आयुर्वेद में तुलसी पौधा औषधीय गुणों का बड़ा भंडार - सचिन बेदी
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मनोज ननकानी
हरिद्वार - आयुर्वेद में तुलसी के पौधे को औषधीय गुणों का भंडार माना गया है, यह पौधा अपने अनेक औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है l तुलसी के पौधे के महत्व पर प्रकाश डालते हुए अधिवक्ता सचिन बेदी ने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में इसे अनेक प्रकार के रोगों के उपचार के लिए सभी जड़ी बूटियों में से एक विशेष बूटी माना गया है l सदियों से तुलसी के पौधे का प्रयोग घरेलु उपचार के रूप में होता चला आ रहा हैं l इसमें औषधीय गुण कूट-कूट कर भरे हुए हैं l
धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से तुलसी के पौधे का अपना अलग-अलग विशेष महत्व है l हिन्दू धर्म में इसका अत्यधिक धार्मिक महत्व हैl
धार्मिक दृष्टिकोण से महत्व यह माना जाता है कि यह पौधा भगवान बुद्ध का प्रतिनिधित्व करता है,तथा हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार तुलसी का पौधा भगवान विष्णु को अत्यधिक प्रिय है,और इसे भगवान विष्णु की पत्नी भी माना जाता है l
वैज्ञानिक दृष्टि कोण से तुलसी का पौधा एक औषधीय पौधा है l जिसमें एंटी-ऑक्सीडेंट व एंटी बैक्टीरियल तत्व अत्यधिक मात्रा में पाये जाते हैं और यह 24 घंटे ऑक्सीजन उत्सर्जित करने वाला पौधा है l इसमें जिंक,आयरन कैल्शियम, विटामिन-सी तथा क्लोरोफिल पाया जाता है l
सुबह खाली पेट इसका नियमित सेवन व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है तथा विभिन्न प्रकार की बीमारियों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है l पेट से संबंधित बीमारियों को ठीक करने में लाभदायक है l सर्दी, बुखार, खांसी, ज़ुकाम एवं डेंगू जैसी बीमारियों में तुलसी के पत्तों का काढ़ा पीने से आराम मिलता है l फेफड़े संबंधी रोगों से बचाव करता है, तनाव दूर करता है, ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है, पाचन क्रिया को दुरुस्त करता है, लीवर ठीक रखता है, कैंसर के जोखिम को कम करता है , गले में संक्रमण व साँस संबंधी परेशानियों को दूर करने में सहायता करता है l कान में दर्द होने पर तुलसी के पत्तों के रस की 4-4 बूंदे कान में डालने से आराम मिलता है l इसके अलावा अनेक बीमारियों से लड़ने में तुलसी का सेवन बड़ा फायदेमंद है l आज जिस प्रकार से कोरोना महामारी ने सारी दुनिया में हाहाकार मचाया हुआ है, ऐसे समय में तुलसी के सेवन से कोरोना संक्रमण से आसानी से निपटा जा सकता है l इसलिए अत्यधिक मात्रा में अपने-अपने घरों में तुलसी के पौधे रौंपकर उनकों नियमित रूप से पानी देते रहें,तथा उसके पत्तों का सेवन करते रहिए,ताकि भविष्य में गंभीर बीमारियों का आसानी से सामना किया जा सकेl