वीसी से मिलकर धन्य हुई दृष्टिबाधित ऋतु
सबसे तेज प्रधान टाइम्स गबर सिंह भण्डारी
देवप्रयाग/श्रीनगर गढ़वाल। देवप्रयाग की दृष्टिबाधित शोधार्थी ऋतु और उसके परिवार के लिए 21 मार्च का दिन किसी सौभाग्यशाली अवसर से कम नहीं था। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.श्रीनिवास वरखेड़ी ने इन लोगों से भेंट की तो ये गद-गद हो गये। ऋतु तो कुलपति से भेंटकर बहुत ही भावुक होकर बोली-यह मेरे लिए अकल्पनीय और अप्रत्याशित था। ऐसा संवेदनशील व्यक्ति मैंने आज तक नहीं देखा है। देवप्रयाग के रामपुर-श्यामपुर गांव की ऋतु जन्मांध है। उसने देहरादून स्थित राष्ट्रीय बाधितार्थ संस्थान से बारहवीं,उसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय बीए तथा जवाहरलाल लाल नेहरू यूनिवर्सिटी से संस्कृत में एमए किया। फिर दिल्ली विश्वविद्यालय से पीएचडी की। कतिपय कार्यक्रमों में वह केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के श्रीरघुनाथ कीर्ति परिसर देवप्रयाग आती रही। परिसर की भव्यता और अध्ययन के बेहतर वातावरण को देख ऋतु ने एक बार केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालतय के कुलपति से मिलने की कल्पना की। कुलपति प्रो.श्रीनिवास वरखेड़ी तक यह संदेश पहुंचा। वे हरिद्वार स्थित पतंजलि विश्वविद्यालय में आयोजित शास्त्रोत्सव में आये थे और यहीं से ऋतु के देहरादून स्थित घर जाना चाहते थे,लेकिन समय की कमी के कारण उन्होंने ऋतु को पतंजलि विश्वविद्यालय में ही भेंट के लिए बुला लिया। ऋतु,उसकी मां तथा पिता संत सिंह जियाल तथा अन्य परिजन कुलपति से भेंटकर गद-गद हो गये। ऋतु तो इस दौरान अत्यधिक भावुक हो गयी। ऋतु ने कहा कि यह मेरे कल्पना से परे था। मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रहा है कि 12 परिसरों वाले इतने बड़े विश्वविद्यालय के कुलपति मुझसे इतनी सहजता से इतनी देर से बातें कर रहे हैं। ऋतु ने अपने शोध के विषय में अनेक बातें कुलपति को बताई। ऋतु के परिजनों ने इस सहृदयता और संवेदनशीलता के लिए कुलपति प्रो.वरखेड़ी का अभार जताया। कुलपति प्रो.वरखेड़ी ने ऋतु को शॉल ओढ़ाकर कर सम्मानित किया और कहा कि आप में कोई कमी नहीं है। तुम सफलता के बहुत निकट हो,तुमने अपनी प्रतिभा का सदुपयोग किया है,दृढ़संकल्प के आगे कोई भी बाधा टिकती नहीं है। तुम हमारे संस्कृत जगत की वर्तमान और भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणा का कार्य करोगी। पहाड़ में जन्मने,बेटी होने और उस पर भी शारीरिक बाधा होने पर भी तुमने हार नहीं मानी, तुमसे बड़ा विजेता और कौन हो सकता है। कुलपति ने ऋतु को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि तुम अपने परिवार की ही नहीं,अपने क्षेत्र और समाज का भी गौरव बनने जा रही हो। तुम संस्कृत जगत की सच्ची सेविका हो। तुमने अपनी शारीरिक बाधा की परवाह न कर इस देववाणी की सच्ची सेवा की है। कुलपति प्रो.श्रीनिवास वरखेडी़ ने बताया कि ऋतु एक विलक्षण बालिका है। शास्त्र पर उसकी गहरी पकड़ है। उसमें जिज्ञासा और तप दोनों गुण हैं,जो किसी को सफलता प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।