देवभूमि उत्तराखंड के ऐतिहासिक कौथिग में जीतू बगड़वाल की शानदार प्रस्तुति
सबसे तेज प्रधान टाइम्स गबर सिंह भण्डारी श्रीनगर गढ़वाल। ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक धर्मनगरी श्रीक्षेत्र श्रीनगर के अष्टावक्र व अन्य ऋषि मुनियों की तपोभूमि के विकास खण्ड खिर्सू की निकटवर्ती ग्राम पंचायत जलेथा में नगरसैणी मंदिर के प्रांगण पर उत्तराखंड का पौराणिक सुप्रसिद्ध मशहूर जीतू बगड़वाल का छह दिवसीय लोकनृत्य मेले का समापन हुआ। उत्तराखंड राज्य का एक प्रमुख लोकनृत्य के रूप में जाना जाता है। उत्तराखंड की सुंदर वादियों और अनेकों रीति-रिवाजों सुंदर परंपराओं के बीच पूरे गढ़वाल क्षेत्रों में जीतू की याद में जीतू बगड़वाल की प्रेम कथा को जागर और नृत्य के माध्यम से मंचन किया,जिसमें सैकड़ो भक्त पहाड़ की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा बने। जीतू बगड़वाल उत्तराखंड की लोक संस्कृति से जुड़ी एक प्रसिद्ध कहानी है जो वीर प्रेम और बलिदान की गाथा है जो कि गढ़वाल में लोक देवता के रूप में पूजे जाते हैं और उनकी प्रेम गाथा को जाकर और नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है। जीतू बगड़वाल एक ऐसी प्रेम कथा है,जिसका जब भी मंचन होता है,समाज की भावनाएं उफान पर होती है। आज कौथिग लोकनृत्य पर जीतू बगड़वाल की प्रस्तुति लोगों को भाव विभोर कर गई। जलेथा गांव में जीतू बगड़वाल लोकनृत्य का कहीं वर्षों का सफर तय कर महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हुए सांस्कृतिक लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्ध रही है। जलेथा वासियों ने पहाड़ की अनमोल सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखा है। भारी उत्साह से इस कौथिग लोकनृत्य को देखने दुर-दराज के क्षेत्रों से भारी संख्या में तांता लगा रहा और भक्तों ने मां भगवती नगरसैणी की पूजा अर्चना कर मनौती मांगी। इस अवसर पर नजदीक ग्रामवासी सहित जलेथा गांव की विवाहित बेटियां-ध्याणियां और कहीं मेहमानों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इस मौके पर ग्रामीणों ने क्षेत्र व गांव की खुशहाली की कामना की। जीतू बगड़वाल लोकनृत्य कौथिग में क्षेत्र वासियों ने पर चढ़कर भाग लिया जिसमें सुमाड़ी,हरकण्डी,देवलगढ़,बुघाणी,भैसकोट,कोल्ठा,भटोली,मलेथा,चकवाली,गहड़,स्वीत,बलोड़ी,सरणा,मसुड़,ढिकवालगांव, धरिगांव,खोला आदि से आई क्षेत्रीय जनता जनार्दन। सामाजिक पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार जीतू बगड़वाल सार्वाधिक प्रसिद्ध प्रेम गाथा है धार्मिक कथाओं के अनुसार टिहरी रियासत के राजा मानशाह ने जीतू बगड़वाल की बुद्धि एवं चातुर्य से राजा ने उसे अपना दरबारी नियुक्त कर दिया और उन्हें कर वसूलने का जिम्मा सौंपा दिया। जीतू बगड़वाल आकर्षक कद काठी के कारण राजघराने की