हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व : रेखा नेगी
मनन ढींगरा
हरिद्वार। राष्ट्रीय मानव अधिकार संरक्षण ट्रस्ट की राष्ट्रीय सचिव रेखा नेगी ने 02 अक्टूबर को पड़ने वाले पितृ अमावस्या पर जानकारी देते हुए बताया कि हिंदू धर्म में पितृपक्ष के दिनों का बहुत ही खास महत्व है| हमारे परिवार के जिन पूर्वजों का देहांत हो चुका है, उन्हें हम पितृ मानते हैं| मृत्यु के बाद जब व्यक्ति का जन्म नहीं होता है तो वो सूक्ष्म लोक में रहता है| फिर, पितरों का आशीर्वाद सूक्ष्म लोक से परिवारवालों को मिलता है| पितृपक्ष में पितृ धरती पर आकर अपने लोगों पर ध्यान देते हैं और उन्हें आशीर्वाद देकर उनकी समस्याएं दूर करते हैं|
सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितरों की विदाई की जाती है। आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को ही सर्व पितृ अमावस्या कहा जाता है। इस दिन सभी पितरों का श्राद्ध कर्म किया जाता है। सर्वपितृ अमावस्या का विशेष महत्व है। सर्वपितृ अमावस्या के दिन उन सभी का श्राद्ध भी किया जाता है जिनका श्राद्ध करना किसी कारण के छूट जाता है उन सभी का भी इस दिन श्राद्ध किया जा सकता है।
गरुड़ पुराण में निहित है कि सर्वपितृ अमावस्या तिथि पर पितरों का तर्पण एवं पिंडदान करने से तीन पीढ़ी के पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं व्यक्ति विशेष पर पितरों की असीम कृपा-दृष्टि बरसती है। उनकी कृपा से सुख सौभाग्य और वंश में वृद्धि होती है। इस शुभ अवसर पर साधक गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान कर पितरों का तर्पण करते हैं। सर्वपितृ अमावस्या तिथि पर पितृ पक्ष का समापन होता है। इस दिन पितृ पृथ्वी लोक से विदा होते हैं। इसके लिए सर्वपितृ अमावस्या पर स्नान-ध्यान, पूजा, जप-तप एवं दान-पुण्य किया जाता है। सर्वपितृ अमावस्या पर श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण आदि के कार्य करने से पितरों का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
हरिद्वार के गंगा घाटों में अधिक से अधिक लोग पितरों के आत्म तृप्ति के लिए तर्पण करते है। पितरों के लिए निर्मित नारायणबलि और कर्मकांड संपन्न करवाने से स्वयं का भी कल्याण होता है। मान्यता है, श्रीहरि के कंठ से लेकर नाभि तक का हिस्सा हरिद्वार स्थित नारायणी शिला के रूप में पूजा जाता है। भगवान नारायण का साक्षात् हृदय स्थान हरिद्वार को कहा जाता है, मां लक्ष्मी भगवान नारायण के हृदय में निवास करती है| इसलिए इस स्थान पर श्राद्ध कर्म का विशेष महत्व है| यहां पितरों का पिंडदान और तर्पण करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।