भक्त-साधक सतोगुणी होता है सत्व में जीता है : डॉ प्रणव पण्ड्या
भक्त-साधक सतोगुणी होता है सत्व में जीता है : डॉ प्रणव पण्ड्या
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सचिन शर्मा
हरिद्वार ।अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ प्रणव पण्ड्या ने कहा कि भक्त, साधक सतोगुणी होता है और सत्व में जीता है। परमात्मा का प्रेम उन्हीं को मिलता है, जो बालक की तरह सरल हो, निर्दोष, निच्छल और शुद्ध आचरण करता हो।गीता मर्मज्ञ श्रद्धेय डॉ पण्ड्या गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में शारदीय नवरात्र में आध्यात्मिक साधना में जुटे साधकों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि योगेश्वर श्रीकृष्ण की अनमोल वाणी से बोली गई श्रीमद्भगवद्गीता एक ऐसा रहस्यमय ग्रंथ है, जो सही अर्थ समझते हंै, उनका पिछले कई जन्मों के पापों का क्षरण हो जाता है और जीवन सफल हो जाता है। गीता मर्मज्ञ श्रद्धेय डॉ पण्ड्या ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता के राजगुह्य योग के अनुसार यह गूढ़ ज्ञान सच्चे साधकों-भक्तों के लिए है। गीता को सारे उपनिषदों का सार माना गया है और इसका वाचन प्रेम और भक्ति के वातावरण में होना चाहिए। नवचेतना के उद्घोषक श्रद्धेय डॉ पण्ड्या ने कहा कि भगवान केवल भक्ति नहीं, परा भक्ति की बात करते हैं, जिसमें प्रेम व भक्ति (साधना) दोनों का मिलन है।
इससे पूर्व संगीत विभाग के भाइयों ने ‘अपनी भक्ति का अमृत पिला दो प्रभु.....’ भावगीत प्रस्तुत कर सभी को उल्लसित झंकृत कर दिया। समापन से पूर्व देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने श्रीगीताजी की सामूहिक आरती की। इस अवसर पर शांतिकुंज व्यवस्थापक श्री योगेन्द्र गिरी सहित देवसंस्कृति विश्वविद्यालय-शांतिकुंज परिवार तथा देश विदेश से आये सैकड़ों साधक उपस्थित रहे।
देसंविवि ने वैश्विक शिक्षा के लिए जॉर्जिया के आईबीएसयू के साथ अनुबंध
हरिद्वार 8 अक्टूबर।
देव संस्कृति विश्वविद्यालय (देसंविवि) और इंटरनेशनल ब्लैक सी यूनिवर्सिटी (आईबीएसयू) टिबिलिसी, जॉर्जिया के बीच शैक्षणिक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते का उद्देश्य शिक्षा और शोध के सहित मनोविज्ञान, भाषा अध्ययन, शिक्षा, प्रौद्योगिकी और प्रबंधन को बढ़ावा देना है।
इस अनुबंध पर देसंविवि के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या तथा आईबीएसयू के वरिष्ठ पदाधिकारी डॉ के. शेन्गेलिया ने हस्ताक्षर किये, जो दोनों संस्थानों के बीच सहयोग को और सुदृढ़ करेगा। यह साझेदारी नवाचार, शोध और पेशेवर विकास के नए अवसर प्रदान करेगी और ज्ञान और विशेषज्ञता के आदान-प्रदान के माध्यम से समाज के उत्थान में योगदान देगी।
दोनों विश्वविद्यालय संयुक्त शोध, पायलट परियोजनाओं और वैज्ञानिक आयोजनों पर भी सहयोग करेंगे, साथ ही शैक्षणिक प्रकाशनों और संसाधनों का आदान-प्रदान करेंगे। दोनों संस्थान छात्रों के लिए इंटर्नशिप और प्रशिक्षण कार्यक्रमों हेतु उपयुक्त कंपनियों और फर्मों की पहचान करने हेतु मिलकर कार्य करेंगे।