मदरहुड विश्वविद्यालय में पुष्पोत्सव व पर्यावरण संरक्षण कार्यक्रम का भव्य आयोजन
अंशु वर्मा/गीतेश अनेजा
हरिद्वार। 21/3/24 को मदरहुड विश्वविद्यालय में पुष्पोत्सव और पर्यावरण सरंक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया,जिसका विधिवत शुभारंभ विश्वविधालय के कुलाधिपति श्री यश कौशिक कुलपति प्रो०(डॉ०) नरेंद्र शर्मा जी और निदेशक प्रशासन श्री दीपक शर्मा ने संयुक्त रूप से फ़ीता काटकर किया।
पुष्पोत्सव कार्यक्रम में सभी संकायों के छात्रों द्वारा लगभग 600 विभिन्न प्रकार के पुष्प गमलों में रोपें। और प्रत्येक संकाय के छात्रों ने अपने अपने तरीक़े से गमलों को सुंदर तरीको से सजाया और मौसम के पुष्प लगाये। सभी बारह संकायों के छात्रों ने अपने 50 पुष्पों को विश्वविधालय ग्राउंड में अतिसुंदर तरीक़े से प्रदर्शित किया। इस कार्यक्रम का अवलोकन करने के लिए पाँच सदस्य ज्यूरी का गठन किया गया था। जिसमें डॉ कन्नू ओहरी,डॉ हर्षा शर्मा,डॉ वाणी,डॉ सूबेदार,डॉ स्वाति जकोत्रा ने प्रतिभाग किया और सभी संकायों के छात्रों से उनके द्वारा लगाये गये पुष्पों के विषय में प्रश्न किए।ज्यूरी ने कई मापदंडों के आधार पर प्रत्येक संकाय से प्रथम,द्वितीय और तृतीय स्थान पर आने वाले छात्रों का चयन किया।
कार्यक्रम में कुलाधिपति कुलपति और निदेशक प्रशासन ने सभी संकायों के छात्रों द्वारा लगाये गये पुष्पों का अवलोकन किया और सभी छात्रों का मनोबल बढ़ाया।
कार्यक्रम के अंत में सभी संकायों के प्रथम,द्वितीय और तृतीय स्थब पर आने वाले छात्रों को माननीय कुलाधिपति, माननीय कुलपति और निदेशक प्रशासन द्वारा प्रशस्ति पत्र देकर इनका उत्साह वर्धन किया।
कुलपति द्वारा सभी शिक्षकों और छात्रों को संबोधित करते हुए सर्वप्रथम सभी छात्रों को हार्दिक बधाई और शुभकानाएँ प्रेषित की और कहा कि वसंतोत्सव की परंपरा, जिसका अर्थ है वसंत महोत्सव, कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा शांतिनिकेतन में शुरू की गई थी, जिस विश्वविद्यालय की उन्होंने स्थापना की थी। होली के त्यौहार को वसंतोत्सव के नाम से भी जाना जाता है इसी प्रकार पर्यावरण सरंक्षण का तात्पर्य है कि हम अपने चारों ओर के वातावरण को संरक्षित करें तथा उसे जीवन के अनुकूल बनाए रखें क्योंकि पर्यावरण और प्राणी एक-दूसरे पर आश्रित हैं। अधिक जनसंख्या, वाटर साइंटिफिक इश्यूज, ओजोन डिप्लेशन, ग्लोबल वार्मिंग से लेकर वनों की कटाई, डिजर्टिफिकेशन और प्रदूषण तक, ये मानव जाति के लिए गंभीर खतरा हैं।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव,सहायक कुलसचिव और समस्त डीन,प्रधानाचार्य,हेड और शिक्षक उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन शिवाली बिष्ट ने किया।