खनन के खेल में शामिल है मुख्यमंत्री धामी का परिवार : मातृ सदन
कुलदीप शर्मा
हरिद्वार। मातृ सदन ने एक प्रेस वार्ता का आयोजन कर मुख्यमंत्री के परिवार पर खनन के खेल में संलिप्त होने का आरोप लगाया है। प्रेस वार्ता में कहा गया कि अभी गंगा की विभीषिका है कि आज रात भी भारी मात्रा में खनन हुआ है | हरिद्वार के डीएम और एसएसपी ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें कानून का डर नहीं है क्यूंकि इन्हें मुख्यमंत्री का प्रश्रय प्राप्त है | धामी जी के परिवार के लोग ही खनन के खेल में सीधा संलिप्त हैं | हमने धामी जी को इस विषय में 2 मार्च 2024 को पत्र भी दिया जिसका उन्होनें कोई जवाब नहीं दिया | साथ ही साथ इसी पत्र को हमने मोदी जी को भेजा है कि अब वे ही निर्णय करें नहीं तो हम अपनी धारणा बनाने के लिए बाध्य होंगे | अवैध खनन की तैयारी संध्या से ही होती है, हमें इसकी सूचना मिलती है, संबंधित अधिकारियों को सूचना देने के बाद भी रात भर खनन होता है, जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कोई संज्ञान नहीं लेते हैं। इसलिए हम अब उत्तराखंड के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखने जा रहे हैं कि वे इसका suo motu संज्ञान लें क्यूंकि इस ढंग की अराजकता के लिए छूट नहीं दी जा सकती, नहीं तो हम वाद दायर कर प्रशासनिक अधिकारियों की इस मिलीभगत को उजागर करेंगे | आप संविधान के रक्षक हैं, इसलिए आपका ये कर्तव्य बनता है कि इस मामले का सीधा संज्ञान लें।
अब नया वाकया सामने आ रहा है कि उत्तराखंड सरकार निजी कम्पनियों को रॉयल्टी चोरी पकड़ने का टेन्डर जारी करेगी और इससे केवल 4 जिलों से प्रत्येक वर्ष सरकार 303 करोड़ रुपये कमाएगी | इससे ज्यादा भ्रस्टाचार का और क्या प्रमाण होगा? खनन में जितना रिप्लेनिश्मन्ट होगा उतनी ही मात्रा में खनन होगा, तो मूल्यांकन पहले ही कैसे कर लिया गया? कौन अधिकारी और कौन वैज्ञानिक इस प्रकार की सलाह दे रहे हैं ? ये सब इसलिए हो रहा है क्यूंकि धामी जी परिवार के लोग स्वतः इसमें मिले हुए हैं | यहाँ उत्तराखंड में तो 35% कमिशन का चलन है, तो जो ये धामी जी हजारों करोड़ की परियोजनाएँ ला रहे हैं, उनमें से कितना धरातल पर उतर रहा है ? धामी जी के क्षेत्रवासियों ने ही उन्हें चुनाव में हरा दिया था, जनता ने उन्हें नकार दिया था, लेकिन फिर उन्हें दूसरी जगह से जितवाया गया | उनकी नीतियों से पहाड़ खाली हो रहे हैं और मैदान खोदे जा रहे हैं | अब तो हरिद्वार वासियों से कहना चाहेंगे कि उत्तराखंड से अलग ही हो जाएँ क्यूंकि हरिद्वार का उत्तराखंड में आना अभिशाप हुआ | ऊपर से पत्थर बहकर मैदान में नहीं आता है, इसलिए मैदान में यदि पत्थर खोद लेंगे तो लैन्स्लाइड होगा, अनेक आपदाएँ आएंगी | हरिद्वार में यही हो रहा है | अनेक शोधपत्र हैं कि यहाँ से यदि एक कतरा रेत भी उठाया जाएगा तो उसका प्रभाव सर्वव्यापक होगा |
