उत्तराखंड का धार्मिक स्थल कैलुवा विनायक देवभूमि में द्वारपाल के रूप में पूजित श्री गणेश
सबसे तेज प्रधान टाइम्स गबर सिंह भण्डारी
श्रीनगर गढ़वाल। उत्तराखंड की देवभूमि पर कण-कण में भगवान देवी-देवताओं का वास है,कहते हैं कि उत्तराखंड की पावन भूमि पर जिनका जन्म होता है वह बहुत ही भाग्यशाली होते हैं। इस देवभूमि की पावन धरती पर समृद्धि,सांस्कृतिक,आध्यात्मि,ऐतिहासिक,धरोहर और प्राकृतिक सौंदर्य की झलक स्पष्ट रुप से दिखाई देती है। उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत श्री नंदा देवी राजजात से जुड़े प्रत्येक गांव एवं पड़ावों का अपना विशेष महत्व है। मां नंदा से जुड़े यह धार्मिक स्थल कई ऐतिहासिक एवं धार्मिक गाथाओं को संजोए हुए हैं। इस दुर्गम एवं बुग्याली क्षेत्र की चोटी पर भगवान गणेश-कैलुवा विनायक की उत्पत्ति मां पार्वती के द्वारपाल के रूप में मानी जाती है,कहते हैं कि जब पार्वती स्वरूपा मां नंदा की राजजात यहां पहुंचती है तो पूरे विधि-विधान से कैलुवा विनायक की पूजा करके उनसे उत्तराखंड की देवभूमि क्षेत्र में प्रवेश की आज्ञा ली जाती है और यात्रा को निर्विघ्न संपन्न कराने का वरदान मांगते हैं। कैलुवा विनायक नंदा राजजात के मध्य पढ़ने वाला यह स्थान देवभूमि गढ़वाल के चमोली जनपद के अंदर आता है,जो की विकास खण्ड घाट के सुतोल में स्थित है। सुतोल गांव के लोग इस मंदिर की देखरेख करते हैं और इस कैलुवा विनायक मंदिर साल में एक बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर खुलता है जिसमें क्षेत्रीय दूरदराज श्रद्धालु भक्तगण पहुंचते हैं और नि:संतान दंपति पुत्र प्राप्ति हेतु इस मंदिर में मनोकामना के लिए पूजा अर्चना करते हैं। इस मंदिर में ग्रामीण वासियों का तांता लगा रहता है और भगवान कैलुवा विनायक से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। सुतोल गांव से मार्ग में बेदिनी बुग्याल एवं पातर नचौनियां से इस मंदिर की दूरी लगभग 5 किमी.के आसपास है तथा समुद्र तल से इस स्थान की ऊंचाई लगभग 15000 फीट के करीब होगी। तथा यहां पर कैलुवा विनायक की भव्य पाषाण मूर्ति की स्थापना आठवीं सदी की है। यह पोराणिक मंदिर गणेश को समर्पित है जिसे कैलुवा विनायक कहा जाता है। यहां पर हरे पत्थर पर उकेरी मूर्ति स्थापित है,इस पाषाण मूर्ति में गणेश को चतुर्भुज,त्रिनेत्र,एकदन्त एवं गजवदन उत्कीर्ण किया गया है। इसलिए इस स्थान पर राजजात में गणेश कैलुवा विनायक की विशेष पूजा की जाती है,उन्हें मक्खन का लेपन एवं सिंदूर का टीका लगाकर भोग के रूप में आटे-दूध का हलवा तथा गुड़ चढ़ाया जाता है। उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास के नए मार्ग तलाशने के लिए कैलुवा विनायक मंदिर के सेवक एवं सामाजिक कार्यकर्ता रणजीत सिंह नेगी व सुतोल गांव के क्षेत्रीय वासियों ने क्षेत्रीय विधायक भुपाल राम टम्टा से आग्रह किया है कि अपने प्रयासों व पर्यटन विभाग,संस्कृति विभाग नंदा राजजात समिति एवं विधायक निधि से पौराणिक कैलुवा विनायक मंदिर का जीर्णोद्धार एवं सौंदर्यीकरण करवाया जाए। उत्तराखंड सरकार को इन धार्मिक स्थलों की ओर ध्यान देना चाहिए जिससे कि उत्तराखंड में देश-विदेश के पर्यटक देवभूमि के धार्मिक स्थलों की ओर आकर्षित हो सके और सरकार इस कैलुवा विनायक मंदिर को पर्यटन सर्किट से जोड़ना चाहिए। सरकार को अपने उत्तराखंड के मठ मंदिरों की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है।