पौराणिक श्रीक्षेत्र में 125 वीं ऐतिहासिक रामलीला मंचन की भव्य तैयारीयां जोर शोर से चल रही है--आदर्श रामलीला कमेटी श्रीनगर
पौराणिक श्रीक्षेत्र में 125 वीं ऐतिहासिक रामलीला मंचन की भव्य तैयारीयां जोर शोर से चल रही है--आदर्श रामलीला कमेटी श्रीनगर
सबसे तेज प्रधान टाइम्स गबर सिंह भण्डारी
श्रीनगर गढ़वाल। ऐतिहासिक सांस्कृतिक आध्यात्मिक पौराणिक धर्मनगरी से विख्यात मां अलकनंदा नदी के किनारे बसा रमणीक देवभूमि का श्रीक्षेत्र श्रीनगर जहां के कण-कण में भगवान शिव का वास है जो कि चारों ओर से प्राचीन मठ मंदिरों से घिरा हुआ है। इस शहर में विश्व प्रसिद्ध भगवान कमलेश्वर महादेव साक्षात विराजमान है तथा इस श्रीक्षेत्र को ऋषि मुनियों की तपोभूमि भी कहा जाता है। आपको बताते चले की श्रीनगर की आदर्श रामलीला कमेटी द्वारा 125 वीं रामलीला का मंचन भव्य व ऐतिहासिक रूप में किया जा रहा है। इतिहास में गढ़वाल मंडल की सबसे पुरानी पौराणिक रामलीला मंचन श्रीनगर शहर की मानी जाती है पौराणिक धरोहर स्थानीय लोगों के प्रयास से आयोजित होती है श्रीनगर की रामलीला कई मायनों में खास है सभी धर्म के लोग मिल जुलकर इस आयोजन में अहम भूमिका निभाते हुए सर्व-धर्म समभाव की मिसाल भी पेश करते हैं तथा सनातनी धर्मावलंबी ही रामलीला के पात्र बनते हैं। ऋषि मुनियों की तपोभूमि श्रीनगर की आदर्श रामलीला ने उत्तराखंड का नाम अंतरराष्ट्रीय पटल पर रोशन किया है। श्रीनगर की श्री रामलीला ऐतिहासिक एवं पूर्णतय धार्मिक अनुष्ठान पर आधारित होने के साथ ही ऐतिहासिक धरोहर घोषित है। श्रीनगर आदर्श रामलीला कमेटी के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह कैंतुरा का कहना है कि स्थानीय धार्मिक लोगों के सहयोग से ऐतिहासिक रामलीला का प्रथम मंचन 1896 से निरंतर चल रहा है लेकिन पिछले कुछ वर्ष पूर्व रामलीला मंचन नहीं हो पाया जैसे उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान,श्रीनगर दैविक आपदाओं के दौरान,कोरोना काल के दौरान चार वर्ष श्रीराम-लीला का मंचन नहीं हो पाया अगर यह श्री रामलीला निरंतर चलती तो 129 वर्ष होते लेकिन समय के आगे किसी की नहीं चली और इस वर्ष 2024 में श्री रामलीला मंचन के 125 वर्ष पूर्ण होने पर ऐतिहासिक रामलीला का आयोजन किया जा रहा है। आपको बता दें कि राजेंद्र सिंह कैतुरा लगभग 32 वर्षों से निरंतर आदर्श रामलीला कमेटी के अध्यक्ष व पदाधिकारी रहे हैं। उन्होंने बताया कि श्री रामलीला के मंचन को इस वर्ष और अधिक ऐतिहासिक एवं आदर्श बनाने की ओर अग्रसर हैं इस लीला के आयोजन के लिए स्थानीय नागरिकों के सहयोग से पिछले तीन-चार महीने से तैयारीयां चल रही है। श्री रामलीला मंचन के विषय में आदर्श रामलीला कमेटी के सहयोगी तीन बार ऐतिहासिक शहर के नगर पालिका परिषद अध्यक्ष रहे,उत्तराखंड जैन समाज के संरक्षक व श्री रामलीला मंचन के पात्र रहे मोहनलाल जैन ने बताया कि श्रीनगर की श्री रामलीला का प्रथम मंचन पौराणिक कमलेश्वर महादेव से शुरू होता है उसके बाद रामलीला मैदान में आगे का मंचन किया जाता है,भगवान राम की वनवास गमन लीला शारदा घाट अलकनंदा नदी के किनारे आयोजित किया जाता है तथा श्रीराम वन से वापिस की झांकी शारदा घाट से वापस आती है और सबसे बड़ी बात यह है कि झांकी के दिन शहरवासी अपने घरों को दीपावली की तरह दीपक जला कर सजाते है। श्रीनगर की रामलीला ने पिछले कई वर्षों से तमाम उतार चढ़ाव देखे हैं आपको बता दें कि रामलीला मंचन ने चीड़ के छिलकों की रोशनी,भिमल के लकड़ियों से लेकर अत्याधुनिक रोशनी तक का सफर तय किया है,इस शहर की रामलीला मंचन सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल रही है। श्रीनगर रामलीला मंचन की शुरुआत तब हुई थी जब बिजली की कोई व्यवस्था नहीं थी मंचन के लिए चीड़ की लकड़ियों की मसाला बनाई जाती थी। श्रीनगर रामलीला मंचन को देखने देश-विदेश और दूर-दराज क्षेत्रों से श्रद्धालु रामभक्त लीला देखने यहां पहुंचते थे। इस ऐतिहासिक शहर की रामलीला बेहद महत्वपूर्ण है। 125 वीं ऐतिहासिक रामलीला के आयोजन को भव्य बनाने के लिए पूरी तैयारीयां जोर-जोर से चल रही है। इस समय स्थानीय श्रद्धालु नागरिकों के साथ-साथ शहर से बाहर के लोग भी बढ़-चढ़कर सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने आगे बताया कि शहर की सुरक्षा हेतु प्रथम नवरात्रि को हनुमान ध्वज पौराणिक गणेश मंदिर से प्रारंभ होते हुए पूरे शहर भर में घुमाकर रामलीला मैदान के प्रांगण में स्थापित किया जाता है और राम राज्य अभिषेक के बाद मंगलवार के दिन पंडितों द्वारा पूजा अर्चना कर हनुमान ध्वज रामलीला मैदान से निकालकर प्राचीन हनुमान मंदिर में स्थापित कर दिया जाता है। इसके बाद रामलीला कमेटी द्वारा शहर भर में हनुमान प्रसाद वितरण किया जाता है। आगे आपको बताते चले की गढ़वाल क्षेत्र का मुख्य स्थल श्रीनगर रामलीलाओं का इतिहास सदियों पुराना है, श्रीनगर की रामलीला का इंतजार गढ़वाल के हर व्यक्ति को रहता है इस बार 125 वीं रामलीला देखने का उत्साह शहर भर में देखने को मिल रहा है, श्रीनगर शहर की रामलीला को धार्मिक परंपराओं एवं स्वच्छ तरीके से प्रदर्शित किया जाता है।