प्रकृति को ईश्वर का रूप मानकर ही किया जा सकता है प्रकृति का संरक्षण - डॉ.राजेश भट्ट
सबसे तेज प्रधान टाइम्स गबर सिंह भण्डारी
चमोली/श्रीनगर गढ़वाल। हिमवन्त कवि चन्द्र कुंवर बतर्वाल राजकीय महाविद्यालय नागनाथ पोखरी चमोली की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई का सप्त दिवसीय विशेष शिविर ग्राम पाव में पंचम दिवस के अवसर पर मुख्य वक्ता भूगोल प्राध्यापक डॉ.राजेश भट्ट ने छात्रों को अनुशासन के साथ जीवन लक्ष्य प्राप्ति हेतु मार्गदर्शन किया। उन्हानें बताया कि स्नातक कक्षा में ही छात्र भविष्य की रूपरेखा तय करते है इसलिए इस समय छात्र-छात्राओं को अपना सही लक्ष्य तय करना चाहिए,जिससे कि भविष्य में परेशानियां न हो। इसी कड़ी में उन्होने अपना व्याख्यान "जलवायु परिवर्तन एवं जलस्रोत सुरक्षा" में छात्र छात्राओं को प्रकृति के प्रति सादर भाव हेतु प्रेरित किया। उन्होने बताया कि आम मानव अपनी आवश्यकता हेतु नदी नालों के मार्ग को बाधित कर रहा है। जबकि नदियां,नाले अपने सौ वर्ष का मार्ग पहले ही चिन्हित कर देते हैं। हम नदी मार्ग,जलस्रोत बेसिन क्षेत्र पर घर एवं बाजारों का विस्तार कर रहे हैं जिससे कि जलस्रोत प्रभावित हो रहे हैं। अनियोजित विकास पर प्रकृति अनियंत्रित स्थिति में आ रही है जिससे जलवायु परिर्वतन जैसी समस्याएं एवं जलस्रोतों का सूखना जारी है। ग्लेशियरों पर एसी में बैठकर अध्ययन किया जा रहा है तथा भयभीत माहोल बनाने की तैयारी है जबकि प्रकृति को नियंत्रित करना सम्भव नहीं है जिसका परिणाम हम कोविड-19 में देख चुके हैं। हमें प्रकृति के नियामों पर चलने की अवश्यकता है तथा इसको देवीय रूप मानकर अपने विकास योजनाओं को सुनियोजित करना है। हमें प्रकृति का उतना ही उपयोग करना है जिससे इसका चक्र प्रभावित न हो। कार्यक्रम में कार्यक्रम अधिकारी,डॉ.आरती रावत ने मुख्य वक्ता डॉ.राजेश भट्ट तथा मुख्य अथिति डॉ.अनिल कुमार,विभागाध्यक्ष भौतिक विज्ञान का धन्यवाद व्यक्त किया।
इस अवसर पर राष्ट्रीय सेवा योजना के सहायक विजय कुमार,सतीश प्रसाद,प्रदीप सिंह एवं राष्ट्रीय सेवा योजना के समस्त स्वयंसेवी उपस्थित रहे।