पौड़ी गढ़वाल में प्रकृति की गोद में बसा सिद्ध पीठ ताड़केश्वर महादेव मंदिर
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गौरव अग्रवाल
हरिद्वार। धर्म नगरी से 135 किलोमीटर दूर पौड़ी गढ़वाल में स्थित सिद्धपीठ ताड़केश्वर महादेव मंदिर पौराणिक कथाओं के अनुसार तारकासुर एक राक्षस था जिसने वरदान के लिए इसी स्थान पर भगवान शिव की तपस्या और पूजा की थी उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे अमृता का वरदान दिया लेकिन वरदान पाकर तड़कासुर संतो को मारने लगा और देवी देवताओं को धमकाने लगा तब ऋषियों ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि वह तड़कासुर का अंत करें तब भगवान शिव के आदेश पर कार्तिकेय ने तड़कासुर का वध किया।
तभी से इसी जगह को तड़कासुर महादेव के नाम से जाना जाता है मंदिर का परिसर में हजारों की संख्या में देवदार के पेड़ लगे हैं जो मंदिर के परिसर की खूबसूरती और भी बढ़ा देता है ।मंदिर परिसर में एक कुंड भी है। मान्यता है है कि यह कुंड स्वयं माता लक्ष्मी ने खोदा था। इस कुंड के पवित्र जल का उपयोग शिवलिंग के जलाभिषेक के लिए होता है। जनश्रुति के अनुसार यहां पर सरसों का तेल और शाल के पत्तों का लाना वर्जित है। लेकिन इसकी वजह के बारे में लोग कुछ कह नहीं पाते।ताड़केश्वर महादेव मंदिर बलूत और देवदार के वनों से घिरा हुआ है जो देखने में बहुत मनोरम लगता है। यहां कई पानी के छोटे छोटे झरने भी बहते हैं। यह मंदिर सिद्ध पीठों में से एक है। यहां आप किसी भी दिन सुबह 8 बजे से 5 बजे तक दर्शन कर सकते हैं। लेकिन महाशिवरात्रि पर यहां का नजारा अद्भुत होता है। इस अवसर पर यहां विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है।