प्राकृतिक खेती कर लोगों के लिए रमेश मिनान बने प्रेरणास्रोत
प्राकृतिक खेती कर लोगों के लिए रमेश मिनान बने प्रेरणास्रोत
सबसे तेज प्रधान टाइम्स गबर सिंह भण्डारी
श्रीनगर गढ़वाल। प्राकृतिक खेती कर लोगों को रोग मुक्त करने का संकल्प लेते हुए रमेश मिनान बने प्रेरणास्रोत ग्राम पंचायत-सैंज,विकास खण्ड-भटवाड़ी उत्तरकाशी उत्तराखंड का यह बेरोजगार युवा अपना स्वरोजगार कर अपनी खेती में मेहनत करते हुए सब्जी,धान,फल का बगीचा तैयार करते हुए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं और सब्जी उत्पादन कर रहे हैं वह पहाड़ की पथरीली भूमि व बंजर खेती को हरा-भरा करने के लिए सभी क्षेत्रवासियों के साथ मिलकर काम करके आत्मनिर्भर बनाने का काम कर रहे हैं। यह नवयुवक कोरोना काल में बेरोजगार हुआ तो यह युवा रिवर्स पलायन करके स्वरोजगार पर कार्य कर रहा है। उत्तराखंड की पथरीली नुमा पहाड़ी खेती बाड़ी को बंजर होने से बचाने के लिए लगातार पिछले चार-पांच साल से कार्य कर रहा है। उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र में स्वरोजगार पर कार्य करने की बहुत आवश्यकता है जिससे पलायन को रोका जा सकता है। अगर सबसे ज्यादा पलायन हो रहा है तो उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों से हो रहा है जो की आने वाले समय में विस्तार रूप ले रहा है। इस देवभूमि से गांव के गांव खाली हो रहें जो कि बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। पलायन को रोकने के लिए हमें मिलकर उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में बंजर पड रही खेती को केसे बचाया जा सकता है इस पर हमें मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है। इसके लिए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाना चाहिए इससे हमें दो फायदे होंगे एक तो हमारी बद्री गाय का संरक्षण होगा दुसरा इसके गोबर,गोमूत्र,गुड़ बेसन का प्रयोग करने से खेतों में रसायन मुक्त( जहर मुक्त) उत्पादन खाने को मिलेगा। आजकल हम जो खेती करते आ रहे थे उसमें कहीं कुंटल खाद की आवश्यकता होती थी जिसमें सीडी नुमा खेतों में महिलाएं सर पर ढो-ढो कर थक जाती हैं, पहाड़ी क्षेत्र के खेतों के लिए कही पशुओं को पालना पड़ता है जिससे हमारे खेतों को गोबर की पूर्ति हो सके। लेकिन प्राकृतिक खेती में एक गाय के गोबर और गोमूत्र से 30 नाली जमीन के लिए पर्याप्त खाद तैयार हो जाती है जो की बहुत सरल विधि है इस विधि से गाय के गोबर गोमूत्र गुड़ बेसन से बीजामृत,जीवामृत,घनजीबामतृ बनाकर खेतों में स्तेमाल कर जहर मुक्त फसल तैयार की जाती है। कीटनाशक के लिए अपने आसपास के पेड़ों के पत्ते जैसे अखरोट,आड़ू,डेकन,टिमरू,कंडाली आदि के पत्तों का मिश्रण तैयार करके खेतों के कीटनाशक के रूप में स्तेमाल कर सकते हैं। इसकी जगह खट्टा मट्ठा,गोमूत्र,राख का स्प्रे अपने खेतों में कर सकते हैं इन सब प्रकार के मिश्रण को अपने खेतों में स्तेमाल कर खेतों से स्वस्थ, विटामिन,कैल्सियम युक्त फसल तैयार कर सकते हैं। आपको बता दें कि रमेश मिनान इस तरह प्राकृतिक खेती कर स्वरोजगार कर अपने क्षेत्र के किसानों को भी इसका प्रशिक्षण देकर प्राकृतिक खेती करने के लिए प्रेरित कर रहें हैं। रमेश मिनान का उत्तराखंड के युवा बेरोजगार से कहना है कि अपने पहाड़ों में आओ मिलकर संकल्प लें इस धरा को रसायन मुक्त बनाए अपने पहाड़ की बंजर खेती को हरा भरा करने के लिए मिलकर काम करके आत्मनिर्भर बने। सरकार का भी बंजर खेती करने कि ओर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। देवभूमि उत्तराखंड में प्राकृतिक खेती कर लोगों को रोग मुक्त किया जा सकता है ताकि आने वाला कल रोग मुक्त हो सकें।