री-एडमिशन शुल्क पर लगे रोक : कुशलानाथं
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गबर सिंह भण्डारी
श्रीनगर गढ़वाल। श्रीनगर के निजी एवं मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों में री एडमिशन शुल्क पर लगे रोक के संबंध में आरटीई/आरटीआई कार्यकर्ता कुशलानाथं ने श्रीनगर के क्षेत्रीय विधायक एवं उत्तराखंड सरकार के शिक्षा मंत्री डॉ.धन सिंह रावत को इस विषय में पत्र के माध्यम से अवगत करवाया है कि वर्तमान समय मे प्रदेश में लगभग 5000 से अधिक निजी एवं मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूल संचालित है,मान्यता प्राप्त एवं निजी प्राइवेट स्कूलों के द्वारा नर्सरी से लेकर हायर एजुकेशन तक प्राइवेट स्कूलों के प्रबंधकीय एवं प्रधानाचार्यो के द्वारा कक्षा दर कक्षा हर वर्ष बढे हुए शुल्क के साथ रि-एडमिशन शुल्क लिया जा रहा है।
प्राइवेट स्कूलों के बच्चों से हर साल रि-एडमिशन शुल्क लिया जाता है जो बच्चे उस स्कूल मे निरन्तर अध्यनरत है,बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों के साथ घोर अन्याय है उन स्कूलों में पढ़ने वाले सभी बच्चों के माता-पिता एवं अभिभावकों को आर्थिक शोषण का शिकार होना पड़ रहा है।
सामाजिक कार्यकर्ता कुशलानाथं ने कहा कि जहां तक मेरे संज्ञान मे है कि निजी एवं मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूल हर साल रि-एडमिशन शुल्क लेने पर रोक है।
प्राइवेट स्कूल एडमिशन शुल्क के साथ अन्य मामलो मे भी कोर्ट के आदेश एवं सरकार के दिशा-निर्देश आरटीई एक्ट 2009 एवं नियमावली 2011 का पालन प्राइवेट स्कूल प्रबंधक प्रधानाचार्य पूर्ण रूप से नही कर रहे है।
सभी निजी एवं मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों में राज्य की भूमि भवन के साथ अन्य सभी विषय वस्तुओ की सरकार उच्च स्तरीय जांच की जाए।
शुल्क लेने संदर्भ में स्पष्ट निर्देश होने पर भी कानून का पालन करवाने में विभाग अभी तक सफल नहीं है।
निजी एवं मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूल सरकार के आदेश के बाद आरटीई एक्ट का खुलेआम उल्लंघन करने से बच्चों के साथ अभिभावकों को भी आर्थिक शोषण मानसिक तनाव का सामना करना पड़ रहा है।
शहरी क्षेत्र में निजी एवं मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों में आरटीई एक्ट का पालन शिक्षा विभाग अभी तक नाकाम है जिसके कारण निजी एवं मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूल किताब काफी ड्रेस बेल्ट इत्यादि समान भी स्कूलों के माध्यम से ही बच्चों के अभिभावकों को दिया जा रहा है,अभिभावकों से सामान का मूल्य लिया जा रहा है इससे सरकार को लाखों करोड़ों रुपए का राजस्व नुकसान हो रहा है। आज निजी एवं प्राइवेट स्कूल अपने शिक्षा के उद्देश्य से भटक कर आर्थिक कमाने का आधार बना दिया है जिसका सरकार के स्तर पर कार्रवाई की जानी अनिवार्य होनी चाहिए।
निजी एवं मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूल आज अभिभावकों की उदासीनता से या भय के कारण या अपने बच्चे के मानसिक व शारीरिक उत्पीड़न से बचने के लिए सभी मौन व्रत धारण किए हुए है।
कुशलानाथं ने कैबिनेट मंत्री डॉ.धन सिंह रावत से अनुरोध किया है की सभी निजी एवं मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों के प्रबंधक एवं प्रधानाचार्य को विभाग के माध्यम से री-एडमिशन शुल्क पर पूर्णत रोक लगाई जाए सभी निजी एवं मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों में आरटीई एक्ट 2009 एवं नियमावली 2011 का पूर्णतः पालन करवाया जाए।
सभी निजी एवं मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों की भूमि भवन की जांच हो सभी निजी एवं मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों की कक्षा कक्ष के साथ प्रति कक्षा 30 बच्चे से अधिक बैठने या बैठाने पर की उच्च स्तरीय जांच के साथ दोषी पाए जाने पर संबंधित विद्यालय की मान्यता खत्म करने के साथ-साथ आरटीई एक्ट के तहत विधिक कार्यवाही की जाए।
समस्त अभिभावक आपके आभारी रहेंगे।