ब्रेकिंग न्यूज़
1 . कनखल पुलिस ने एक वारंटी दबोचा 2 . धामी सरकार के 3 साल पूरे होने पर आयोजित बहुउद्देशीय शिविर का सैकड़ों लोगों ने उठाया लाभ 3 . पीएम श्री जीजीआईसी ज्वालापुर नोडल केंद्र के तहत छात्राओं ने जन जागरण रैली निकालकर गंगा में किया दीपदान 4 . राजकीय महाविद्यालय गुप्तकाशी ने प्राथमिक विद्यालय में किया चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन 5 . मोशन एजुकेशन हरिद्वार ने किया सेमिनार आरम्भ का सफल आयोजन 6 . 24 से 30 मार्च तक उत्तराखंड में निकलेगी चिपको चेतना यात्रा 7 . मसूरी में स्कूल के स्विमिंग पूल में डूबने से छात्र की मौत 8 . रानीपुर विधायक आदेश चौहान ने 80 लाख की लागत वाले सड़क पुनर्निर्माण कार्य का किया उद्घाटन 9 . मार्च में उपनल कर्मचारी एक दिवसीय अनशन नई दिल्ली जंतर मंतर पर बैठेंगे 10 . सक्षम सविता प्रकोष्ठ ने कुष्ठ आश्रम में मनाया कुष्ठ पखवाड़ा 11 . शपथ लेते ही सक्रिय हुए राजीव शर्मा,सड़क व नाली निर्माण कार्यों का किया उद्घाटन 12 . निगम चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी रहे विपिन गुप्ता ने साथियों का जताया आभार 13 . सरस्वती विद्या मंदिर मायापुर में हर्षोल्लास से मनाया गया गणतंत्र दिवस 14 . राज्यपाल ने एक बार फिर डॉक्टर सैनी को किया सम्मानित 15 . समाजसेविका योगाचार्य सोनिया अरोड़ा ने निराश्रितों को बांटे गर्म जैकेट 16 . निर्दलीय प्रत्याशी आशा रानी ने किया कार्यालय का उदघाटन 17 . रायवाला पुलिस ने शराब तस्कर को अवैध देशी शराब के साथ किया गिरफ्तार 18 . चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री के निर्देश पर प्राचार्य ने डायलिसिस यूनिट के लिए डॉ.प्रद्युमन एमडी मेडिसिन की अगुवाई मे बनाई गई नई टीम 19 . देवी-देवताओं को लोग जीव की बलि क्यों चढ़ाते हैं,क्या देवी-देवता जीवों की बलि मांगते हैं--ज्योतिषाचार्य अजय कृष्ण कोठारी 20 . साइबर अपराधों,मानव तस्करी व नशे के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक होने के विषय में किया गया संवाद 21 . भाजपा प्रत्याशी आशा उपाध्याय ने श्रीकोट क्षेत्र में किया भ्रमण 22 . जिलाधिकारी ने देर शाम रूड़की में गरीब व असहाय लोगों को किए कम्बल वितरित 23 . 7 नगर निकायों के 107 वार्डो में बनाये गये 187 मतदान केंद्र 24 . आंगनबाड़ी केंद्र कपणियां में सूर्जन सिंह राणा ने स्वयं के संसाधनों से की पेयजल व्यवस्था 25 . राष्ट्रीय सेवा योजना प्रकोष्ठ के चयनित स्वयं सेवी अनुराग पंवार गणतंत्र दिवस परेड में करेंगे उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व 26 . मलेथा में बीर माधो सिंह भंडारी स्मृति मेले का रंगारंग आगाज 27 . दीपक शर्मा नगर निगम के वार्ड नंबर 11 से मैदान में 28 . कौशल्या के चुनाव मैदान में आने से चुनाव का माहौल हुआ त्रिकोणीय 29 . नगर निकाय की दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का हुआ शुभारम्भ,प्रथम दिवस प्रशिक्षण कार्यशाला में पहुंचे 940 कार्मिक 30 . स्थाई रूप से देश में लगे चाइनीज मांझे पर रोक: संजय भाटी 31 . एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने कलियर शरीफ़ जाकर बाहर से आए यात्रियों को किया जागरूक 32 . राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई ने नशा उन्मूलन कार्यक्रम के तहत निकाली रैली एवं किया नुक्कड़ नाटक 33 . अग्रवाल प्रशिक्षण एवं समाज सेवा संस्थान बिजनौर ने वृद्ध आश्रम में लगवाए गीजर 34 . अग्रवाल प्रशिक्षण एवं समाज सेवा संस्थान बिजनौर ने वृद्ध आश्रम में लगवाए गीजर 35 . नवनीत परमार को एडवोकेट अरुण भदौरिया ने भेजा कानूनी नोटिस 36 . पहाड़ों पर क्यों स्थित होते हैं मठ मंदिर जानें इससे जुड़े रहस्य-आचार्य अजय कृष्ण कोठारी 37 . जो अपने पास है वही खास है-सुरेश मोहन सेमवाल 38 . हरिद्वार की जनता भ्रमित मांग रही जवाब नगर निगम निकाय चुनाव 2025,, 39 . गुडविल सोसाइटी की बैठक में 'युवा दिवस' पर 9 को विचार गोष्ठी का हुआ निर्णय 40 . हरिद्वार टैक्स बार एसोसिएशन की वर्ष 2025 की कार्यकारिणी का हुआ गठन 41 . अरुण भदोरिया एडवोकेट ने राज्य के मुख्यमंत्री व राज्य चुनाव आयुक्त को भेजा कानूनी नोटिस 42 . अरुण भदोरिया एडवोकेट ने राज्य के मुख्यमंत्री व राज्य चुनाव आयुक्त को भेजा कानूनी नोटिस 43 . नगर निगम हरिद्वार के सफाई कर्मचारी सहित दो चोर, चोरी के माल सहित गिरफ्तार 44 . जिलाधिकारी के आदेश पर नगर मजिस्ट्रेट ने अधिकारियों को किया निर्देशित 45 . एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट हरिद्वार ने किए सन 2024में किए सहराहनीय कार्य 46 . बाबा गरीब दास महाराज की पावन समाधि पर विशाल संत समागम हुआ आयोजित 47 . जिलाधिकारी व एसएसपी ने देर रात्रि गरीब व असहाय लोगों को ठण्ड के प्रकोप से दी राहत 48 . श्री प्राचीन मनोकामना शिव मंदिर में चोरों ने किया हाथ साफ 49 . सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज मायापुर की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई का 7 दिवसीय विशेष शिविर का हुआ शुभारंभ 50 . व्यापारी नेता सुनील सेठी के पत्र का संज्ञान लेते हुए जानलेवा चाइनीज मांझे पर जिलाधिकारी ने लगाई रोक

