शांतिकुंज में खेल प्रतिभा परिष्कार महोत्सव-2024 का आयोजन
शिव प्रकाश शिव
हरिद्वार, 23 मार्च। गायत्री परिवार के केन्द्र शांतिकुंज में दो दिवसीय खेल प्रतिभा परिष्कार महोत्सव-2024 का आयोजन हुआ। महोत्सव का शुभारंभ शांतिकुंज के श्रीरामपुरम् के मैदान में बॉलीवाल से हुआ। बॉलीवाल में देवसंस्कृति विवि के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या एवं श्री अजय त्रिपाठी की टीम के बीच के मैत्री मैच खेला गया। वासंती उल्लास के साथ होली पर्व की पूर्व संध्या में हुए रस्साकसी में 80 वर्ष आयु पार कर चुके लोगों में भी युवाओं जैसा उत्साह दिखा और अपनी टीम के साथ रस्सी खींचने में पूरजोर मेहनत की और वे विजयी भी हुए। इन खेलों में पूरा शांतिकुंज परिवार शामिल रहा।
गायत्री परिवार के अभिभावकद्वय श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या-श्रद्धेया शैलदीदी के मार्गदर्शन एवं शैफाली दीदी की अगुवाई में बहिनों ने मेंहदी, निशानेबाजी, दिमाग का दही, राधा मटकी दौड़, कुर्सी दौड़, टंग ट्विस्ट, रस्साकसी, सूईधागा पिरोना, एक्सन सांग आदि प्रतियोगिता में उत्साहपूर्वक अपना हूनर दिखाया। बहिनों का उत्साहवर्धन करते श्रद्धेया शैलदीदी ने अपने संदेश में कहा कि जीवन एक खेल है, उसे खेल की तरह जीना चाहिए। जिसके मन में सदा उत्साह उमंग और उल्लास भरा रहे, वही युवा है। जो काम करने में सदा उत्सुक और सक्रिय रहते हैं, वे युवा हैं। शैफाली दीदी ने कहा कि खेल हमारे शारीरिक व मानसिक विकास में मदद करता है। खेल तनाव को दूर करने का सबसे बेहतर माध्यम है। खेल के माध्यम से जीवन में नई ऊर्जा का संचार करता है। इस अवसर पर देश-विदेश से आये गायत्री साधकों, शांतिकुंज कार्यकर्त्ता तथा देवसंसकृति विश्वविद्यालय परिवार के प्रतिभागियों का उत्साह संवर्धन किया। इस खेल प्रतियोगिताओं में शांतिकुंज के अनेक वरिष्ठों ने भाग लिया।
---------------------
राष्ट्रीय सेवा योजना का सात दिवसीय विशेष शिविर का हुआ समापन
हरिद्वार, 23 मार्च।
देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना के अंतर्गत सात दिवसीय विशेष शिविर का समापन हो गया। शिविर के अंतर्गत देसंविवि के 350 स्वयंसेवियों ने स्वच्छता, नशा उन्मुलन, वृक्षारोपण, योग, यज्ञ, स्वास्थ्य जागरूकता जैसे अनेक विभिन्न गतिविधियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति एवं युवा आइकॉन डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने शिविर की सफलता पर सभी को आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन दिया और टीम के कठिन पुरुषार्थ की सराहना की। उन्होंने कहा कि एनएसएस स्वयंसेवकों ने ग्रामीण जनता को अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा संचालित सप्त आंदोलन एवं विभिन्न सकारात्मक गतिविधियों को ग्रामवासियों तक पहुंचाया हैं।
राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी डॉ. उमाकांत इंदौलिया ने बताया कि सात दिवसीय शिविर में प्रातः योग एवं यज्ञ से दिनचर्या की शुरुआत होती थी। महारैली, महास्वच्छता अभियान, ग्राम सर्वेक्षण, सांस्कृति विकास हेतु संध्याकालीन सांस्कृति गतिविधियां दिनचर्या की प्रमुख हिस्सा रही। स्वयंसेवियों द्वारा गांवों के लोगों को जागरूक करने हेतु विभिन्न रचनात्मक एवं सुधारात्मक गतिविधियाँ चलायी गयी। स्वयंसेवियों ने घर-घर जाकर नशा मुक्ति के संबंध में जानकारी दी तथा नुक्कड़ नाटक के माध्यम से ग्रामीणों को नशे के दुष्परिणाम से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि बौद्धिक सत्र के अंतर्गत व्यक्तित्व विकास, युवा जागृति, बाल संस्कार शाला, नारी जागरण जैसे विभिन्न विषयों पर विशेषज्ञों एवं अनुभवी व्यक्तियों ने स्वयंसेवियों का मार्गदर्शन किया। इस दौरान युवा प्रकोष्ठ के समन्वयक श्री केदार प्रसाद दुबे एवं श्री आशीष कुमार सिंह ने प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन करते हुए नये संकल्प के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंर्तगत संगीत, नृत्य, वादन, योग, नाट्य, कविता, स्कैच, स्लोगन, निबंध जैसे विभिन्न प्रतियोगिताओं में उत्साहपूर्वक भाग लिया। अंतिम दिवस पर महाश्रमदान का आयोजन हुआ। स्वयंसेवियों को स्मृति चिह्न और विशेष प्रमाण पत्र आदि भेंटकर सम्मानित किया गया।
शिविर के दौरान देसंविवि के कुलसचिव श्री बलदाऊ देवांगन, डॉ. स्मिता वसिष्ठ, प्रो. ईश्वर भारद्वाज, डॉ. अरुणेश पाराशर, श्री कृष्णा झरे जी, श्री सुधीर श्रीपाद जी, डॉ. संतोष विश्वकर्मा, श्री आलोक द्विवेदी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला प्रचारक श्री ऋषिकेश जी, श्री लक्ष्मी प्रकाश बहुगुणा आदि ने भी स्वयंसेवकों का मार्गदर्शन किया। शिविर में डॉ. इप्सित प्रताप सिंह, श्री प्रखर सिंह पाल, मोहित शर्मा, श्रीमती लालिमा, गायत्री शर्मा, ऋचा मिश्रा आदि का विशेष योगदान रहा। गायत्री शक्तिपीठ भोगपुर, ऋषिकेश के व्यवस्थापक श्री राकेश कुमार ने शिविर व्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया।