दि बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया एवं बुद्ध संस्कृति विश्वविद्यापीठ के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित हुआ कार्यक्रम
दि बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया एवं बुद्ध संस्कृति विश्वविद्यापीठ के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित हुआ कार्यक्रम
सबसे तेज प्रधान टाइम्स
प्रमोद गिरि
नजीबाबाद। गुरु पूर्णिमा (आषाढ़ी पूर्णिमा) के महामंगल पर्व के अवसर पर वर्षावास प्रवचन मालिका का आयोजन दि बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया एवं बुद्ध संस्कृति विश्वविद्यापीठ के संयुक्त तत्वाधान में तिरुपति बालाजी कॉलोनी स्थित विश्वविद्यापीठ के कार्यालय पर किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ भगवान बुद्ध की प्रतिमा के समक्ष धम्म ज्ञान प्रकाश के लिए मोमबत्ती प्रज्वलित कर पुष्प अर्पित कर किया गया। इसके उपरांत संसार के समस्त प्राणियों की मंगल कामना के लिए त्रिशरण, पंचशील, बुद्ध वंदना, धम्म वंदना,संघ वंदना की गयी। कार्यक्रम की अध्यक्षता सुखराम सिंह बौद्ध एवं संचालन मामराज सिंह बौद्ध ने किया ।गुरु पूर्णिमा के अवसर पर दि बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया के महासचिव राकेश मोहन भारती ने कहा कि सिद्धार्थ गौतम ने वैशाख पूर्णिमा को ज्ञान की प्राप्ति होने के बाद प्रथम बार असर आषाढ़ी पूर्णिमा को प्रथम पंचवर्गीय भिकुओ को सारनाथ में उपदेश दिया था उनके ज्ञान से प्रभावित होकर उन्होंने बुद्ध के मार्ग पर चलने का निश्चय किया और उनके मार्ग को जन-जन तक पहुंचाने का दृढ़ संकल्प किया इस दिन को धम्मचक्र परिवर्तन दिवस के नाम से भी जाना जाता है उसी समय से गुरु पूर्णिमा मनाना भी शुरू हुआ।इस अवसर पर बुद्ध संस्कृति विश्वविद्यापीठ के अध्यक्ष गोविंद सिंह बौद्ध ने कहा कि भगवान बुद्ध के समय में वर्षाकाल के तीन माह के समय में बौद्ध भिक्षुओं को अपने-अपने बुद्ध विहारों में रहने का आदेश दिया था उन्होंने कहा था कि भिक्षु संघ एक निश्चित स्थान पर रहकर अध्ययन करें जिससे वर्षा काल समाप्त होने पर अपने उस अध्ययन ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने जा सके। इस अवसर पर सी पी सिंह, आर के सागर प्रबंधक डीएमआर डिग्री कॉलेज भागूवाला, अतर सिंह बौद्ध, मास्टर योगेंद्र सिंह, एडवोकेट समसपाल सिंह, कोमल सिंह, राम रतन अजनबी, रतीराम, रूपा बौद्ध आदि ने अपने विचार व्यक्त किये तथा नरेंद्र कुमार पत्रकार, दिलेराम रवि घनश्याम सिंह ऋषिपाल सिंह, नरेंद्र कुमार रवि ,रीता देवी, अमन, लखविंदर सिंह, वीर सिंह, राजेंद्र सिंह छोटेलाल, विशाल कुमार, आशुतोष, धर्मवीर सिंह, अंजूषा सिंह, सुम्मेर सिंह, ऋषा बौद्ध, नवेद्र सिंह आदि की गरिमामय में उपस्थिति रही।