एकात्म मानववाद के प्रणेता थे पंडित दीन दयाल उपाध्याय: प्रो. संजीव भट्ट
कुलदीप शर्मा
हरिद्वार। 25 सितंबर 2024 को उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के परिसर में पंडित दीन दयाल उपाध्याय की 162वीं जयंती के अवसर पर पंडित दीन दयाल शोध पीठ द्वारा द्वितीय वर्ष की संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में राजकीय संस्कृत महाविद्यालय के प्रो. संजीव प्रसाद भट्ट, अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के शिक्षाशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. अरविंद नारायण मिश्र, समन्वयक डॉ. श्वेता अवस्थी और संयोजक डॉ. सुमन प्रसाद भट्ट सहित अनेक विद्वान उपस्थित रहे।कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि प्रो. संजीव प्रसाद भट्ट द्वारा दीप प्रज्वलन से हुई, जिसके बाद उन्हें पुष्पगुच्छ और शॉल देकर सम्मानित किया गया। इसके बाद डॉ. सुमन प्रसाद भट्ट ने स्वागत अभिभाषण प्रस्तुत करते हुए मुख्य अतिथि को मंच पर आमंत्रित किया।मुख्य अतिथि प्रो. संजीव प्रसाद भट्ट ने पंडित दीन दयाल उपाध्याय को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने उपाध्याय जी की अंत्योदय और वसुधैव कुटुंबकम् की अवधारणा, 1939 में डॉ. हेडगेवार के साथ संबंध, 1951 में स्थापित कुटीर उद्योग की पहल, और कृषि संबंधी विचारों पर विस्तृत रूप से चर्चा की। उन्होंने उपाध्याय जी के विचारों को आधुनिक समय में अत्यधिक प्रासंगिक बताया।इसके बाद शिक्षाशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. अरविंद नारायण मिश्र ने सभा को संबोधित किया। उन्होंने 19वीं शताब्दी के कार्ल मार्क्स और 20वीं शताब्दी के पंडित दीन दयाल उपाध्याय की विचारधाराओं की तुलना करते हुए उपाध्याय जी को एशिया के प्रतिनिधि विचारक के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने उपाध्याय के एकात्म मानववाद के सिद्धांत को आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से समझाते हुए उनके समृद्ध भारत निर्माण के सपने की व्याख्या की।समन्वयक डॉ. श्वेता अवस्थी ने अपने संबोधन में उपाध्याय जी के विचारों को मॉडर्न शिक्षा प्रणाली से जोड़ते हुए उनकी प्रासंगिकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि उपाध्याय जी के विचार शिक्षा के क्षेत्र में नैतिक मूल्यों की पुनर्स्थापना और सामाजिक उत्थान के लिए मार्गदर्शक सिद्ध हो सकते हैं।कार्यक्रम के अंत में विद्वान वक्ताओं और विद्यार्थियों ने पंडित दीन दयाल उपाध्याय के विचारों पर विस्तृत चर्चा की और उनकी अवधारणाओं को आधुनिक समाज के निर्माण के लिए प्रेरणादायक बताया। संगोष्ठी के सफल आयोजन में सभी उपस्थित जनों ने अपनी सहभागिता दी, और कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।