भारतीय शास्त्रों में सभी सिद्धांत एवं तथ्य अंतर्निहित - डॉ० चिन्मय पण्ड्या
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अंकित नौटियाल
हरिद्वार। उत्तराखंड संस्कृत विवि में शुक्रवार को संस्कृत शास्त्रों में मानवीय व्यवहार विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।जिसमें वक्ताओं ने संस्कृत शास्त्रों में मानवीय व्यवहार और भारत की गौरवशाली परम्पराओं पर विस्तार से विचार रखे।
राष्ट्रीय संगोष्ठी के मुख्य अतिथि देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या ने कहा कि भारतीय शास्त्रों में सभी सिद्धांत एवं तथ्य अंतर्निहित है। गणित में प्रयोग होने वाला पाइथागोरस का प्रमेय, पाई का सिद्धांत और विज्ञान में प्रयुक्त गुरुत्वाकर्षण के नियम यह सारा भारतीय संस्कृत शास्त्रों में सर्वप्रथम उद्धृत हुआ था। किंतु वर्तमान में हमारी शिक्षा व्यवस्था प्रभावी न होने के कारण हमें इस ज्ञान को प्राप्त करने के लिए पश्चिमी देशों का अनुसरण करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि यदि व्यक्ति को अपने जीवन को उत्कृष्ट से उत्कृष्टतम की ओर ले जाना है, तो उनको संस्कृत शास्त्रों में निहित नियमों तथा उस ज्ञान को धारण करके अपने जीवन को उन्नति प्रदान करना चाहिए। यह व्यवस्था केवल संस्कृत शास्त्रों में ही है, अन्य शास्त्रों में इस व्यवस्था का कहीं भी कोई उल्लेख प्राप्त नहीं होता है। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारे शिक्षाविद प्रो० हरीशचंद्र पोखरियाल ने भारतीय साहित्य के आलोक में मानवीय मूल्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला ।संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए उत्तराखंड संस्कृत विवि के कुलपति प्रो. दिनेशचंद्र शास्त्री ने कहा कि सारा वैदिक वाडंगय मानवीय मूल्यों से ओतप्रोत हैं। भारतीय सभ्यता संस्कृति ,परम्पराएं मानव कल्याण के लिए ही समर्पित हैं ।प्रो. शास्त्री ने कहा कि इस तरह के सफल आयोजन से ही हम संस्कृत शास्त्रों में निहित ज्ञान-विज्ञान को देश और दुनिया के सामने ला सकते हैं। उन्होंने कहा कि संस्कृत शास्त्रों में निहित ज्ञान-विज्ञान पर अनुसंधान की आवश्यकता है। डॉ. विनय सेठी ने पीपीटी के माध्यम से अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। जिसकी श्रोताओं ने सराहना की।विवि के कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। संगोष्ठी का संचालन कार्यक्रम के समंवयक डॉ. प्रकाश चंद्र पंत ने किया।
इस अवसर पर पत्रकारिता विभाग प्रभारी विभागाध्यक्ष डॉ० उमेश शुक्ल, डॉ० प्रविन्द्र कुमार , डॉ० रूपेश शर्मा, डॉ० मनोज पंत , डॉ० विन्दुमती , श्रीमती मीनाक्षी सिंह डॉ० सुमन भट्ट, श्री सुशील चमोली के साथ प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे।