जनता की सेवा के लिए मैंने अपनी बेटी को किया है समर्पित - हरिश रावत
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मनोज ननकानी / हरीश वलेजा
हरिद्वार - जैसे-जैसे मतदान की तिथि करीब आती जा रही है सभी प्रत्याशियों के प्रचार करने के तरीके भी तेजी पकड़ते जा रहे हैं चाहे स्टार प्रचारक हों या राष्ट्रीय स्तर के नेता सभी ने प्रत्याशियों के प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी है इसी क्रम में हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा 35 में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की सुपुत्री अनुपमा रावत भी कैबिनेट में मंत्री रहे स्वामी यतिस्वरानंद के खिलाफ कांग्रेस के प्रत्याशी रूप में मैदान में उतरी हैं। हरीश रावत ने अपनी सुपुत्री के लिए गुरुवार को हरिद्वार ग्रामीण में कई जगह जनसंपर्क किया और जनसभाओं को भी संबोधित किया ग्राम सराय में जनता को संबोधित करते हुए हरीश रावत ने कहा कि यहां की जनता ने पहले मुझे चुनाव मैदान में उतरने के लिए कहा लेकिन मेरे मना करने पर उन्होंने मेरी सुपुत्री के लिए कहा कि इनको चुनाव लड़वाइए लेकिन मैं नहीं चाहता था कि अनुपमा चुनाव लड़े और हार जाए जब कई बार स्थानीय कांग्रेश के नेताओं के आग्रह पर कि हम अपनी बहन और बेटी के रूप में अनुपमा रावत को भारी मतों से विजय दिलवाएंगे उनकी बात मानकर मैंने अपनी बेटी को हरिद्वार ग्रामीण से पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतिस्वरानंद के खिलाफ मैदान में उतारा है मैं पूछना चाहता हूं आप सभी से क्या कोई अपनी बेटी को ऐसे दाव पर लगाता है जैसे मैने लगाया है ?आप सभी का आग्रह मैंने माना है लेकिन आप सभी लोगों को भी मुझे विश्वास दिलाना होगा कि यह सीट आप भारी मतों से विजय दिलाकर मेरे 55 वर्षीय राजनीतिक जीवन की लाज रखते हुए मेरी बेटी अनुपमा रावत को विजयी बनाएंगे उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि मैंने हमेशा गरीब तबकों और बिना जाति के भेदभाव करते हुए आप सब लोगों की सेवा की है मेरे मुख्यमंत्री काल में जो लोग आधी रात को भी अगर मेरे दर पर आते थे तो मैं उनको खाली नहीं लौटाता था उन्होने जनता से पूछते हुए कहा क्या आज के मुख्यमंत्री के पास आप इस तरह से जा सकते हैं ? हरीश रावत ने कहा यदि अनुपमा रावत यहां से जीतती हैं तो क्षेत्र के विकास के लिए हम हमेशा तत्पर रहेंगे और जनता की समस्या हर हाल में हल करेंगे। यहां डिग्री कॉलेज की भी स्थापना करवाएंगे उन्होंने अपनी बेटी की दुहाई देते हुए लोगों से कांग्रेस के पक्ष में वोट देने की अपील की इस जनसभा में भारी संख्या में लोग जुटे थे जिनमें अधिकांश अल्पसंख्यक समुदाय के लोग थे।