पटवाल ने उगाई गुच्छी मशरूम - डॉ. कुकसाल
सबसे तेज प्रधान टाइम्स गबर सिंह भण्डारी
श्रीनगर गढ़वाल। दुनिया की सबसे महंगी मशरूमों में से एक गुच्छी मशरूम फफूंद जगत के मार्केला Marchella कुल की एक प्रजाति है। हिमालय की पहाड़ियों के घने जंगलों में यह प्राकृतिक रूप से उगती है। जिसको स्थानीय लोग तोड़ कर कच्चा या सुखाकर उपयोग में लाते हैं या बाजार में बेचने है। ये बड़े बड़े गड्ढों के साथ पीले रंग के होते हैं,गुच्छी मशरूम में आयरन प्रचूर मात्रा में पाया जाता है,इसके अलावा इसमें विटामिन बी,विटामिन डी,फाइबर और कई तरह के मिनरल्स भी पाए जाते हैं,कहा जाता है कि इसका सेवन करने से दिल से संबंधित बीमारियां नहीं होती हैं,दुनिया के अमीर लोग ही केवल गुच्छी मशरूम खाते हैं,गुच्छी मशरूम कश्मीर हिमाचल उत्तराखंड की ऊंची-ऊंची चोटियों के जंगलों में बर्षात के मौसम में अपने आप उगता है। इसकी यूरोप,अमेरिका,फ्रांस,इटली और स्विट्जरलैंड जैसे कई देशों में डिमांड बढ़ती जा रही है। खाने के अलावा गुच्छी मशरूम का इस्तेमाल दवाइयां बनाने में भी किया जाता है भारत के प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथ चरकसंहिता में इसे सर्पच्छत्रक कहा गया है,गुच्छी मशरूम के विकास के लिए उचित तापमान का होना जरूरी है अगर उचित तापमान नहीं होगा,तो यह तेजी से विकास नहीं करेगा दिन का तापमान 15 से 20 डिग्री सेल्सियस के बीच और रात का तापमान पांच से 9 डिग्री सेल्सियस के बीच होने पर यह तेजी से ग्रोथ करता है,लेकिन मौसम में बदलाव आने से अब गुच्छी मशरूम के उत्पादन में गिरावट आ रही है,अभी तक गुच्छी मशरूम की व्यवसायिक खेती नहीं होती थी,नवीन पटवाल ने दुनिया के महंगे गुच्छी मशरूम Marchella Species का व्यवसायिक उत्पादन किया है,जो देश में पहली बार है। पटवाल करीब 18 साल से मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में हैं,रुड़की में हाईटेक प्लांट में मशरूम फार्मिंग करते हैं। उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के फलदाकोट गांव में पिछले तीन साल से वह गुच्छी मशरूम की खेती का प्रयास कर रहे थे। दो बार असफलता के बाद आखिर उनको गुच्छी मशरूम की व्यवसायिक खेती में बड़ी सफलता मिली है, पटवाल ने 100 वर्ग मीटर के पोली हाउस में 80 किलो गुच्छी मशरूम का व्यवसायिक उत्पादन किया,इस मशरूम की कीमत इसके आकार और गुणवत्ता के अनुसार 25 से 40 हजार रुपये प्रति किलो तक रहती है। नवीन पटवाल बी टैक की पढ़ाई करने के बाद साल 2007 से मशरूम के क्षेत्र में काम कर रहे हैं,उनके उत्तराखंड के हरिद्वार और रुड़की में ऑयस्टर और बटन मशरूम समेत अलग-अलग मशरूम की किस्मों का उत्पादन कर रहे हैं। उत्तराखंड के लिए ही नहीं यह पूरे देश के सभी पर्वतीय क्षेत्रों के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। आने वाले समय में पटवाल द्वारा विकसित गुच्छी मशरूम उत्पादन की यह तकनीक निश्चित रूप से पहाड़ी क्षेत्रों के लिए गेम चेंजर साबित हो सकती है। नवीन पटवाल एवं इस सफल प्रयोग से जुड़े सभी वैज्ञानिकों व विशेषज्ञों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी गई।