मकर संक्रांति पर सनातन धर्मवलाम्बियों ने मां अलकनंदा में लगाई आस्था की डुबकी
सबसे तेज प्रधान टाइम्स गबर सिंह भण्डारी
श्रीनगर गढ़वाल। मकर संक्रान्ति पर्व को उत्तराखंड के श्रद्धालु भक्तगण बड़े ही धूमधाम से मनाते है। मकर संक्रांति के पवित्र दिन पर हिन्दू सनातनियों धर्मवलाम्बियों ने देवप्रयाग में स्थित अलकनंदा-भागीरथी संगम जहां से कि मां श्री गंगा का प्रारंभ होता है,वहां भक्तगण आस्था की डुबकी लगाई। कुछ स्थानीय श्री देवडोलियां ने किया। क्षेत्रीय देवताओं के भी मकरसंक्रांति पर्व पर पुण्य स्नान करने की परंपरा है। आज बड़ी संख्या में लोगों ने देवप्रयाग संगम स्नान का पुण्य लाभ अर्जित किया। इसके अलावा कीर्तिनगर के निकट अलकनंदा और ढुंढम नंदी के संगम ढुंढप्रयाग को भी क्षेत्र के श्री देव-देवी के पवित्र स्नान स्थल होने का गौरव प्राप्त है।बिल्व नदी व अलकनंदा के संगम श्री बिल्व केदार का भी धार्मिक महत्व है। श्रीनगर के शारदा घाट व अल्केश्वर में भी मां अलकनंदा भारी संख्या में लोगों ने स्नान कर मकर संक्रांति पर्व पर आस्था की डुबकी लगाई। इस अवसर पर विनाशकारी पर्यटन रोको,विपरो व गांधीयन पर्यटन के संस्थापक डॉ.शंकर काला ने ढूंढम प्रयाग में पर्व स्नान पर सभी की मंगलकामनाएं की। उन्होंने कहा कि ढूंढम नंदी और अलकनंदा का संगम स्थानीय देवी-देवताओं का पुण्य स्नान स्थल है। श्री केदार खंड पुराण में ढुंढप्रयाग का वर्णन है और केदार खंड का वर्णन ढुंढप्रयाग के सामने भिल्वगंगा अलकनंदा संगम श्री बिल्व केदार से ही प्रारंभ होता है ऐसा विद्वानों का मत है। मकर संक्रांति पर्व पर ढूंढप्रयाग में स्नान अमोघ और फलदाई है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति पर दान-पुण्य और सूर्य को अर्घ्य देने पर पूर्ण लाभ और मोक्ष की प्राप्ति होती है। सनातन के प्रति अपनी आस्था रखने वाले सभी श्रद्धालु मकर संक्रांति के दिन गंगा व तीर्थ स्थल पर डुबकी लगाने के साथ जप-दान का विशेष महत्व बताया गया है। भगवान सूर्यनारायण के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश के शुभ दिन,मकर संक्रांति की हमारे परिवार की तरफ से हार्दिक शुभकामनाएं। भगवान सूर्यदेव के उत्तरी गोलार्द में आने के पवित्र दिन को हमारे देश में हर्ष,उल्लास और खुशियों के साथ मकर संक्रांति के रूप में मनाते है,इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है,इस शुभ दिन से माघ स्नान की शुरुवात भी होती है,जगत पिता प्रत्यक्ष देव भगवान सूर्यदेव की उपासना और सामाजिक समता के रूप में मनाए जाने वाले मकर संक्रांति पर्व एक शुभ दिन के रूप में मनाया जाता है,हमारे उत्तराखण्ड में इसे मकरैणी,उतरैणी,घुघति,खिचड़ी संग्राद के रूप में मनाते है। इस दिन तिल की खिचड़ी का विशेष महत्व माना जाता है,साथ ही इस दिन से देश के विभिन्न भागों में मेलों की शुरुआत होती है,उत्तराखण्ड के कुमाऊं का उत्तरायणी मेला और गढ़वाल के उत्तरकाशी के प्रसिद्ध माघ मेले की शुरुआत भी आज से ही होती है,गंगा,यमुना और सहायक नदियों के घाटों जैसे हरिद्वार,ऋषिकेश,प्रयागराज,वाराणसी,देवप्रयाग,आदि तीर्थ स्थलों,धार्मिक स्थलों में आज के दिन के स्नान का विशेष महत्व है,इस वर्ष प्रयागराज में आज से महाकुम्भ में शाही स्नान के साथ महाकुम्भ की विधिवत शुरुआत हो गई है। गढ़वाल में इसे घुघुति संग्रांद,खिचड़ी संग्रांद से भी जाना जाता है।