कविता मात्र इस जन्म का सर्जन नहीं : डॉ. सम्राट् सुधा

कविता मात्र इस जन्म का सर्जन नहीं : डॉ. सम्राट् सुधा

आज विश्व कविता दिवस पर विशेष :


 रूड़की। कविता इस जन्म का सर्जन नहीं , वह जाने कितने जन्मों की थाती है !  विगत जन्मों की समग्र रचनात्मक निधि लेखन या कला विशेष को सन्नद्ध करती है। यह प्रत्येक मनुष्य , जो अंततः किसी ना किसी नैसर्गिक प्रतिभा से सम्पन्न होता ही है ,के संदर्भ में सिद्ध तथ्य है ! ये विचार हिन्दी के प्रख्यात प्रोफेसर तथा साहित्यकार डॉ. सम्राट् सुधा ने आज विश्व हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में बातचीत में व्यक्त किये ।

     डॉ. सम्राट् सुधा ने कहा कि कविता लिखी जाती है ; सृजित की जाती है या उसका सर्जन स्वयं ; अनायास हो जाता है , ये वे बिंदू हैं , जो एक लंबे समय तक मेरी सोच का विषय रहे। प्रत्येक कवि की रचनाधर्मिता की वैयक्तिक पृष्ठभूमि होती है , इसमें मैं कभी दो मत नहीं रहा। शनैः-शनैः मुझे यह अनुभूति भी हुई कि वह पृष्ठभूमि मात्र इस जन्म तक ही सीमित नहीं ; वह विगत अनेक जन्मों का धरातल है , जो जन्म-जन्म निज परिधि बनाकर अनेक बार किसी भी रचनाकार की परीक्षाएं लेता है । आत्मिक पुकार हमें उचित-अनुचित सब इंगित करती है । सो , कोई भी रचनाकार यदि परीक्षा-परिधियों से स्वयं को मुक्त कर उड़ान भरता है , तो उसकी विगत जन्मों की समग्र रचनात्मक निधि उसके लेखन या कला विशेष को सन्नद्ध करती है। यह प्रत्येक मनुष्य , जो अंततः किसी ना किसी नैसर्गिक प्रतिभा से सम्पन्न होता ही है ,के संदर्भ में सिद्ध तथ्य है !

    उन्होंने कहा कि जहाँ तक मेरी रचनाधर्मिता की बात है , मैं कभी कविता , कहानी , लेख आदि लिखता नहीं !  सच तो यह है कि मैं कभी अपने लेखन के विषय को लेकर बहुत विचारता भी नहीं। शोधपत्र , जिन्हें विशुद्ध मानसिक उत्पाद कहा जाता है , मैंने सर्जन की भांति तैयार किये हैं । कविता तक सीमित रहूँ, तो आकाश एक पंक्ति देता है ; उसी पंक्ति का विस्तार मेरी कविता होती है । अनन्त आकाश का देय देखने में एकाकी है, परन्तु उसमें अनन्त ही अंतर्निहित होता है ,सो आज तक एक भी कविता ऐसी नहीं , जिसे लिखने में दूसरी बैठक करनी पड़ी हो ; जो लिखा एक साथ ; एक ही बार में पूर्ण ,कविता कह सकूँ ऐसा ! वस्तुतः यह लिखना नहीं ; सर्जन हुआ ! इसी से मेरी यह धारणा पुष्ट हुई कि कविता इस जन्म का सर्जन नहीं , वह जाने कितने जन्मों की थाती है ! 

