भक्ति,शक्ति, श्रद्धा और आराधना का पर्व है नवरात्र-सचिन बेदी
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हरीश वलेजा
दुर्गा नवरात्र भारत का एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व है, जो हिन्दू धर्म में माता दुर्गा की उपासना और स्तुति को समर्पित है। यह पर्व नौ दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की आराधना की जाती है। दुर्गा नवरात्र का मुख्य उद्देश्य मां की अलग अलग रूपों में उपासना के साथ ही बुराई पर अच्छाई की जीत,शक्ति और साहस का संचार करना है।
नवरात्र संस्कृत शब्द ‘नव’ और ‘रात्रि’ से बना है, जिसका अर्थ है ‘नौ रातें’। ये नौ रातें और दस दिन विशेष रूप से देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के लिए समर्पित होती हैं। प्रत्येक दिन एक अलग रूप की आराधना की जाती है, जो क्रमशः शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, और सिद्धिदात्री हैं।
मां दुर्गा के प्रत्येक रूप का अपना विशेष महत्व है, जैसे कि शैलपुत्री धैर्य और शक्ति का प्रतीक मानी जाती हैं,जबकि कालरात्रि बुराई और नकारात्मक शक्तियों को नष्ट करने वाली देवी के रूप में पूजी जाती हैं। वही मां सिद्धिदात्री धन एवं वैभव की देवी कहलाती है। नवरात्र के पहले दिन भक्त अपने घरों में कलश स्थापना करते हैं,अपनी श्रद्धानुसार व्रत रखते हैं,और मां का मंडप सजाकर मां का विभिन्न प्रकार से सुन्दर और आकर्षक श्रृंगार कर नवरात्रि पर्व बड़ी धूमधाम से मनाते है।
नवरात्र के सम्बंध में कुछ प्राचीन मान्यताएं और प्रथाएँ प्रचलित है, जैसे नवरात्र के दौरान व्रत और उपवास का विशेष महत्व होता है। भक्तगण इस समय अपने जीवन में अनुशासन और संयम का पालन करते हैं। व्रत के माध्यम से वह न केवल अपने शरीर को शुद्ध करते हैं,बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति की ओर भी बढ़ते हैं। कई भक्त इस दौरान केवल फलाहार करते हैं या सात्विक आहार ग्रहण करते हैं, और तामसी वस्तुओं का त्याग करते है,जिसमें प्याज,लहसुन,और अनाज आदि का त्याग किया जाता है।
प्रत्येक दिन देवी की पूजा में विशेष मंत्रों का जाप और आरती की जाती है। दुर्गा सप्तशती का पाठ विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। मंदिरों में विशेष आयोजन होते हैं,कई स्थानों पर शाम को भक्तगण गरबा और डांडिया रास जैसे पारंपरिक नृत्यों में भाग लेते हैं।
मां दुर्गा नवरात्र का आध्यात्मिक महत्व यह है कि नवरात्र केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका आध्यात्मिक महत्व भी है। यह पर्व हमें अपने भीतर की नकारात्मकताओं, भय, और कमजोरियों का सामना करने और उन्हें पराजित करने की प्रेरणा देता है। देवी दुर्गा, शक्ति की देवी, हमें यह सिखाती हैं कि हमें जीवन की चुनौतियों का सामना पूरी शक्ति और साहस के साथ करना चाहिए। यह पर्व आंतरिक शुद्धता, आत्म-अनुशासन और ईश्वर के प्रति समर्पण का भी प्रतीक है। नवरात्र के नौ दिन हमें यह याद दिलाते हैं कि जीवन में संतुलन और स्थिरता बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है, चाहे वह शारीरिक हो, मानसिक या आध्यात्मिक।
दुर्गा नवरात्र केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, अपितु यह हमारी आस्था, शक्ति और संस्कारों का भी प्रतीक है। यह नौ दिन हमें अपने भीतर की शक्तियों को पहचानने और उन्हें जागृत करने का अवसर देते हैं। दुर्गा नवरात्र का संदेश है कि सत्य, साहस और समर्पण के साथ जीवन की हर चुनौती का सामना किया जा सकता है। देवी दुर्गा की कृपा से, हम सभी को अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त हो,मां से सभी भक्त यही प्रार्थना करते है।