इनरव्हील क्लब का इस वर्ष का योग दिवस सूर्य नमस्कार को समर्पित - विनीता गोनियाल
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मनोज ननकानी
हरिद्वार - इनर व्हील क्लब हरिद्वार ने इस योग दिवस को एक दिन का अभ्यास तक सीमित न रखकर योग को अपने दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बनाने हेतु सूर्य नमस्कार के 12, आसनों को अपने घर परिवार के सभी सदस्यों को जागरूक कर करवाने का संकल्प लिया।क्लब की सभी महिलाएं घर की हर गतिविधि को सुनिश्चित करती है,उसी तरह सभी महिला मेंबर्स को ये भी सुनिश्चित करना होगा की घर अथवा आसपास के सभी लोग हर दिन सूर्य नमस्कार करे।क्यूंकि सूर्य नमस्कार के अभ्यास से शरीर (विभिन्न आसनो से), मन (मणिपुर चक्र से) और आत्मा ( मंत्रोच्चार से) सबल होते हैं। पृथ्वी पर सूर्य के बिना जीवन संभव नही है। सूर्य नमस्कार, सूर्य के प्रति सम्मान व आभार प्रकट करने की एक प्राचीन विधि है, जो कि पृथ्वी पर जीवन के सभी रूपों का स्रोत है।
सूर्य नमस्कार करने की विधि ही जानना पर्याप्त नहीं है, इस प्राचीन विधि के पीछे का विज्ञान समझना भी आवश्यक है। इस पवित्र व शक्तिशाली योगिक विधि की अच्छी समझ, इस विधि के प्रति उचित सोच व धारणा प्रदान करती है। ये सूर्य नमस्कार की सलाहें आपके अभ्यास को बेहतर बनाती है और सुखकर परिणाम देती है।
भारत के प्राचीन ऋषियों के द्वारा) ऐसा कहा जाता है कि शरीर के विभिन्न अंग विभिन्न देवताओं (दिव्य संवेदनाए या दिव्य प्रकाश) के द्वारा संचालित होते है। मणिपुर चक्र (नाभि के पीछे स्थित जो मानव शरीर का केंद्र भी है) सूर्य से संबंधित है। सूर्य नमस्कार के लगातार अभ्यास से मणिपुर चक्र विकसित होता है। जिससे व्यक्ति की रचनात्मकता और अन्तर्ज्ञान बढ़ते हैं। यही कारण था कि प्राचीन ऋषियों ने सूर्य नमस्कार के अभ्यास के लिए इतना बल दिया।
मणिपुर चक्र में ही हमारे भाव एकत्रित होते है और यही वो स्थान है जहाँ से अंतःप्रज्ञा विकसित होती है। सामान्यतया मणिपुर चक्र का आकार आँवले के बराबर होता है, लेकिन जो योग ध्यान के अभ्यासी हैं उनका मणिपुर चक्र 3 से 4 गुना बड़ा हो जाता है। जितना बड़ा मणिपुर चक्र उतनी ही अच्छी मानसिक स्थिरता और अन्तर्ज्ञान हो जाते हैं।
दिन का प्रारंभ सूर्य नमस्कार से करें | सूर्य नमस्कार में 12 आसान होते हैं। इसे सुबह के समय करना बेहतर होता है। सूर्य नमस्कार के नियमित अभ्यास से शरीर में रक्त संचरण बेहतर होता है, स्वास्थ्य बना रहता है और शरीर रोगमुक्त रहता है। सूर्य नमस्कार से हृदय, यकृत, आँत, पेट, छाती, गला, पैर शरीर के सभी अंगो के लिए बहुत से लाभ हैं। सूर्य नमस्कार सिर से लेकर पैर तक शरीर के सभी अंगो को बहुत लाभान्वित करता है। यही कारण है कि सभी योग विशेषज्ञ इसके अभ्यास पर विशेष बल देते हैं।