उत्तराखंड में लगातार देवत्व का ह्रास हो रहा है | शायद ही कोई ऐसा दिन होगा जब उत्तराखंड में मौतें नहीं हो रही हों, हादसे होना, गाड़ी गिर जाना, पहाड़ों से पत्थर गिरना | 2 दिन पहले ही गणेश स्टोन क्रशर के पास खनन के गड्ढे में गिरकर एक ट्रैक्टर चालक की मौत हो गई, ये न्यूज किसी अखबार में प्रकाशित तक नहीं हुई। इन सब के बीच जो बातें सामने आ रहीं हैं उससे एक बात स्पष्ट है कि धामी जी जैसे अधार्मिक, धर्मद्रोही, गंगाद्रोही, मानवता का द्रोही व्यक्ति बहुत ही कम होंगे | एक तरफ मंदिर के बाहरी सजावट के लिए करोडों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन दूसरे तरफ मंदिर के देवत्व को ही नष्ट किया जा रहा है | केदारनाथ-बद्रीनाथ को पूरी तरह नष्ट किया जा रहा है, पूरे हरिद्वार को तीर्थ नगरी कहा जाता है, यहाँ गंगा को ही बर्बाद किया जा रहा है | हरिद्वार के अधिकांश साधुओं को ही गंगा की वेदना समझ नहीं आती है, इसलिए वे साधु कहलाने लायक नहीं हैं | गंगा के शिव तुल्य पत्थरों के प्रति इनकी ममता नहीं है | सर्वसाधारण व्यक्ति के लिए सब संसाधन बंद हो गए हैं | हमें एक पुरोहित ने ही बताया कि पहले गरीब व्यक्ति तीर्थ स्थानों में पंडे-पुरोहितों के घर रुक जाते हैं, लेकिन अब उनके घर ही तोड़ दिए गए | मंदिर में पैसा देकर दर्शन करवाने की परिपाटी चल गई | साधुओं के भी अलग से दर्शन की व्यवस्था नहीं है | साधु तो अब इनके नजर में वहीं हैं जो चापलूस हैं | साधु को तो निर्भीक होना चाहिए, सत्य बोलने का साहस होना चाहिए, धर्म के साथ रहना चाहिए, हरिद्वार है तो गंगा के साथ रहना चाहिए | साधु अब सरकारी एजेंटों के पीछे घूमते हैं | आपलोग अपना इतिहास कलंकित करेंगे लेकिन मातृ सदन का इतिहास तो बनता जा रहा है, इसे कोई रोक नहीं सकता है | कालांतर में मातृ सदन का ही इतिहास रहेगा आपलोग कहाँ जाएंगे, ये तो कहा नहीं जा सकता | इसलिए सभी से और धामी जी से विशेष रूप से अनुरोध करेंगे कि गंगा के अभिशाप का भागी मत बनिए | हरिद्वार में खेल का मैदान बनाएंगे और यहाँ के तीर्थत्व का ह्रास करेंगे, ये वस्तुस्थिति है|
हरिद्वार में जिस गंगा में स्नान करके, जलपान करके लोगों की बीमारी दूर होती थी, NEERI की रिपोर्ट है कि गंगाजी में जो bacteriophage हैं, उसमें 17 बीमारियों को ठीक करने की क्षमता है | अथर्ववेद में भी आया है कि गंगाजी और अन्य नदियों के जल से ही कितनी बीमारियाँ ठीक होती हैं | नदियों को बर्बाद कर दिया गया, जिस गंगा जल के पान मात्र से बीमारियाँ ठीक होतीं है, उस गंगाजी के किनारे अब करोडों का अस्पताल बनेगा और सकल घरेलू उत्पाद बढ़ेगा, लेकिन गंगाजी स्वच्छ होंगी, इससे सकल घरेलू उत्पाद नहीं बढ़ेगा, इसलिए अस्पताल बनाओ ! ये जो विकास का मॉडेल है, ये जो ईकानॉमी है, ये घातक ईकानॉमी है !
अब प्रश्न ये भी उठता है कि गत वर्ष मातृ सदन में अत्यंत संदेहास्पद घटनाओं की जांच के संबंध में जो एसआईटी बैठी, उसको दबाने वाले कौन हैं? इसलिए हमारे पास जो प्रमाण हैं, उसके लिए या तो वे स्वयं आयें या उनके प्रतिनिधि आयें | जैसे हमने पूर्व में जब प्रमाण दिया कि कैसे उत्तराखंड के पूर्व पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार हमें मरवाने के पीछे लगे हैं, तो जिस दिन, 13 सितंबर 2023, को हमारा बयान हुआ, उसी दिन आपने तत्कालीन एसएसपी अजय सिंह और जांच अधिकारी श्रीमती रेखा यादव दोनों ही अधिकारियों का ट्रैन्स्फर कर दिया | अब हम धामी जी को ही जिम्मेदार समझेंगे कि मातृ सदन के विरुद्ध जो षड्यन्त्र चल रहे हैं, इसके पीछे धामी जी ही हैं | ये सब उन्हीं के संज्ञान में हो रहा है | यदि धामी जी अब भी मौन रहते हैं तो हमने जो उन्हें 2 मार्च 2024 को पत्र दिया है, उसे हम सार्वजनिक करेंगे, तब धामी जी ये न कहें कि हमने उनकी मानहानि की है।