राधा स्वामी सत्संग सभा ने खुद को जन कल्याण को समर्पित बताया
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पंकज राज चौहान
आगरा। राधास्वामी सत्संग सभा दयालबाग ने प्रेस को एक बयान जारी करते हुए अपने ऊपर लग रहे आरोपों का खंडन किया है। बयान में सभा द्वारा किए जा रहे जन उपयोगी कार्यों का उल्लेख भी किया गया है।
प्रेस को जारी बयान के अनुसार पिछले कुछ दिनों से दयालबाग द्वारा पर्यावरण संरक्षण एवं यमुना नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए बैकुण्ठघाम पर किये जा रहे प्रयासों के संबंध में बहुत ही गलत एवं भ्रामक प्रचार किया जा रहा है।
सच्चाई यह है कि राधास्वामी सत्संग सभा लगभग 205 वर्षों से भी अधिक समय से न केवल मानव एवं जीवित पशु-पक्षियों के वास्तविक कल्याणकारी कार्यों के प्रति जागरुक है,अपितु निरन्तर प्रयासरत रही है। राधास्वामी सत्संग सभा तथा विश्वभर में फैले इसके वास्तविक रूप से परोपकारी संस्थान/ केन्द्र 3000 वर्षों से भी अधिक समय से आर्य संस्कृति के मान्यता प्राप्त प्रसारक स्वीकार किये जाते रहे हैं। वर्तमान ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक भारतवर्ष में जन्म से भारतीय नागरिक के रूप में पले एवं पोधे गए हैं उन्होंने ब्रिटिश लोकसभा में महा-उपदेश भगवदगीता पर हाथ रखकर शपथ ली थी और हाल ही में एक बार फिर से महा-उपदेश भगवदगीता की दुहाई देकर पूरे संसार को अचंभित कर दिया है और इस प्रकार पर्यावरण एवं जलवायु संरक्षण के प्रति अत्यंत निरंतर संवेदनशील होने की ख्याति प्राप्त की है। इस दिशा में उठाए जा रहे कदम अनुकरणीय एवं अतुलनीय हैं।
बैकुण्ठधाम के पास यमुना किनारे राधास्वामी सत्संग सभा की कृषि योग्य भूमि है जहाँ वर्ष भर अनेक फसलें बोई एवं काटी जाती हैं। यही नहीं सत्संग सभा आर्गेनिक एवं प्रिसिशन फलिंग के लिए उचित बीजों को भी आर्गेनिक विधि से स्वयं उत्पन्न करने के लिए निरंतर प्रयासरत है क्योंकि इनआर्गेनिक कैमिकल्स विशेषज्ञों द्वारा अत्यंत हानिकारक सत्यापित माने जाते हैं। सभा की भूमि के साथ लगे यमुनातट/रिवरबेड/नदी तल/नदी का ताल पर बहुत ही गंदगी फैलाई जाती रही है। असामाजिक एवं अवान्छनीय तत्व कई प्रकार की असामाजिक गतिविधियों एवं काले धंधे में लिप्त पाए गए हैं। राधास्वामी सत्संग सभा ने तो सामाजिक कल्याण के प्रति जागरुकता से प्रभावित होकर यमुना तट पर सफाई अभियान चलाकर लगभग 10-12 ट्राली प्लास्टिक एवं अन्य प्रकार का कूड़ा हटाकर यमुना तट को पूर्ण रूप से प्रदूषण मुक्त करने का महती कार्य किया है। यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि दयालबाग शिक्षण संस्थान अपने अर्न्तराष्ट्रीय स्तर के शोध कार्यों (चैरिटेबल इनकॉरपोरेटेड ऑर्गेनाइजेशन के रूप में) के चलते बहुत अग्रणी ख्याति एवं मान्यता प्राप्त है। शिक्षण संस्थान के प्रोफेसर एवं विद्यार्थियों को यमुना एवं यमुना तट पर कई प्रकार के शोध पत्र एवं पेटेंट के रूप में मान्यता प्राप्त होने लगी है और इसके भविष्य में अनेक महत्त्वशील कार्य करने की सम्भावनाएं प्रतीत हो रही हैं। कई प्रकार की दुर्लभ जाति की वनस्पतियां तथा जडी-बूटियाँ यहाँ उपलब्ध हैं,जिनके औषधीय एवं स्वास्थ्यवर्धक गुण मानवमात्र एवं पशु-पालन के लिए कल्याणकारी सिद्ध हो रहे हैं एवं भविष्य में बाहुल्य में हो सकते हैं। इससे उत्साहित होकर दयालबाग शिक्षण संस्थान ने अपनी भूमि पर 3 प्रकार की शोधशालाएं स्थापित कर दी हैं तथा जल एवं मिट्टी की कई प्रकार से जाँच करनी शुरू कर दी है। नदी से कई प्रकार के नमूने लाकर उनकी विभिन्न प्रयोगशालाओं में जाँच की जाती है। दयालबाग शिक्षण संस्थान के शिक्षाविद् तथा सिविल इंजीनियर एवं आर्किटेक्ट यमुना की स्थिति को देखकर सघन अध्ययन कर रहे हैं कि बाढ़ का पानी जो कि बहकर नष्ट हो जाता है,उसको यमुना नदी में ही किस प्रकार संग्रहित किया जा सकता है,जिससे यमुना हर समय जल से परिपूर्ण रहे। इससे भूजल के कुशल प्रबंधन में सहयोग प्राप्त किया जाता रहा है एवं किया जाता रहेगा।
