समाज के हित में कैसे काम करेंगे 3 नये कानून - ललित मिगलानी
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हरीश वलेजा
जैसा की हम जानते है ही की देशभर में 1 जुलाई से तीन नये कानून लागु हो गये है इन नये कानून में कई बदलाव किये गये है जो समाज हित में है जिनको समझना हर व्यक्ति को जरुरी है इन्ही बदलाव में अब गिरफ़्तारी एम् एफ आई आर में भी कुछ बदलाव आये है ओर जीरो एफ आई आर क्या होती है जिनके लिये हमने हाई कोर्ट के अधिवक्ता ललित मिगलानी से जाना की क्या क्या नये बदलाव आये है
नये कानून में जीरो एफ आई आर का जिक्र है क्या होती है जीरो एफ आई आर ?
ZERO FIR: इस नए कानून के जरिए अब एफआइआर किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज कराई जा सकती है, अब अपराध चाहें कहीं भी हुआ हो इससे कोई अंतर नहीं पड़ेगा, हां इतना जरूर है कि जिस राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में अपराध हुआ है वहीं एफआइआर दर्ज करना होगा. साथ ही इस नए कानून के तहत लोगों को ऑनलाइन एफआइआर फाइल करने की भी सुविधा भी दी गई है. हालांकि एफआइआर करने के तीन दिनों के अंदर ही पीड़ित को अपना हस्ताक्षर करना होगा
नये कानून में किन लोगो को गिरफ़्तारी से रहता है ?
इस नए कानून में छोटे अपराधों, दिव्यांग या जिनकी उम्र 60 साल से अधिक है, उनकी गिरफ्तारी के लिए नया प्रावधान बनाया गया है इसके अलावा अगर किसी को तीन साल से कम की सजा हुई है, तो उस व्यक्ति को डीएसपी (DSP) रैंक के अधिकारी की इजाजत के बिना गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है.
क्या नये कानून में पुलिस की जवाब देही बढाई गई है?
हाँ पुलिस की जवाबदेही नये कन्नुन में बढ़ाई गई: साथ ही किसी भी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करने के बाद पुलिस को सिस्टम मेंटेन करना होगा और उस एफआईआर से जुड़ी तमाम जानकारी को पुलिस कंट्रोल रूम (PCR) के साथ साझा करना होगा. इसके अलावा राज्य सरकार की भी ये जिम्मेदारी होगी कि वे प्रत्येक जिले में पुलिस जिले में पुलिस अधिकारी की नियुक्ति करे जो अपराधी से जुड़ी सभी जानकारियों को एकत्रित कर के रखे और उसे मेंटेन रखे.
साथ ही मामले से जुड़ी जानकारी और जांच के संदर्भ में कौन से कदम उठाए गए हैं, ये सारी डीटेल्स 90 दिनों के भीतर पीड़ित को देना होगा और इन्हीं 90 दिनों के अंदर चार्जशीट भी फाइल करनी होगी.
न्याय की तेजी के लिये नया कानून क्या कहता है ?
इस नए कानून के तहत जांच प्रक्रिया को भी 180 दिनों के अंदर पूरा करना होगा. इसके अतिरिक्त हर जिले में तैनात पुलिस ऑफिसर की ये ये जिम्मेदारी होगी कि वे जिसको गिरफ्तार कर रहे हैं उसकी जानकारी पीड़ित के परिवार को देनी होगी.
चार्जशीट दाखिल होने के बाद कोर्ट के पास चार्ज फ्रेम करने के लिए 60 दिनों का समय होगा तथा ट्रायल शुरू करना होगा. जांच की सत्यता को बनाए रखने के लिए तथा किसी भी तरह का संदेह नहीं हो उसके लिए पुलिस को जांच के दौरान वीडियो बनाना होगा.
ये थी कुछ नये कानून पर चर्चा नया कानून ओर क्या क्या बदलाव आये है वो हम समय समय पर मिगलानी से जानते रहेंगे