उत्तराखंड की सस्कृति और वाद्ययंत्रो को राश्ट्रीय स्तर पर दिलाई जाये पहचानः- बंसती बिष्ट
उत्तराखंड की सस्कृति और वाद्ययंत्रो को राश्ट्रीय स्तर पर दिलाई जाये पहचानः- बंसती बिष्ट
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सुनील सोनकर
मसूरी।पहाड़ों की रानी मसूरी में पत्रकारो से वार्ता करने हुए जागर गायिका बसंती बिष्ट ने कहा कि अपनी संस्कृति को बढ़ावा देने के साथ 10 साल से निशुल्क बच्चे को सिखाने का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि उनका लेखन शोध नंदा देवी पर चल रहे हैं गढ़वाल और कुमाऊं के घर-घर जाकर पांच पीढिया का इतिहास हैजिस पर उनके द्वारा किताबों में लिखी जा रही है । उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के पहाडों में अदृश्य शक्तियों का संसार था जिस पर उनके द्वारा शोध भी किया गया था और वह शोध सस्कृति विभाग को दिया गया था परंतु आज तक उसमें कोई काम नहीं हो पाए। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के पहाड़ों में अनोखी धूने हैं जिनको समझाया जाना जरूरी है परंतु वर्तमान में पश्चात संगीत का चलन हो गया है जिससे इन धूनो और कलाकारोें को जगह नहीं मिल पा रही है। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा उनको लोक संस्कृति संरक्षण का अध्यक्ष बनाया गया था और उनके द्वारा प्राइमरी स्कूलों से बच्चों को उत्तराखंड की लोक संस्कृति के बारे में पढ़ाया जाने के साथ उनको लोक वाद्ययंत्रो को सिखाये जाने को लेकर जोर डाला गया था परंतु वर्तमान सरकार द्वारा इस दिषा में काम नही किया गया है। उन्होंने बताया कि महिला मंगल दल को मेलो में अपनी संस्कृति को प्रदर्शित करने का मौका दिया जाए परंतु वर्तमान परिपेक्ष में बड़े-बड़े स्टारों को मेलो में जगह दी जा रही है और स्थानीय कलाकारों के अनदेखी जा रही है जो दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड निर्माण के आंदोलन में उनके द्वारा अहम भूमिका निभाई गई जगह जगह जाकर कार्यक्रम कर लोगों को उत्तराखंड निर्माण के लिए किये जा रहे आंदोलन को लेकर जागरूक किया। लोगों ने उत्तराखंड निर्माण के लिये अपनी जान दी महिलाओं की अस्मत लूटी गइर्। उन्होंने उत्तराखंड आंदोलनकारी होने के बाद भी अपनी पेंशन नहीं लगाई उनका मानना था कि उनको उत्तराखंड राज्य मिल गया तो सब कुछ मिल गया । उन्होंने कहा कि उत्तराखंड निर्माण के बाद उनको पद्मश्री से नवाजा गया है जो उनके लिए गौरव की बात है। उन्होंने प्रदेष सरकार को उत्तराखंड की संस्कृति और भाषा को लेकर को लेकर काम करने का आग्रह किया। पहाड़ की भाषाओं को लेकर आगे आना होगा जिससे कि पहाड़ की उत्तराखंड की संस्कृति को बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय संगीत नाटक अकादमी में अभी तक उत्तराखंड को जगह नहीं मिली है उन्होंने कहा कि उत्तराखंड का संगीत अभी तक राष्ट्रीय स्तर पर नहीं पहुंचा है वह सिर्फ प्रदेश स्तर पर ही घूम रहा है। राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने को लेकर सरकार को कम करना चाहिए।