क्षेत्रीय दल होता तो यूं गाली ना खाते पहाड़ी - संघर्ष समिति
सबसे तेज प्रधान टाइम्स गबर सिंह भण्डारी
पौड़ी/श्रीनगर गढ़वाल। विधानसभा सत्र के दौरान मंत्री प्रेम चन्द अग्रवाल द्वारा पहाड़ियों पर टिप्पणी मामले ना जहां तूल पकड़ लिया है वहीं शनिवार को पौड़ी बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक नमन चंदोला ने प्रेस नोट जारी कर मंत्री प्रेम चन्द अग्रवाल को आड़े हाथों लिया। चंदोला ने बताया कि पहले ऋषिकेश में भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा गढ़वालियों को गाली और फिर भाजपा नेता और कैबिनेट मंत्री द्वारा पहाड़ियों की भावनाओं पर हमला करना निंदनीय है। कहा कि 42 शहादतों के बाद बने उत्तराखंड राज्य में इस तरह की बयान बाजी उत्तराखंडयों के विभाजन की बयानबाजी है यह राज्य पहाड़ी राज्य है और अपनी संस्कृति को बचाने के लिए उत्तराखंड के लोगों ने अलग राज्य की लड़ाई को लड़ा। प्रेमचंद अग्रवाल के द्वारा पहाड़ियों को अपशब्द कहना और पहाड़ी प्रदेश के निवासियों की भावनाओं को ठेस पहुंचाना दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है की विधानसभा में बैठे पहाड़ी विधायक इस पूरे मामले में खामोश नजर आए। चंदोला ने कहा कि अगर राज्य का अपना क्षेत्रीय दल होता तो आज इस तरह के हालात पैदा ना होते राष्ट्रीय पार्टियों लगातार दूसरे प्रदेश आए लोगों को यहां मुख्य भूमिका देने का काम कर रही है जैसे ऋषिकेश में मेयर शंभू पासवान का बना और ऋषिकेश का विधायक प्रेमचंद अग्रवाल का बना। कहा कि यह लोग नमक हराम है और पहाड़ी राज्य के नमक का कर्ज अदा करने के बजाय पहाड़ियों को ही गाली देने का काम कर रहे हैं। ऐसे जनप्रतिनिधियों का तुरंत इस्तीफा लिया जाना चाहिए। चंदोला ने कहा कि अगर राज्य का अपना क्षेत्रीय दल होता तो आज जौनसारी गढ़वाली कुमाऊनी बोली को भाषा का दर्जा आसानी से दिया जा सकता था लेकिन राष्ट्रीय पार्टी ऐसा नहीं चाहती उनका ध्यान तो बिहारी बंगालियों रोहिंग्याओं को यहां बसाने और वोट बैंक के राजनीति तक सीमित है। आज भाजपा सरकार के प्रति लोगों में आक्रोश है लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि पूर्व की कांग्रेस सरकार में भी बिहारी के लिए छठ पूजा का राजकीय अवकाश किया गया जबकि हमारे पहाड़ की परंपरा बग्वाल के लिए कोई राजकीय अवकाश नहीं किया गया था इसके अलावा भाजपा सांसद अजय भट्ट स्वयं बंगालियों के लिए आरक्षण की मांग करते आ रहे हैं। कहा की ऐसा तब तक चलता रहेगा जब तक राज्य का अपना क्षेत्रीय दल नहीं होता,क्योंकि राष्ट्रीय पार्टियों का पूरा ध्यान बाहर से आ रहे लोगों को अपने वोट बैंक के रूप में बदलने पर ही रहेगा उन्हें न पहाड़ की समस्याओं से कोई मतलब है और ना ही उत्तराखंड राज्य के मूल निवासियों को वह अपना वोट बैंक समझते हैं। चांदोला ने कहा कि पहाड़ियों का प्रयोग केवल वोट के समय होता है और उसके बाद पहाड़ियों की समस्याएं जैसे स्वास्थ्य शिक्षा रोजगार इनको दरकिनार ही रखा जाता है। चंदोला ने राज्य की तमाम आंदोलनकारी ताकतों से आह्वान किया की सभी को मिलकर एक नया क्षेत्रीय दल बनाना चाहिए ताकि पहाड़ के अस्तित्व और पहाड़ की अस्मिता के साथ कोई भी खिलवाड़ ना कर सके।