अच्छाई की जीत और बुराई के अंत का प्रतीक है,दशहरा पर्व : अधिवक्ता सचिन बेदी
अच्छाई की जीत और बुराई के अंत का प्रतीक है,दशहरा पर्व : अधिवक्ता सचिन बेदी
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सचिन शर्मा
हरिद्वार।विजयदशमी, जिसे दशहरा भी कहा जाता है, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व अच्छाई पर बुराई की जीत और धर्म की स्थापना के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। विजयदशमी का पर्व हर साल अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है, इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है। इसी प्रकार, माँ दुर्गा ने महिषासुर का संहार किया था, जो असुरों के राजा के रूप में अजेय माना जाता था।
अधिवक्ता सचिन बेदी ने विजयदशमी पर्व का वर्णन करते हुए बताया कि विजयदशमी का पर्व हमें यह संदेश देता है कि चाहे व्यक्ति के जीवन में कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न आएं, सत्य और धर्म की हमेशा जीत होती है। यह त्योहार समाज को यह सिखाता है कि हम अपने अंदर की बुराइयों को समाप्त करके सदाचार और नैतिकता के पथ पर आगे बढ़ें। यह दिन जीवन में धैर्य, साहस, और संघर्ष की महत्ता को रेखांकित करता है।
विजयदशमी के दिन पूरे भारत में विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजन होते हैं। कई स्थानों पर रामलीला का आयोजन किया जाता है, जिसमें भगवान राम के जीवन और रावण पर उनकी विजय का नाटकीय प्रदर्शन होता है। इस दिन रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों का दहन किया जाता है, जो बुराई के विनाश का प्रतीक है। इसके अलावा, कई जगहों पर शस्त्र-पूजन भी किया जाता है और माँ दुर्गा की मूर्तियों का विसर्जन किया जाता है।
विजयदशमी का पर्व भारत के विभिन्न राज्यों में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है। उत्तर भारत में जहाँ इसे रामलीला और रावण दहन के रूप में देखा जाता है, वहीं पश्चिम बंगाल, ओडिशा, और असम में इसे दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है। महाराष्ट्र में लोग इस दिन सोने की पत्तियाँ (आप्टे के पत्ते) एक-दूसरे को भेंट करते हैं और अच्छे भाग्य की कामना करते हैं। दक्षिण भारत में इसे ‘अयुध पूजा’ के रूप में मनाया जाता है, जिसमें शस्त्र और उपकरणों की पूजा की जाती है।
विजयदशमी न केवल एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह व्यक्तिगत आत्म-मंथन का अवसर भी है। यह दिन हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हम अपने जीवन में किन-किन बुराइयों का सामना कर रहे हैं और कैसे हम अपनी अच्छाइयों को प्रबल कर सकते हैं। यह पर्व हमें आत्म-सुधार और नैतिकता के मार्ग पर चलने के लिए भी प्रेरित करता है।
विजयदशमी का पर्व अधर्म पर धर्म एवं अच्छाई की जीत और बुराई के अंत का प्रतीक है। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि सत्य और धर्म की हमेशा जीत होती है। विजयदशमी हमें यह सीखने का भी अवसर प्रदान करती है कि किस प्रकार हम अपने भीतर की बुराइयों को दूर कर सकते है,और अपने जीवन को एक सकारात्मक दिशा में ले जा सकते हैं। विजयदशमी का पर्व हमें अपने जीवन में आदर्शों और मूल्यों को अपनाने के लिए प्रेरित करता है और यह संदेश देता है कि सत्य और धर्म की जीत अवश्य होती है।
विजयदशमी के इस पावन पर्व पर, आइए हम सभी अपने अंदर की बुराइयों को समाप्त करने का संकल्प लें और सत्य, सदाचार, और नैतिकता के पथ पर चलें। विजयदशमी पर्व की आप सबों को हार्दिक शुभकामनाएं!