रमज़ान बुराईयों को जला देता है: मुफ्ती मो0 रिजवान कासमी
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सैफ अली सिद्दीकी
हल्द्वानी। रमजान का दूसरा अशरा अर्थात मगफिरत का अशरा चल रहा है। दूसरा अशरा रमजान के 20वें रोजे के सूरज डूबने तक रहेगा। दूसरे अशरे में रोजेदार रोजा रखकर अल्लाह से मगफिरत की दुआ करते हैं। इस दौरान अल्लाह से अपने गुनाहों की तौबा की जाती है। लॉकडाउन के बावजूद लोगों में रोजा रखने का उत्साह दिखाई दे रहा है। इमाम मस्जिद अंसारान लाईन 12 के मुफ्ती मो0 रिजवान कासमी ने बताया कि रमजान का दुसरा अशरा मगफिरत का होता है।
उन्होंने बताया कि रमजान के इस अशरे में अल्लाह रब्बुले-ए- इज्जत की तरफ से मगफिरत (बक्शिस) की बारिश होती है। इस अशरे में हमे गुनाहों पर नदामत(शर्मिंदगी) के साथ अल्लाह रब्बुले-ए-इज्जत की तरफ खास तौर पर मुतवज्जेह (आकर्षित) होना चाहिए। उन्होंने बताया कि रमज़ान के इस अशरे में हमें रब्बिगफिरली और अस्तगफिरुल्ला रब्बिमिन कुल्ली जम्मी वतुबुहु इलैहि दुआओं का चलते फिरते विर्द करना चाहिए, अस्तगफार इस महीने में एहतरीन मकासिद(इरादें) में से है।
उन्होंने कुरान व हदीस का हवाला देते हुए बताया कि हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वालेवसल्लम ने इरशाद फरमाया कि रमजान को रमज़ान इसिलिए कहा जाता है क्योंकि यह बुराईयों को जला देता है, एक जगह और फरमाते है कि जिसने रमजान के रोज़े इंसाफ और एहतिशाब(ऊंच-नीच) नीयत से रखे उसके पिछले सारे गुनाह माफ कर दिए जाते है।
उन्होंने लोगों से अपील की है कि कोरोना से बचने के लिए है मास्क लगाये, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करे, और हाथों को बार-बार धोते रहे।