मातृ दिवस के उपलक्ष्य में माता को समर्पित एक कविता
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अमित मेहरा
हरिद्वार। सुसाना मेथोडिस्ट गर्ल्स बी एड कॉलेज रुड़की में हिंदी की सहायक प्रवक्ता सुमनलता उनियाल ने मातृ दिवस के उपलक्ष्य में माता को समर्पित एक कविता प्रस्तुत की है।
कविता की पंक्तियां बहुत ही अच्छी हैंं। कविता इस प्रकार है
मेरी मां
जब मेरी मां गुस्से में होती , तो ज्यादातर वह रो देती।।
अपनी पीड़ा के भवसागर में भी , बोलती मुझे तेरी चिंता होती ।।
और मैं यहां कठोर सी होकर , कहती हूं तो बेकार ही रोती।
खुश है तेरी बेटी रे मां, क्यों बेवजह तू परेशान होती ।।
यह कह कर बेटी अपने अश्रु छुपाकर, मां को हंस कर और गुस्से से भी ।
परेशान ना हो मां खुश हूं मैं , खुद से भी और हर बात से भी।।
पर वह मां है फिर बोलती है , ममता भरी अभिलाष से ।
जग के घनघोर अंधेरे में भी, जीवन जी और परिभाषा दे ।
मां धरणी है मां आकाश विस्तार , मां जन्म ही नहीं जीवन भी देती ।
मां की ममता तरल तरंग है , जो कष्टों को हरदम ही धोती ।।