प्लम में उच्च घनत्व की बागवानी - डॉ. कुकसाल
सबसे तेज प्रधान टाइम्स गबर सिंह भण्डारी
श्रीनगर गढ़वाल। प्लम की उच्च घनत्व की बागवानी याने प्रति इकाई क्षेत्र फल में अधिक पौधे लगा कर उत्पादकता बढ़ाना आधुनिक प्लम की खेती को उच्च घनत्व वाली खेती भी कहा जाता है। पारंपरिक बगीचे की तुलना में इस प्रणाली में प्रति इकाई पेड़ों की संख्या अधिक होती है जिससे उत्पादन प्रति इकाई सात से आठ गुना तक बढ़ाया जा सकता है। दिनांक 15 फरवरी 2025 को "धाद" संस्था द्वारा स्टोन फ्रुट्स (आड़ू प्लम खुवानी) पर जनपद टिहरी के विकास खण्ड जौनपुर नैनबाग टिहरी गढ़वाल में उद्यान पंडित कुन्दन सिंह पंवार के नारायणी नक्षत्र उद्यान में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई जिसमें कई बागवानों ने भाग लिया। उद्यान भ्रमण के समय उद्यान पंडित कुन्दन सिंह पंवार ने प्लम की उच्च घनत्व की बागवानी के विषय में बताया कि पारंपरिक विधि में लाइन से लाइन की दूरी एवं लाइन में पौध से पौध की दूरी 20x20 फीट (110 पौधे/एकड) तक होती है। पल्म में उच्च घनत्व में 12x6 फीट पर कुल पौध रोपण 615 पेड़/एकड़ होता है। इस प्रणाली में मैरियाना-2624 (ड्वार्फ रुट स्टाक) इन्टर स्टाक पर तैयार प्लम के पौधों का रोपण किया गया तथा उचित कटाई छंटाई कर पौधों को एक निश्चित आकार दिया गया साथ ही सहारा देने हेतु एक मजबूत सपोर्ट सिस्टम का निर्माण किया गया। राजकीय उद्यान चौबटिया व अन्य संस्थाओं के सहयोग से उनके द्वारा अब तक प्लम की ब्लैक अंम्वर,मेथले,ग्रीन गेज,फ्रायर,हिरोमी रेड प्लम,क्रिमसन ग्लो,फोर्च्यून,औगेटो,गोल्डन प्लम,रेड ब्यूट,मैरीपोजा,स्तले पर्पल,ब्लैक स्पलिन्डर,सैन्टा रोजा,एंजेलिनो व प्रेसिडेंट किस्मों का संकलन किया गया है। प्लम की नई किस्में ब्लेक एंबर,फार्चून और फ्रायर जैसे किस्मों की शेल्फ लाइफ ज्यादा है,रेड ब्यूट प्लम की शेल्फ लाइफ करीब 5 दिन की रहती है,इतने समय में आसानी से इसको मार्केट तक भी पहुंचाया जा सकता है,ब्लैक एंबर प्लम की शेल्फ लाइफ 20 दिन से ज्यादा हैं,कोल्ड स्टोर में इन किस्मों के प्लम को लंबे समय तक रखा जा सकता है,ऐसे में दूर दराज के इलाकों से भी नई किस्म के प्लम को आसानी से मार्केट में पहुंचाया जा सकता है। ब्लैक अंबर से 15 दिन बाद फ्रायर किस्म का प्लम तैयार होता है। यह काले रंग का बड़ा प्लम होता है। ये किस्में तीन साल के बाद फलों के सैंपल देने लगते हैं। प्लम की अलग-अलग किस्मों (अर्ली मिड व लेट) का रोपण कर बागवान लगातार चार से पांच माह याने मई से सितंबर तक लगातार उपज ले सकते हैं। प्लम की किस्में--रेंड ब्यूट--यह एक अगेती किस्म है। पौधा फैलावदार होता है। इसके फल मध्य आकार,ग्लोब की तरह व लाल एवं चमकीली त्वचा वाले,फलों का गूदा पीला,मुलायम,मीठा एवं सुगन्धित्त व गुठली से चिपका होता है। फल मई के अन्तिम सप्ताह में सेंटा रोजा से लगभग दो सप्ताह पहले पक कर तैयार होते हैं। पौधे नियमित फल देने वाले होते हैं। सैंटा रोजा--यह एक स्व-परागित,शीघ्र व अधिक फल उत्पादन वाली प्रजाति है। फल आकार में बड़े,लाल से गहरे लाल व