8 नवंबर को भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न होगा छठ पर्व
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गुलफान अहमद/आशिफ अली
हरिद्वार। पंचांग के अनुसार छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी यानी 05 नवंबर से हो गई है। वहीं, इसका समापन अष्टमी तिथि यानी 08 नवंबर को होगा। इस दौरान छठी मैया और सूर्य देव की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाएगी।खरना : छठ पूजा के दूसरे दिन यानी खरना के दिन पूरे दिन निर्जला व्रत किया जाता है और शाम को गुड़ की खीर, घी लगी रोटी और फलों का सेवन किया जाता है। घर के सदस्यों के बीच प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।
संध्या अर्घ्य : छठ का तीसरा दिन बेहद खास होता है। इस दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी होती है और इस दिन विधि-विधान से छठ पूजा की जाती है। शाम को सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा की जाती है। बांस की टोकरी में ठेकुआ,चावल के लड्डू, और फल रखे जाते हैं और पूजा का सूप सजाया जाता है। अस्त सूर्य को जल अर्घ्य दिया जाता है। छठी मैया की पूजा की जाती है। रात में छठी माता के गीत गाए जाते हैं और व्रत कथा सुनी जाती हैं। दिनभर निराहार और निर्जला व्रत रखा जाता है।
उदित सूर्य को अर्घ्य : छठ के तीसरे दिन नदी के घाट पहुंचकर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। पूजा के बाद व्रती कच्चे दूध का शरबत पीकर और थोड़ा प्रसाद ग्रहण करके पारण करती हैं। इस तरह से छठ पर्व का समापन हो जाता है।