     कविता को प्रायः कवि की नितांत वैयक्तिक सम्पदा ही नहीं , उसकी आपबीती का प्रतिफल भी मान लिया जाता है। एक कवि के रूप में मैं ( आप भी यदि मुझे कवि माने तो ) इस आपबीती की मान्यता का समर्थक नहीं हूँ। पाठक को 'अनुभव' और ' अनुभूति ' का अंतर समझना होगा। हम यदि किसी भी सर्जन को सृजक के वैयक्तिक अनुभव का प्रतिफल माने , तो यह उसकी प्रतिभा को बहुत सीमित कर देना कहलायेगा। स्थूल रूप से इसे यूँ समझा जा सकता है कि एक व्यक्ति घायल होकर सड़क पर गिरा है , अनेक उसे देखते हैं , कुछ आगे बढ़ जाते हैं ; कुछ देखते रहते हैं ; कुछ उसके उपचार का प्रबन्ध करते हैं और इन उपचार का प्रबन्ध करने वालों में से ही कुछ उससे उपचार व उपचारोपरांत भी सम्पर्क रखते हैं। सृजक उपचार कराने वालों में से वह कुछ है , जो बाद में भी घायल के संग है । कभी दैहिक रूप से ,तो कभी या कहें कि प्रायः अपनी रचना के संग। अब यह घायल पर है कि वह स्वस्थ होने पर उसकी रचना को संजोये या फेंके , लेकिन सृजक अपना दायित्व पूर्ण कर चुका होता है , क्योंकि सच यह है कि वह ऐसा किये बिना रह नहीं सकता ; यह उसकी जीवन- कथा में लिखित है ! स्पष्ट है कि एक सृजक मात्र अपने अनुभवों तक ही सीमित नहीं होता , वरन् अन्य की अनुभूतियां भी वह अनुभव की भांति जीता है या जी चुका होता है ! 

     कविता मेरी दृष्टि में अभिव्यक्ति की सबसे सूक्ष्म या कहूँ , एकमात्र सूक्ष्म विधा है। गद्यात्मक संवाद विस्तार है , जिसमें अनेक बार बिखराव हो जाता है, परन्तु कविता किसी को मुट्ठीभर सुगन्ध सौंप देना है। द्रष्टव्य बात यह है कि सुगन्ध कवि की मुष्टि- सम्पदा नहीं , सुमन उसके हाथों में नहीं हैं ,वह स्वयं सुगन्ध को गगन से ग्रहण करता है । यह ग्रहण करना जितना निर्मल होगा , उतनी ही कवि की अभिव्यक्ति भी स्वच्छ होगी और इसी क्रम में सुगन्धित भी ! कवि की मानसिक संलिप्तता उसकी द्वारा ग्रहण पवन की सुगन्ध के प्रकार को निश्चित करती है। संलिप्तता को योग कहें , तो और अच्छा ! यह योग ही सर्जन को ग्रहणीय सुगन्ध बनाता है ,क्योंकि सुगन्ध भी अनेक के लिए कष्टमयी हो सकती है। 

      अपने योग तथा अपनी रचनाधर्मिता के संदर्भ में डॉ.सम्राट् सुधा ने कहा कि अपने योग की बात करूँ , तो यह शिवबाबा से संपृक्त होने का प्रयास है मेरा ! मेरे लिए शिवबाबा कल्याण नहीं , सद्मार्ग के निदेशक भी हैं और कल्याण भी मात्र मुझ तक ही सीमित न हो ,सभी के प्रति प्रार्थनीय है ! प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय से जुड़कर मेरी रचनाधर्मिता को अनुपम सुगन्ध मिली है और उसमें शांति-तत्व समावेशित हुआ है। 

      किसी भी मानसिक गाँठ के संग कोई सृजक नहीं हो सकता । मैं बना दिया गया कवि नहीं हूँ । मैं कवि हूँ ही , इसे लेकर भी मेरा कोई हठ नहीं है। आकाश विचार सम्प्रेषित करता है , मेरी ओर ; मेरे लिए ! यह भी अकथित रूप से निर्धारित हुआ आता है कि वह विचार विशेष अब पद्य में ढलकर विस्तार लेगा या गद्य की किसी विधा में । आकाश-प्रेषित उस विचार तथा रचना कर मध्य मैं हूँ । मेरा कार्य बस इतना है कि आकाश से आते उन विचारों को उनके अधिकाधिक प्राकृत रूप में लिपिबद्ध कर दूँ बस , जिसके लिए शिव-स्मरण मेरी शक्ति है। 

     डॉ. सम्राट् सुधा ने कहा कि कविता वाङ्मय की एक पावन सरिता है। इसका सर्जन और पठन संबद्ध पुण्य वह ही पा सकता है, जिसकी आत्मा निर्मल हो।



You Might Also Like...
× उत्तरी हरिद्धार
मध्य हरिद्धार
ज्वालापुर
कनखल
बी एच ई एल
बहादराबाद
शिवालिक नगर
उत्तराखंड न्यूज़
हरिद्धार स्पेशल
देहरादून
ऋषिकेश
कोटद्वार
टिहरी
रुड़की
मसूरी