कार्तिक मास में दान पुण्य के साथ दीपदान का विशेष महत्व : पं. विकास जोशी
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नीरज अग्रवाल शिप्रा अग्रवाल
हरिद्वार। विश्व विख्यात नगरी में बहुत साधु संत एवं धर्म प्रेमी धर्म का लाभ उठाते रहते हैं पर कार्तिक का महा सभी माह में श्रेष्ठ मा कहलाता है ।कार्तिक मास को चतुर्मास का अंतिम मास है और इस महीने का शास्त्रों में खासा महत्व बताया गया है। पंडित विकास जोशी जी का कहना था इस माह में भजन, पूजन और दान-पुण्य के साथ दीपदान का खास महत्व माना गया है। इस महीने में भगवान लक्ष्मीनारायण की विशेष कृपा भक्तों को प्राप्त होती मां लक्ष्मी के बिना इस संसार की कल्पना भी नहीं कर जा सकती, इसलिए कार्तिक मास में मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए दीपदान करे।पद्मपुराण के अनुसार, जो देवालय में, नदी के किनारे, सड़क पर दीप देता है, उसे सर्वतोमुखी लक्ष्मी प्राप्त होती है। कार्तिक में प्रतिदिन दो दीपक जरूर जलाएं। एक श्रीहरि नारायण के समक्ष तथा दूसरा शिवलिंग के समक्ष जलाएं। जिसने कार्तिक में भगवान केशव के समक्ष दीपदान किया है, उसने सम्पूर्ण यज्ञों का अनुष्ठान कर लिया और समस्त तीर्थों में गोता लगाने के समान फल की प्राप्ति होती है। ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है जो कार्तिक में श्रीहरि को घी का दीप देता है, वह दीपक जितने पल जलता है, उतने वर्षों तक हरिधाम में आनन्द भोगता है। फिर मनुष्य योनि में आकर विष्णुभक्ति पाता है।। श्रीमती सोने का अग्रवाल का कहना था देव उठनी एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा तक दीपदान का अक्षय फल है जो भक्त पूरे माह दीप दान नही कर पाते वो भीष्म पंचक के 5 दिन बहुत पुण्यफलदायी माने गए हैं. व्रत वा दीपदान करने वाले धन सहित समस्त सुख भोगकर स्वर्ग में स्थान प्राप्त करता है. इस महिमा को जान करके देव उठानी एकादशी के दिन से लेकर पूर्णिमा तक गंगा स्नान एवं दीपदान का विशेष महत्व है और देव उठान एकादशी पर धर्म प्रेमियों ने ज्यादा से ज्यादा दिए प्रचलित किया 21 51 101 151 365 दिए तक प्रचलित किए गए और सभी धर्म प्रेमियों ने धर्म का लाभ उठाया। सभी धर्म प्रेमियों ने ऐसा कीर्तन भी किया तुलसी जी का दिया भी जलाया। और सभी के साथ मिलकर तुलसी जी के विवाह का आनंद महोत्सव मनाया। और अंत में प्रसाद वितरण किया गया।