हनुमान जन्मोत्सव पर विशेष - अखिलेश चमोला
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श्रीनगर गढ़वाल। हनुमान जन्मोत्सव पर वरिष्ठ हिन्दी अध्यापक राजकीय इंटर कॉलेज सुमाडी़ विकास खंड खिर्सू जनपद पौड़ी गढ़वाल ने प्रकाश डालते हुए बताया कि हमारे भारतीय धर्म ग्रंथों में 33 कोटी देवताओं को मानने की अद्भुत परम्परा है,जिनकी पूजा करने से भक्त के सम्पूर्ण मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। इन 33 कोटी के देवताओं में हनुमान को अजर अमर रहने का वरदान प्राप्त है। कलियुग में हनुमान को प्रत्यक्ष देवता के रुप में माना जाता है। कहा जाता है कि हनुमान प्रभु श्रीराम का स्मरण करने वाले भक्तों पर अपनी अद्भुत कृपा बरसाते हैं। चैत्र मास की पूर्णिमा को हनुमान जी का अवतरण हुआ। इस वर्ष यह तिथि 12 अप्रैल शनिवार को है। शनिवार के दिन जन्मोत्सव का होना अपने आप में अद्भुत व प्रभाव कारी संयोग को दर्शाता है।यदि हम ज्योतिषीय विश्लेषण करें,तो इस तरह का संयोग 1968 में बना था। कुल मिलाकर कहने का आशय यह है कि 57 वर्षो बाद इस तरह की स्थिति बन रही है। हस्त नक्षत्र में मीन राशि में पन्चाग्रही योग बन रहा है सूर्य शनि राहु की त्रियुति और शुक्र बुध का प्रभाव कारी योग बन रहा है। हनुमान को शिव अवतार,रूद्रावतार के रूप में माना जाता है। हनुमान शब्द में प्रत्येक अक्षर अपना विशिष्ट अर्थ स्पष्ट करता है। ह-ब्रह्मा का-नु-अर्चना-का-मां लक्ष्मी और न-पराक्रम का द्योतक है। हनुमान के जन्म की शास्त्रों में अद्भुत कहानी देखने को मिलती हैं। कहा जाता है कि महाराजा दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ से प्राप्त प्रसाद अपनी रानियों में वितरित किया। संयोग से उसका एक भाग गरुड़ उठाकर ले गया,उसने उसे ऐसे स्थान पर गिरा दिया जहां अंजनी पुत्र प्राप्ति के लिए तपस्या कर रही थी। प्रसाद खाने से अंजलि गर्भवती हुई और कालांतर में हनुमान का अवतरण हुआ। प्रभु राम से हनुमान अगाध स्नेह करते हैं। सर्वप्रथम शिला पर राम कथा हनुमान द्वारा ही लिखी गई। एक बार हनुमान ने माता सीता को अपनी मांग में सिंदूर भरते देखा,तो पूछा कि मैय्या यह क्या है। आप इसे क्यों लगा रहे हैं। माता सीता ने कहा कि इसे लगाने से तुम्हारे प्रभु की उम्र में वृद्धि होती है। ऐसा सुनकर हनुमान ने अपने पूरे शरीर पर लाल सिन्दूर का लेपन किया,माता सीता ने जब हनुमान को ऐसी स्थिति में देखकर कहा कि तुमने ये सब क्यों किया। हनुमान ने उत्तर दिया कि माता जी जब एक चुटकी सिंदूर से प्रभु की उम्र में वृद्धि हो सकती है,तो पूरे शरीर में सिन्दूर लगाने से मेरे प्रभु अजर अमर हो जायेंगे। इस पर माता सीता ने कहा कि तुम जैसा भक्त मैंने आज तक नहीं देखा,जो भी भक्त तुम्हारे नाम का स्मरण करेंगे। उनके सम्पूर्ण मनोरथ पूर्ण होंगे। इस प्रकार से हनुमान को अष्ठ सिद्धि नौ निधि का वरदान है। हनुमान की पूजा में इन्द्रिय निग्रह का होना बहुत जरूरी है। इस दिन भक्तों को चाहिए कि सौ बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। इससे आत्मविश्वास में वृद्धि के साथ पराक्रम और काल सर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है। सुबह भक्ति भाव से स्नान करके 11 सौ बार मन्त्र का सस्वर वाचन करते हुए हनुमान पर हनुमानी सिन्दूर का लेपन करें मन्त्र जनकल्याण हेतु इस प्रकार से है। ऊं नमो हनुमन्ते रुद्रावताराय सर्व शत्रु सहारणाय सर्वे रोग हराय,सर्व वशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।