यहीं पर प्रत्येक रविवार को ग्रामीणों के लिए मल्टीस्पेशलिटी स्वास्थ्य शिविर लगाया जा रहा है, जिसमें एलोपैथी,आयुर्वेद,होम्योपैथी,यूनानी एवं सिद्ध के रूप में सभा के चिकित्सक मुफ्त में अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं। साथ ही ग्रामवासियों को हर प्रकार की दवाईयां निःशुल्क प्रदान की जाती हैं। यही नहीं मल-मूत्र,खून (आधुनिक USG द्वारा) एवं मानसिक रोगों की जांच एवं इलाज भी निःशुल्क किया जाता है। आसपास के गावों के लगभग 350-400 ग्रामवासी प्रत्येक रविवार को इस कैम्प का लाभ उठाते हैं। इसके अतिरिक्त ग्रामीण बच्चों के लिए कंप्यूटर का ज्ञान तथा कई प्रकार के ज्ञानवर्धक खेल भी उपलब्ध रहते हैं। बच्चों को इंगलिश बोलना तथा आर्ट एवं क्राफ्ट का ज्ञान भी दिया जाता है। बालिकाओं को सिलाई-कढाई का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। यमुना के उस पार बसे ग्रामीण भी चिकित्सकीय सुविधा का लाभ उठाना चाहते हैं; उनको एवं विशेषज्ञों को लाने-ले जाने के लिए एवं नौका विहार के लिए मनोरंजन एवं चिकित्सकीय दृष्टि से मोटर बोट का उपयोग किया जाता रहा है (ब्रिटिश राज्य में इनका उपयोग सामान्य रूप में गंगा,यमुना एवं ऐसी कई नदियों में होता रहा है)।
राधा स्वामी सत्संग सभा सदैव से ही आसपास के ग्रामीणों की मदद करती रही है। सत्संग सभा ने किसी की सम्पत्ति या भूमि पर अतिक्रमण कभी नहीं किया,ना ही अवैध कब्जा हासिल किया गया है। इस प्रकार के अनर्गल आरोप ऐसे असामाजिक और स्वार्थी एवं कालाबाजारी में रत तत्व लगाते रहते हैं,जिनकी अवांछनीय एवं असामाजिक गतिविधियों से राधा स्वामी सत्संग सभा के कार्यों से अवरोध उतपन्न होता रहा है। यहाँ यह भी ध्यान देने योग्य है कि यमुना के उत्तरी तट पर कुछ ग्रामीणों ने भूमि पर कंटीले तार लगाकर घेर रखा है,जिसमें विद्युत धारा प्रवाहित की जा रही है जो मनुष्यों एवं पशुओं के लिए बहुत घातक होती है। इसी प्रकार कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा एक दीवार भी अवैध रूप से बना दी गई है। जिस पर जिला प्रशासन ने अभी तक कोई संवैधानिक कदम नहीं उठाये हैं। राधास्वामी सत्संग सभा शान्तिपूर्वक तरीके से बैकुन्ठधाम के यमुना तट को सुन्दर तथा आमजन के प्रयोग के लिए मनोरम स्थल के रूप में विकसित करना चाहती है। साथ ही यहाँ पर शोध की सम्भावनाओं को देखते हुए अति उत्तम अर्न्तराष्ट्रीय स्तर के शोध कार्य का सूत्रपात अपनी रिसर्च लैब में किया है। राधा स्वामी सत्संग सभा तो हमेशा से ही कानून व्यवस्था को मानने वाली संस्था रही है जिसकी तारीफ अर्न्तराष्ट्रीय स्तर पर भी होने लगी है।
बयान में जनता से आग्रह करते हुए कहा गया है कि स्वार्थी तत्वों के अर्नगल प्रचार से भ्रमित न हों तथा स्वयं बैकुन्ठधाम आकर राधा स्वामी सत्संग सभा द्वारा जनहित में किये जा रहे कार्यों का अवलोकन कर वस्तुस्थिति का सही आंकलन करें। श्री प्रेम दयाल,जो उत्तर प्रदेश शासन में विशेषज्ञ रहे हैं,द्वारा कुछ पत्रकारों द्वारा वर्णित का समुचित लेखा-जोखा राधा स्वामी सत्संग सभा एवं डी.ई.आई. द्वारा वर्णित ख्याति प्राप्त प्रयोगशाला में की गयी जाँचो से सम्बंधित मिथ्या प्रचार का प्रतिउत्तर उपलब्ध करा दिया गया है। डी.ई.आई. द्वारा जिला प्रशासन एवं भ्रांतिपूर्ण विवरण देने वाले पत्रकारो की संतुष्टि हेतु अवलोकन एवं भान्ति के खंडन के रूप में प्रस्तुत करा दिया है,जो डी.ई.आई. के प्रशासन द्वारा उपलब्ध किया जा सकता है।