ग्रीन हाउस में गैस का प्रभाव और कारण
सबसे तेज प्रधान टाइम्स गबर सिंह भण्डारी
श्रीनगर गढ़वाल। ग्रीन हाउस प्रभाव एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा किसी ग्रह के वातावरण में मौजूद कुछ गैसें वातावरण के तापमान को अपेक्षाकृत अधिक गर्म बनाने में मदद करती है,जिन्हें ग्रीन हाउस गैसें कहते हैं। इनमें प्रमुख रूप से कार्बनडाइ ऑक्साइड,जलवाष्प, मीथेन आदि शामिल हैं। यदि यह ग्रीन हाउस प्रभाव न होता तो शायद ही पृथ्वी पर जीवन होता क्योंकि तब पृथ्वी का औसत तापमान वर्तमान में है -18° सेंटीग्रेड होता न कि-15° सेटीग्रेड जो कि वर्तमान में है। दिन के समय सूर्य पृथ्वी के वायुमंडल को गर्म करता है,रात में पृथ्वी जब ठंडी हो जाती है,तो गर्मी वापस वायुमंडल में विकीर्ण हो जाती है। इस प्रक्रिया के दौरान पृथ्वी के वायुमंडल में मौजूद ग्रीन हाउस गैसों द्वारा गर्मी को अवशोषित कर लिया जाता है,जिसके कारण पृथ्वी की सतह गर्म बनती है,जिसके कारण पृथ्वी पर जीवित प्राणियों का जीवित रहना सम्भव हो पाता है। ग्रीन हाउस गैसों के बढ़ते स्तर के कारण पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ रहा है। *ग्रीन हाउस गैसों के उत्पन्न होने के कारण* 1- जीवाश्म ईंधन का जलना-जीवाश्म ईधन हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है,इनका व्यापक रुप में परिवहन तथा बिजली उत्पादन में उपयोग किया जाता है,जीवाश्म ईधन के जलने से कार्बनडाइ ऑक्साइड निकलती है,जनसंख्या में वृद्धि के साथ जीवाश्म ईंधन का उपयोग बढ़ गया है इससे ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में वृद्धि हुई हैं।
2- वनों की कटाई-पेड़ पौधे कार्बनडाइ ऑक्साइड भोजन बनाने में प्रयोग करते हैं और आक्सीजन गैस छोड़ते हैं,पेड़ों की कटाई के कारण ग्रीन हाउस गैसों में काफी वृद्धि हुई है जिससे पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है।
3- खेती- खेती में उर्वरकों में उयुक्त नाइट्रस ऑक्साइड वायुमंडल में ग्रीन हाउस प्रभाव के लिए जिम्मेदार कारकों में से एक है।
4- औद्योगिक अपशिष्ट- उद्योग और कारखाने हानिकारक गैसों को उत्पन्न करते हैं जो वायुमंडल में छोड़ी जाती हैं,इन कारखानो से निकलने वाले अपशिष्ट जल से (लैंडफिल) से भी विषाक्त गैसें उत्पन्न हेगि हैं।
*ग्रीन हाउस गैसों के प्रभाव*
ग्लोबल वार्मिंग- यह घटना पृथ्वी के वायुमंडल के औसत तापमान में कार्मिक वृद्धि की घटना है, इस पर्यावरणीय समस्या का मुख्य कारण जीवाश्न ईंधन के जलने,वाहनों, उद्योगों और अन्य मानवीय गतिविधियों से निकलने वाली कार्बनडाइ ऑक्साइड और मीथेन जैसी ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा में वृद्धि है।
2- ओजोन पर्त का भरण- ओजोन पर्त पृथ्वी को सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी करने से बचती है या समताप मंडल की ऊपरी क्षेत्र में पाई जाती है, ओजोन पर्त के क्षय के परिणाम स्वरूप हानिकारक पराबैंगनी किरणें पृथ्वी की सतह पर प्रवेश करती हैं,जिससे त्वचा कैंसर हो सकता है और जलवायु में भी भारी बदलाव आ सकता है, इस घटना का प्रमुख कारण क्लोरोफ्लोरो कार्बनडाइ ऑक्साइड मीथेन सहित प्राकृतिक ग्रीनहाउस गैसों का संचय है।
3- धुआं और वायु प्रदूषण- धुआं और कोहरे के मिश्रण से स्मांग बनता है यह प्राकृतिक और मानव निर्मित दोनों तरह से हो सकता है, सामान्य तौर पर स्मांग नाइट्रोजन और सल्फर ऑक्साइड सहित ग्रीन हाउस गैसों के संचयन से बनता है, स्मांग के निर्माण में मुख्य योगदान ऑटोमोबाइल और औद्योगिक उत्सर्जन जंगल की आग और रसायनों की आपस में प्रतिक्रिया है।
4- जल निकायों का अम्लीकरण- हवा में ग्रीन हाउस गैसों की कुल मात्रा में वृद्धि ने दुनिया के अधिकांश जल निकायों को अम्लीय बना दिया है, ग्रीन हाउस कैसे वर्ष के पानी के साथ मिलकर अम्लीय वर्षा के रूप में गिरती है जिससे जल निकायों का अम्लीकरण हो रहा है, इसके अलावा वर्षा का पानी अपने साथ प्रदूषक तत्वों को ले जाता है और नदी नालों और झीलों में गिरता है जिससे उनका अम्लीकरण हो जाता है।