रमजान उल मुबारक सांप्रदायिक सद्भाव,शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और साझा सांस्कृतिक विरासत को दर्शाने वाला पवित्र महीना
पंकज राज चौहान
रुड़की।मजहबे इस्लाम में सबसे पवित्र महीना रमजान का मुबारक महीना है,जो रोजे रखने और प्रार्थना करने के साथ ही सांप्रदायिक सद्भाव सहित शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और साझा सांस्कृतिक विरासत के आदर्शों को खूबसूरती से दर्शाता है।दुनिया भर में करोड़ों मुसलमान इस पवित्र महीने का पालन करते हैं।एकजूटता,करुणा और आपसी सम्मान की भावना,धार्मिक और सांस्कृतिक सीमाओं को पार करती है,जिससे एकता और समझ का माहौल बनता है।वरिष्ठ समाजसेवी इंजीनियर मुजीब मलिक,विधायक हाजी फुरकिन अहमद,समाजसेवी मोफिक अहमद,वरिष्ठ पत्रकार जावेद साबरी तथा मुस्लिम विद्वान डॉक्टर नैयर काजमी का कहना है कि रमजान का सार शांति,धैर्य और कृतज्ञता के संदेश में निहित है।यह महीना लोगों को मतभेद से ऊपर उठना और मानवता को एक साथ बांधने वाली समानताओं को अपनाना सीखाता है।समझ और करुणा को बढ़ावा देकर रमजान एक अधिक सामंजस्य पूर्ण दुनिया बनाने के लिए आवश्यक मूल्यों का उदाहरण है।ऐसे युग में जहां विभाजन अक्सर कथाओं पर हावी होते हैं,रमजान एक अनुस्मारक रूप में कार्य करता है कि शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व न केवल संभव है,बल्कि आवश्यक भी है।यह एक ऐसा समय है जब सभी के लिए दरवाजे खोले जाते हैं,बिना किसी भेदभाव के भोजन साझा किया जाता है और धर्म,जाति या पंथ की बाधाओं से परे दिल जोड़ते हैं,जैसा कि अर्धचंद्र एक और धन्य रमजान की शुरुआत का प्रतीक है।यह सभी मुसलमानों और गैरमुसलमानों के लिए सांप्रदायिक सद्भाव की सच्ची भावना को अपनाने,साझा सांस्कृतिक विरासत का जश्न बनाने और एक ऐसी दुनिया की दिशा में काम करने का अवसर है,जहां शांति और एकता विभाजन और कलह पर विजय प्राप्त करती है।रमजान के दौरान जकात (दान) का अभ्यास सामाजिक एकजुटता को बढ़ावा देता है।लोग धार्मिक संबध्दता की परवाह किए बगैर जरूरतमंदों की भलाई में योगदान देते हैं।दुनिया भर में रमजान सांप्रदायिक सद्भाव के लिए एक सेतु का काम करता है,जो विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच समझ को बढ़ावा देता है।कई गैर-मुस्लिम दोस्त,सहकर्मी और पड़ोस अपने मुस्लिम समकक्षों के साथ एक दिन के लिए उपवास करते हैं या एकजुटता के संदेश के रूप में इफ्तार पार्टियों में शामिल होते हैं।दयालुता और आपसी सम्मान के ऐसे कार्य पूर्वाग्रहों को तोड़ते हैं और आपसी सद्भाव को बढ़ावा देते हैं।रमजान मुख्य रूप से आत्म अनुशासन,भक्ति और आध्यात्मिक विकास का समय है।सुबह से शाम तक उपवास करने से वंचितों के प्रति सहानुभूति बढ़ती है।दान और उदारता के मूल्यों को बल मिलता है।परिवार,पड़ोसियों और यहां तक की अजनबियों के साथ इफ्तार साझा करने का कार्य सामाजिक बंधन को मजबूत करता है और गर्मजोशी तथा समावेशिका का माहौल बनाता है।