एक अप्रैल को यूपीएस के विरोध मे राज्य के कार्मिक मनाएंगे काला दिवस
सबसे तेज प्रधान टाइम्स गबर सिंह भण्डारी
पौड़ी/श्रीनगर गढ़वाल। पुरानी पेंशन बहाली के लिए और यूपीएस तथा एनपीएस का विरोध करने के लिए कार्मिकों में लगातार आक्रोश व्याप्त है। उनके द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से इस यूपीएस और एनपीएस का विरोध किया जा रहा है। इसी क्रम में 1 अप्रैल से यूपीएस और एनपीएस के विकल्प के रूप में जो आदेश दिया गया है उसका सभी कार्मिक विरोध कर रहे हैं और इसी विरोध स्वरूप 1 अप्रैल को पूरे प्रदेश में काला दिवस मनाया जाएगा। जिसमें सभी कार्मिक काली पट्टी बांधकर,डीपी काली कर,दिन मे जनपदो मे यूपीएस की प्रतियां जलाने व राज्य मे जिलाधिकारियों के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा जायेगा व और शाम को 8 से 9 बजे तक अपने घरों में अंधेरा कर इसका विरोध करेंगे। इस उपलक्ष्य में आज में विभिन्न संगठनों द्वारा एक ऑनलाइन बैठक आयोजित की गई और 1 अप्रैल के कार्यक्रम को सफल बनाने की रणनीति तय की गई। कार्यक्रम में राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष जयदीप रावत,प्रदेश महासचिव सीताराम पोखरियाल और उत्तराखंड कर्मचारी शिक्षक संगठन के गढ़वाल अध्यक्ष संजय भास्कर,एजुकेशनल मिनिस्ट्रीयल ऑफिसर्स एसोसिएशन गढ़वाल अध्यक्ष आशुतोष सेमवाल,मिनिस्ट्रीयल फेडरेशन के प्रदेश महामंत्री मुकेश बहुगुणा,पब्लिक हेल्थ मिनिस्ट्रीयल के प्रदेश महासचिव संजय नेगी,ऊर्जा विभाग के प्रदेश अध्यक्ष राकेश शर्मा,मेहरबान गढ़वाल मंडल महिला प्रभारी रनिता विश्वकर्मा,गढ़वाल अध्यक्ष पूरन फर्सवाण,गढ़वाल मंत्री नरेश भट्ट,शंकर भट्ट,अभिशेख नवानी,सौरभ नौटियाल,लक्छमण सजवाण,अवदेश सेमवाल,रोहित जोशी,राकेश भट्ट,मनोज अवस्थी,विक्रम रावत,माखन लाल शाह,केदार फर्शवान,राजीव उनियाल,जसपाल गुसाई आदि ने बैठक में प्रतिभाग किया और इस व्यवस्था का विरोध करते हुए 1 अप्रैल को पौड़ी मुख्यालय में एक रैली के माध्यम से भी विरोध करने का निर्णय लिया। कार्मिकों ने कहा कि यदि यूनिफाइड पेंशन स्कीम इतनी ही अच्छी है तो क्यों ना हमारे जनप्रतिनिधि इसे ग्रहण करें। एक दिन का विधायक और सांसद भी पुरानी पेंशन ले रहा है। यद्यपि वह जन सेवा के लिए राजनीति में आए हैं लेकिन हर समय उनके द्वारा अपने वेतन भत्तों और पेंशन को बढ़ाया जाता है। कार्मिक भी देश की सेवा में उतना ही योगदान दे रहा है जितना कि जन सेवक दे रहे हैं। लेकिन फिर भी यह भेदभाव क्यों। जहां प्रधानमंत्री मोदी एक देश एक चुनाव,एक संविधान एक निशान जैसी बातों से देश को आगे बढ़ाने की बात करते हैं वहीं कार्मिकों में भेदभाव करते हुए उन्हें पुरानी पेंशन से वंचित कर रहे हैं,जो कि कार्मिकों के साथ एक बहुत बड़ा धोखा है। जब तक पुरानी पेंशन बहाल नहीं होती कार्मिक अपना विरोध दर्ज करते रहेंगे। यदि सरकार ने जल्दी ही पुरानी पेंशन बहाली का निर्णय नहीं लिया तो आने वाले समय में राज्य एवं देश के अंदर होने वाले विभिन्न चुनाव में इसका खामियाजा सत्ता रूढ़ दल को भुगतना होगा। कार्मिकों का कहना है कि हमारे अर्द्ध सैनिक सैनिक बल के जवान और तमाम सुरक्षा एजेंसियां जो की लगातार देश की रक्षा करते हुए हमें सुरक्षित जीवन दे रहे हैं उन्हें भी इस पेंशन से वंचित किया जा रहा है। कोरोना जैसी महामारी में जहां कार्मिकों ने अपना सब कुछ दांव पर लगाते हुए देश के नागरिकों को बचाने में अपना सर्वस्व लगा दिया और देश के विकास में अपना योगदान लगातार दे रहे हैं फिर भी उन्ही कार्मिकों के साथ इस प्रकार का अन्याय किया जा रहा है। सरकार को सोचना चाहिए कि यदि कार्मिक ही नहीं होंगे और उन्हें सुविधा नहीं दी जाएगी तो वह किस प्रकार अपना कार्य कर सकते हैं और यदि कार्मिक अपना कार्य नहीं करेंगे तो देश किस प्रकार से विश्व गुरु बनेगा और विश्व की तीसरी आर्थिक महाशक्ति बनेगा। इसलिए सभी से आह्वान कि वह 1 अप्रैल को होने वाले विरोध को सफल बनाएं और आने वाले समय में एनपीएस और यूपीएस का विरोध करते रहें।