बैंगनी रंग वाले,फलों का गूदा एम्बर रंग का परन्तु छिलके के पास लालिमा युक्त तथा क्लिंगस्टोन प्रवृति वाला,रसदार एवं विशिष्ट सुगन्ध युक्त होता है। यह प्रजाति मध्य पर्वतीय क्षेत्रों में जुलाई में पक कर तैयार होती है। फ्रंटियर--फल सेंटा रोजा से आकार में बड़े गहरे लाल बैंगनी रंग के छिलके,गूदा गहरे लाल रंग का मीठा स्वादिष्ट व सुगन्धित किस्म है। फल सैंटा रोजा किस्म से 10-13 दिन बाद पक कर तैयार होते हैं व फलों की भण्डारण क्षमता अच्छी है। पौधे ओजस्वी,सीधा ऊपर की ओर बढ़ने वाले व अधिक पैदावार देने वाले होते है। अधिक फलत के लिए परागण की आवश्यकता होती है तथा सेंटा रोजा एक अच्छी परागण किस्म है। मैरीपोजा--फल मध्यम से बड़े,गोलाकार,लालिमा युक्त छिलके वाले होते हैं। गूदा गहरे लाल रंग का,मीठा,अच्छी भण्डारण क्षमता वाला व गुठली का आकार बहुत छोटा होता है। यह एक स्व-परागण वाली किस्म है। इसे अच्छे फल उत्पादन के लिए पर परागण की आवश्यकता होती है तथा सैंटा रोजा इसके लिए सबसे उपयुक्त परागण किस्म है। यह देरी से पकने वाली किरम है। मैरीपोजा का फल सेंटारोजा से लगभग एक महीने दिन बाद पक कर तैयार होता है। ब्लैक एम्बर--फल आकार में बड़े,पकने पर लगभग काला रंग,गूदा पीला,रसदार एवं मीठा,सैंटा रोजा की तुलना में अच्छी भण्डारण क्षमता वाले होते हैं। इसके फल ताजा खाने तथा चटनी (सॉस) बनाने के लिए उपयुक्त होते हैं। इसके परागण के लिए सेंटा रोजा एक उपयुक्त परागण किस्म है। फ्रायर--फल बड़े गोलाकार,छिलका काले रंग का,गूदा एम्बर रंग का और फ्रीस्टोन होते है। यह सैंटा रोजा से 4-5 सप्ताह के बाद पकने वाली स्व परागित किस्म है। यद्यपि इसके अधिक व गुणवत्ता युक्त फलोत्पादन के लिए सेंटा रोजा एक अच्छी परागण किस्म है। ड्यूआर्ट--फल बहुत बड़े,रक्त की तरह लाल रंग,हृदयाकार के होते है। फलों का गूदा लाल रंग का,उत्तम सुगंध युक्त होता है। फल ताजा खाने व जैम और जैली बनाने के लिए उपयुक्त होता है। परागण के लिए अन्य जापानी प्लम की किस्मों की आवश्यकता होती है। शिरो--सभी पीले प्लमों में से एक अच्छी उत्पादन बाली किरन,फल चमकदार पीले रंग वाले तथा क्लिंगस्टोन प्रवृति के होते हैं। फल जुलाई के अंत तक पक कर तैयार होते हैं। ब्लैक स्प्लेंडर--इस किस्म के पौधे मध्यम वृद्धि तथा फैलावदार प्रवृत्ति वाले होते हैं। फल आकार में बड़े,काले रंग का छिलका,गूदा चुकंदर की तरह लाल और खट्टास (टार्ट) स्वाद वाले होते हैं। फल सेंटा रोजा से पहले पक कर तैयार होते है। एंजेलिनो--फल बढ़े,गोल,ऊपर और नीचे से संकुचित एवं स्पष्ट केन्द्र रेखा (Central suture) वाले,बैंगनी से काले रंग,मिठास युक्त एवं फ्रीस्टोन होते हैं। यह एक पछेती किस्म है जो अगस्त में पक कर तैयार होती है। प्रेसिडेंट--फल आकार में बड़े,रसदार,नीले काले तथा पीले रंग के गूदे वाले होते हैं। पौधे ओजस्वी वृद्धि वाले,जिनमें फूल मार्च के महीने में खिलते हैं और फल मध्य सितम्बर तक पक कर तैयार होते हैं। इस प्रकार प्लम की अर्ली मिड व लेट उन्नतशील किस्मों का रोपण कर बागवान माह मई से सितंबर तक उत्पादन ले सकता है।