उत्तराखंड राज्य की मलिन बस्तियों के जब वोटर वैध हैं, तो बस्तियां कैसे अवैध हो सकती हैं ? :- सचिन बेदी
सबसे तेज प्रधान टाइम्स
मनोज ननकानी / हरिश वलेजा
हरिद्वार - उत्तराखंड राज्य का निर्माण हुए 20 वर्ष से अधिक का समय गुजर चुका है। इस दौरान राज्य में बारी बारी से कांग्रेस और बीजेपी की सरकारे रही, परंतु राज्य की मलिन बस्तियों में रह रहे लोगों को आज तक भी कोई सरकार मालिकाना हक नहीं दिला सकी।
आम आदमी पार्टी प्रवक्ता एवं मीडिया प्रभारी विधानसभा हरिद्वार सचिन बेदी एडवोकेट ने कहा कि *"दोनों राजनैतिक दलों के नेता वायदा तो करते हैं परंतु बाद में भूल जाते हैं"* किसी भी सरकार द्वारा उन बस्तियों को आज तक भी न तो नियमित किया गया और न ही उनमें रह रहे लोगों को मालिकाना हक दिया गया, जबकि इन बस्तियों में रहने वाली लाखों लोगों की संख्या जो हर बार चुनाव में अपने मताधिकारो का प्रयोग कर राज्य में सरकार बनाने में अपनी अहम भूमिका निभाती चली आ रही हैं। परंतु चुनाव के बाद उन लोगों की कही कोई सुनवाई नहीं होती। सवाल उठता है कि जब उन बस्तियों में रहने वाले लोगों के वोट वैध हो सकते हैं, तो ऐसी बस्तियां कैसे अवैध हो सकती हैं? यह बड़ा ही विचारणीय बिंदु है। यह दोनों दल चुनाव के समय इन बस्तियों को नियमित करने का सब्जबाग दिखाकर और लोगों को ऐसी बस्तियों को नियमित कर उन्हें मालिकाना हक दिलाने का लालच देकर तथा लोगों को भ्रमित कर उनसे वोट हासिल करती है। दोनों दलों के लिए यह सिर्फ चुनावी एक मुद्दा बनकर रह गया है। सत्यता एवं वास्तविकता से इन दोनों दलों का कोई सरोकार नहीं है। इन बस्तियों की याद इन्हें सिर्फ चुनाव के समय आती है। इनका एक मात्र उद्देश्य जनता को गुमराह कर सिर्फ उनका वोट हासिल कर अपनी अपनी सरकार बनाना होता है, जो किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है। आम आदमी पार्टी इसका पुरजोर विरोध करती हैं तथा सरकार से प्रदेश की ऐसी सभी बस्तियों को शीघ्र से शीघ्र नियमित कर उनमें रह रहे लोगों को मालिकाना हक देने की मांग करती है।