ने तीनों किसान कानूनों की खामियों को पर्चे के माध्यम से उजागर कर दिया है। अब केंद्र सरकार बताये जब उसके द्वारा पारित कानून किसान हितेषी हैं तो वह इनमें संशोधन के लिए राजी क्यों हो रही है। किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि कानून लागू होने के बाद जिन मंडियों के संरक्षण की बात सरकार कर रही है वह पूरी तरह से झूठ है। कानून लागू होने के बाद जो मंडी होगी वह मंडी नहीं बल्कि कारपोरेट कम्पनी के कलेक्शन सेन्टर होंगे। जहां पर किसान की उपज की खरीद कम्पनी द्वारा निर्धारित मूल्य पर होगी। इसके माध्यम से होने वाली खरीद के बाद कृषि उत्पाद को बाज़ार में कम्पनी द्वारा निर्धारित मूल्य पर ही बेचा जायेगा। नये कानूनों के बाद कृषि उपज सरकार द्वारा न खरीदे जाने के बाद देश का पीडीएस सिस्टम पूरी तरह से धराशायी हो जायेगा। यह कानून बटाई और अधिया पर खेती करने वाले किसानों सहित छोटे स्तर पर पशुपालन करने वाले दुग्ध उत्पादकों को पूरी तरह समाप्त कर देगा। किसान नेताओं ने कहा कि इन कृषि कानूनों को किसान धीरे-धीरे समझ रहा है। जल्द ही इसके विरोध में पूरे देश में आंदोलन का ऐसा तूफान खड़ा होगा जो केंद्र सरकार को धराशायी कर देगा। किसान नेताओं ने मोर्चा के आह्वान पर सोमवार को प्रस्तावित एफसीआई गोदामों के घेराव कार्यक्रम में अधिक से अधिक हिस्सेदारी करने की अपील करते हुए कहा कि सरकार की हर कोशिश के बाद भी किसानों का यह आंदोलन समाप्त होने के बजाये लगातार बढ़ता जा रहा है। जो की बिना इन काले कानूनों की वापसी के खत्म नहीं होगा।इस दौरान पत्रकार वार्ता में किसान नेता दीवान कटारिया, मुनीष कुमार, राजवीर सिंह, सरस्वती जोशी, ललित उप्रेती,हरप्रीत सिंह,कौशल्या चौनियाल आदि रहे।