श्री रघुनाथ कीर्ति में आयोजित दस दिवसीय ज्योतिष कुंभ कार्यशाला में 80 से अधिक प्रतिभागी
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गबर सिंह भण्डारी
देवप्रयाग/श्रीनगर गढ़वाल। देवप्रयाग में इन दिनों ज्योतिष का कुंभ चल रहा है। विभिन्न प्रदेशों के अनुंसधानकर्ता तथा जिज्ञासु यहां ज्योतिष सीख रहे हैं तथा अपनी जिज्ञासाओं को शांत कर रहे हैं। आईआईटी मुंबई तथा एलबीएस समेत देश के नामी संस्थानों के विशेषज्ञ ज्योतिष एवं गणित का ज्ञान प्रदान कर रहे हैं।
केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में ज्योतिष विभाग की दस दिवसीय कार्यशाला चल रही है। 24 मार्च को आरंभ हुई इस कार्यशाला का केंद्रीय विषय गणित है। विभिन्न प्रदेशों के 80 से अधिक लोग इसमें प्रतिभाग कर रहे हैं। इनमें छात्र,शोधार्थी,अध्यापक,डॉक्टर तथा अन्य क्षेत्रों के लोग शामिल हैं। पहले दिन केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के बलाहर, हिमाचल परिसर के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ.विजेंद्र शर्मा ने बतौर मुख्य अतिथि ज्योतिष की बारीकियों,उसके उद्देश्य और समाज में उसकी उपयोगिता पर प्रकाश डाला। उन्होंने गणितपाद में वर्णित ज्या,खंडज्या, वृतादि परिकल्पनाओं के प्रकार, वृत्त में अर्धज्या एवं शरों का संबंध आदि पर व्याख्यान दिया।
'आर्यभटीयस्य गणित पाद प्रशिक्षण कार्यशाला' शीर्षक की इस वर्कशॉप में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के भोपाल परिसर के ज्योतिष विभाग अध्यक्ष डॉ. अनिल कुमार शर्मा ने मनुष्यों की विभिन्न समस्याओं के निराकरण में ज्योतिष के योगदान को महत्त्वपूर्ण बताया। उन्होंने दस स्थान संख्याओं की संज्ञा, वर्गमूल और घनमूल का प्रशिक्षण दिया।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), मुंबई में संस्कृत विभाग की भारतीय विज्ञान एवं तकनीकी शाखा के अध्यक्ष प्रो. के.रामसुब्रह्मणियन् ने वैदिक गणित पर व्याख्यान देते हुए कहा कि ज्योतिष को गणित से अलग नहीं किया जा सकता। अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के विद्वान प्रो. रामसुब्रह्मणियन् ने आर्यभटीयम ग्रंथ की विशिष्टता बताते हुए कहा कि इस आर्यभटीयम में गणित के सिद्धांत आज भी 400 वर्ष पुराने जैसे प्रासंगिक हैं। आज भी इन सिद्धांतों के आधार पर ग्रहों से संबंधित संपूर्ण गणित किया जाता है। इन सिद्धांतों द्वारा प्रतिपादित गणित सटीक एवं व्यावहारिक है।
संपूर्ण कार्यक्रम के अध्यक्ष और परिसर निदेशक प्रो.पीवीबी सुब्रह्मण्यम ने बताया कि ज्योतिष ज्ञान के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के लिहाज से ऐसी कार्यशालाओं का बड़ा महत्त्व है, क्योंकि ये कक्षाओं से हटकर होती हैं और इनमें छात्रों के इतर लोग भाग ले सकते हैं। इस कार्यशाला में इतनी अधिक संख्या में लोगों की सहभागिता इस बात की पुष्टि करता है कि ज्योतिष की समाज में कितनी उपयोगिता है। उन्होंने कहा कि ज्योतिष ज्ञान के कारण भारत की पूरे विश्व में विशेष पहचान और प्रतिष्ठा है। कार्यशाला के संयोजक डॉ. ब्रह्मानंद मिश्र ने बताया कि कार्यशाला में लखनऊ परिसर और लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के वास्तुशास्त्र विभाग के आचार्य प्रो. अशोक थपलियाल आदि के व्याख्यान भी होंगे। उन्होंने बताया कि सभी प्रतिभागियों के भोजन एवं आवास की व्यवस्था परिसर में ही की गयी है। कार्यशाला में सह संयोजक डॉ.सुरेश शर्मा और संयोजक मंडल के सदस्य डॉ.आशुतोष तिवारी एवं साहिल शर्मा भी विभिन्न भूमिकाओं का निर्वाह कर रहे हैं।