बहू बेटियों से उनकी निकटता हो गई जो राजा को नागवार गुजरी। क्रोद्व होकर राजा ने अपने सिपाही सलाहकारों के साथ मतगणना कर सैनिकों की एक टुकड़ी को साथ लेकर श्रीनगर के निकट अलकनंदा स्थित जीतू का वध करवा दिया। अकाल मृत्यु के कारण जीतू की मृत आत्मा राज सहित राजदरबारियों को प्रेतात्मा बनकर डराने लगी। अंत में प्रेत आत्मा को प्रसन्न करने के लिए राजा के आदेश से गढ़वाल के प्रत्येक गांव में जीतू बगड़वाल की प्रेत आत्मा को नचाया जाता है। जीतू बांसुरी की धुन में प्रेम गीत गाता रहता था,उसकी धुन पर मोहित होकर खैट पर्वत पर रहने वाली वन आछरियां वहां पहुंच जाती हैं और उसे अपने साथ ले जाना चाहते हैं,तब जीतू उन्हें वचन देता है कि धान की रोपाई के बाद वह स्वेच्छा से उनके साथ चलेगा और अंत में वह दिन भी आया, जब रोपाई के दिन खेत में ही आछरियों ने जीतू के प्राण हर लिए। इसके बाद अदृश्य शक्ति के रूप में जीतू बगड़वाल अपने परिजनों की मदद करता रहा तब राजा ने जीतू की शक्ति को भागते हुए पूरे गढ़वाल में उसे देवता के रूप में पूजे जाने का आदेश दिया तब से लेकर अब तक लोग अपनी परेशानियों को हरने और सुख शांती-समृद्धि की कामना से इस आयोजन को बड़े प्रेम के साथ अपने गांव में करते हैं। गढ़वाली परंपराओं का निर्वहन करने वाले पहाड़ी लोक संस्कृति के माध्यम से अपने वाद्ययंत्रों ढोल-दमाऊं वादक मदन लाल (गुलाम),भारत भारती (भारू) की थाप और धुनों पर ग्रामीण नाचते को मजबूर हो गए। मां भगवती नगरसैणी ने भक्तों को दर्शन दिए और प्रसन्नचित होकर ग्रामवासियों एवं बाहर से आए हुए सभी भक्तों को आशीर्वाद शुफल प्रसाद दिया। जीतू बगड़वाल लोकनृत्य मंचन और अन्य कौथिग,नाटक,महोत्सव पूरे गढ़वाल में वर्ष भर चलते रहते हैं,उत्तराखंड सरकार को पहाड़ी क्षेत्र की और ध्यान देना चाहिए जिससे कि हमारे पहाड़ की सांस्कृतिक परंपरा बची रहे। जीतू बगड़वाल लोकनृत्य कौथिग के समापन पर भक्तों को प्रसाद वितरण किया जाता है। इस अवसर पर ग्रामसभा जलेथा प्रधान गणेश भण्डारी ने छै दिवसीय जीतू बगड़वाल लोकनृत्य कौथिग के समापन पर सभी ग्रामवासियों,क्षेत्रवासियों और बाहर से आए हुए अतिथियों एवं आम जनमानस का धन्यवाद अदा किया। इस कार्यक्रम में पूर्व जिला पंचायत सदस्य लखपत सिंह भण्डारी,श्रीनगर नगर निगम के नवनियुक्त पार्षद जयपाल सिंह बिष्ट,पूर्व प्रधान कृष्ण कुमार चौहान,पूर्व प्रधान गुड्डी देवी,बलोड़ी के प्रधान बृजमोहन बहुगुणा,ग्राम पंचायत जलेथा के सरपंच गंगा बिष्ट और सूरत सिंह चौहान,नवीन बहुगुणा बलोड़ी,राजेंद्र सिंह चौहान,भास्कर सिंह,सौरभ भारती,विनोद लाल,सुभाष पुंडीर,लोकपति सिंह चौहान,कुंदन सिंह चौहान,जगमोहन सिंह चौहान,सचिन भंडारी,राहुल राणा,अनिल चौहान,दीपक रावत,शिवम चौहान,अनिल बिष्ट,सौरभ भंडारी और नव युवक मंगल दल,महिला मंगल दल का इस आयोजन में विशेष सहयोग रहा।