उत्तराखंड का प्राचीन पांडव लोकनृत्य ग्राम पंचायत मुसोली में आयोजित
सबसे तेज प्रधान टाइम्स गबर सिंह भण्डारी श्रीनगर गढ़वाल। पांडव नृत्य उत्तराखंड राज्य का एक प्रमुख लोक नृत्य के रूप में जाना जाता है यह नृत्य महाभारत से पांच पांडवों के जीवन से संबंधित है। विगत 16 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद 1 से 9 जनवरी 2025 तक गैंडी कौथिक के साथ समापन होगा। जनपद पौड़ी गढ़वाल के अंतर्गत विकास खण्ड खिर्सू की ग्राम पंचायत मुसोली में पांडव लोकनृत्य आयोजित किया जा रहा है बताया जाता है कि पूरे श्रीनगर क्षेत्र में मुसोली पंचायत की सबसे अलग पांडव नृत्य होता है ऐसे नृत्य में सबसे मुख्य मोरू का वृक्ष है पांडव नृत्य के पांचवें दिन इस वृक्ष को लाया जाता है,कहते हैं कि मोरू वृक्ष पाण्डवों की ओर से रुक्मणी-रुपेणा को दोण दहेज का प्रतीक है। मान्यता के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने माता रुक्मणी को भगाकर शादी की थी जो माता रूकमणि के परिवार को मंजूर न था जिससे मैती विहिन रुक्मणी दुखी रहने लगी। यह सब दुख देखकर पांडव रुक्मणी माता के मैती बने और उन्हें अपनी धर्म बहन माना। पांडव नृत्य उत्तराखंड राज्य का एक प्रमुख लोक नृत्य के रूप में जाना जाता है,यह नृत्य महाभारत में पांच पांडवों के जीवन से संबंधित है। उत्तराखंड की सुंदर वादियों अनेकों रीति-रिवाजों सुंदर परंपराओं के बीच में मनाया जाता है। पांडव नृत्य के माध्यम से पांच पांडवों व द्रोपदी की पूजा अर्चना करने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है। पांडव नृत्य गढ़वाल की लोक संस्कृति एवं वाद्य यंत्रों की थाप और धुनों पर नित्य करते हैं। उत्तराखंड के पारंपरिक वाद्य यंत्र ढोल एवं दमाऊं से अलौकिक शक्तियां देव रूप में अवतरित होती हैं। इस भव्य और बृहद आयोजन के दौरान गढ़वाल में भौगोलिक दृष्टि से दूर-दूर रहने अली पहाड़ की बहू बेटियां अपने मायके आती हैं जिससे उनको वहां के लोगों को अपना सुख-दुख बांटने का अवसर मिल जाता है और पहाड़ से पलायन कर चुके पहाड़ वासी व रोजगार के लिए अपने गांव छोड़कर शहर गए हुए हैं वह भी इस पांडव लोक नृत्य में अपने घरों आते हैं। पांडव नृत्य पहाड़ वासियों से एक गहरा संबंध रखता है। इस प्रकार उत्तराखंड में पांडव लोक नृत्य सदियों से चली आ रही देवभूमि की अनुपम सांस्कृतिक धरोहर है। पांडव लोक नृत्य को सुचारू रूप से आगे बढ़ाने के लिए पांडव लोक नृत्य समिति मुसोली के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह रौथाण,मुख्य संयोजक भगवान सिंह मेवाड़,ग्राम पंचायत के प्रधान विनोद पाण्डे,संरक्षक अनुसुया प्रसाद पाण्डे, पंडित प्रभाकर पांडे,प्रधान अमरपाल सिंह रौथाण,ढोल-दमाऊं वादक बसंत लाल एवं राजेंद्र लाल एवं ग्राम पंचायत के सभी नवयुवक महिला मंगल दल,बुद्धिजीवी एवं वृद्धजनों का विशेष सहयोग मिल रहा है।