वात्सल्य वाटिका बहादराबाद में दिवंगत अशोक सिंघल को दी गई श्रद्धांजलि
सचिन शर्मा
हरिद्वार। वात्सल्य वाटिका बहादराबाद में दिवंगत अशोक सिंघल की श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया,जिसकी अध्यक्षता स्वामी देवानंद जी महाराज सचिव जूना अखाड़ा के द्वारा मुख्य अतिथि अरुण अरुणाचल यूनिवर्सिटी के कुलपति श्री कमल लोचन जी के द्वारा किया गया। मंच का संचालन वात्सल्य वाटिका के युवा छात्र कार्तिक ने प्रधानाचार्य उदय राज ने किया।
उपस्थित सभी मंच आसीन अतिथियों ने अशोक सिंघल जी को पुष्प अर्पित करके श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर विश्व हिंदू परिषद के प्रांत मंत्री नरेंद्र शर्मा ने अशोक सिंघल के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उनके जीवन से प्रेरणा लेने की बात कही। वात्सल्य वाटिका के प्रबंधक प्रदीप मिश्रा ने अशोक सिंघल के साथ बिताए हुए समय को स्मरण करके कार्यकर्ताओं को ऊर्जा प्रदान की। प्रांत सेवा प्रमुख अनिल भारतीय ने भी अशोक सिंघल के विशाल व्यक्तित्व,उनकी संगठन क्षमता,कार्य कुशलता के विषय में विस्तार से छोटे-छोटे उदाहरण के माध्यम से बताया। प्रधानाचार्य उदय राज चौहान जी ने सभी उपस्थित अतिथियों का परिचय कराया। कार्यक्रम में गुरुदेव देवानंद सरस्वती ने अशोक सिंघल के द्वारा किए गए सब कार्यों और हिंदू हित में उनके द्वारा जय श्री राम उद्घोष के विषय में विस्तार से चर्चा की।
कार्यक्रम में अरुण गुप्ता जी सौरभ सक्सेना जी से जिला मंत्री दीपक तालियां जी अमित जी विभाग संगठन मंत्री विश्व हिंदू परिषद रवि चौहान जी जिला सेवा प्रमुख अंकित यादव जी प्रखंड संयोजक बजरंग दल के अलावा क्षेत्र के मात्र शक्तियों में अनुराधा चौहान जी रजनी राणा जी सोनी हिंदू जी वात्सल्य वाटिका के वार्डन श्री सुरेंद्र जी विश्व हिंदू परिषद के जिला अध्यक्ष बलराम कपूर जी मुकेश शर्मा जी प्रबंध टोली के सदस्य राजेश जी जतिन जी राजेंद्र जी नरेश वर्मा जी आदि लोग उपस्थित रहे अंत में सभी ने भारत माता की आरती के साथ कार्यक्रम का समापन किया सभी ने उपस्थित बच्चों को आशीर्वाद प्रदान किया और वात्सल्य वाटिका अशोक सिंगला धाम के गतिविधियों को आगे बढ़ने का संकल्प लिया इस अवसर पर प्रबंधक श्री प्रदीप मिश्रा ने वात्सल्य वाटिका की यात्रा के विषय में सभी को विस्तार से बताया और आगामी लक्ष्य के विषय में भी विस्तार से जानकारी दी उन्होंने बताया कि माननीय अशोक सिंघल जी के जीवन का लक्ष्य प्रभु श्री राम मंदिर का निर्माण और वेद विद्यालय था और सभी को जोड़ने के लिए कुशल संगठन करना था।