सूर्य नमस्कार के आसन हल्के व्यायाम और योगासनो के बीच की कड़ी की तरह है और खाली पेट कभी भी किए जा सकते हैं। हालाँकि सूर्य नमस्कार के लिए सुबह का समय सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि यह मन व शरीर को ऊर्जान्वित कर तरो ताज़ा कर देता है और दिनभर के कामो के लिए तैयार कर देता है। यदि यह दोपहर में किया जाता है तो यह शरीर को तत्काल ऊर्जा से भर देता है, वहीं शाम को करने पर तनाव को कम करने में मदद करता है। यदि सूर्य नमस्कार तेज गति के साथ किया जाए तो बहुत अच्छा व्यायाम साबित हो सकता है और वजन कम करने में मदद कर सकता है।
अध्यक्ष विनीता गोनियाल ने मेंबर्स को बताया कि बच्चो को सूर्य नमस्कार जरूर करना चाहिए।
सूर्य नमस्कार मन शांत करता है और एकाग्रता को बढ़ाता है। आजकल बच्चे महती प्रतिस्पर्धा का सामना करते है। इसलिए उन्हे नित्यप्रति सूर्य नमस्कार करना चाहिए क्योंकि इससे उनकी सहनशक्ति बढ़ती है और परीक्षा के दिनों की चिंता, कोरोना काल की समस्या और असहजता कम होती है।
सूर्य नमस्कार के नियमित अभ्यास से शरीर में शक्ति और ओज की वृद्धि होती है। यह मांसपेशियों का सबसे अच्छा व्यायाम है और हमारे भविष्य के खिलाड़ियों के मेरुदण्ड और अंगो के लचीलेपन को बढ़ता है। 5 वर्ष तक के बच्चे नियमित सूर्य नमस्कार करना प्रारंभ कर सकते हैं।
महिलाओं को सूर्य नमस्कार जरूर करना चाहिए।
ऐसा कहा जाता है सूर्य नमस्कार वो कर सकता है, जो महीनो के संतुलित आहार से भी नही हो सकता है। स्वास्थ्य के प्रति सचेत महिलाओं के लिए यह एक वरदान है। इससे आप न केवल अतिरिक्त कैलोरी कम करते है बल्कि पेट की मांसपेशियो के सहज खिचाव से बिना खर्चे सही आकार पा सकते हैं। सूर्य नमस्कार के कई आसन कुछ ग्रंथियो को उत्तेजित कर देते हैं, जैसे की थाईरॉड ग्रंथि (जो हमारे वजन पर ख़ासा असर डालती है) के हॉर्मोने के स्राव को बढ़ाकर पेट की अतिरिक्त वसा को कम करने में मदद करते हैं। सूर्य नमस्कार का नियमित अभ्यास महिलाओं के मासिक धर्म की अनियमितता को दूर करता है और प्रसव को भी आसान करता है। साथ ही ये चेहरे पर निखार वापस लाने में मदद करता है, झुर्रियों को आने से रोकता है और हमे चिरयुवा और कांतिमान बनाता है।
सूर्य नमस्कार से अंतरदृष्टी विकसित करें |
सूर्य नमस्कार व ध्यान के नियमित अभ्यास से मणिपुर चक्र बादाम के आकार से बढ़कर हथेली के आकार का हो जाता है। मणिपुर चक्र का यह विकास जो की हमारा दूसरा मस्तिष्क भी कहलाता है, हमारी अंतरदृष्टी विकसित कर हमे अधिक स्पष्ट और केंद्रित बनाता है। मणिपुर चक्र का सिकुड़ना अवसाद और दूसरी नकारात्मक प्रवृत्तियों की ओर ले जाता है।
सूर्य नमस्कार के ढेरों लाभ हमारे शरीर को स्वस्थ और मन को शांत रखते है, इसीलिए सभी योग विशेषज्ञ सूर्य नमस्कार के नियमित अभ्यास पर विशेष बल देते हैं।
क्लब का इस वर्ष योग दिवस सूर्य नमस्कार को समर्पित है।क्लब से अध्यक्ष विनीता गोनियाल,सेक्रेट्री मोनिका अरोरा, एडिटर कविता शर्मा,कनुप्रिया मिश्र,इंदु मिश्र, लवी गोयल, जया चावला, इशिता अरोरा,नीलम ननकानी आदि का विशेष सहयोग रहा।